देस-परदेश
वैश्विक-आतंकवाद को लेकर हाल में भारत से जुड़ी
कुछ गतिविधियों ने ध्यान खींचा है. भारत ने संरा सुरक्षा परिषद की आतंकवाद-रोधी
समिति (सीटीसी) की दिल्ली तथा मुंबई में हुई बैठकों की मेजबानी की. इनके अलावा दिल्ली
में गत 18-19 नवंबर को हुआ ‘नो मनी फॉर टेरर’
सम्मेलन. दोनों कार्यक्रमों का उद्देश्य आतंकवाद के
खिलाफ ढीली पड़ती वैश्विक मुहिम की तरफ दुनिया का ध्यान खींचना था. इनका एक
निष्कर्ष यह भी है कि इसे तेज करने के लिए अब भारत को आगे आना होगा.
आगामी 15-16 दिसंबर को वैश्विक आतंकवाद विरोधी
प्रयासों से जुड़ी चुनौतियों पर संरा सुरक्षा परिषद की एक विशेष ब्रीफिंग की
मेजबानी भी भारत करेगा. भारत की पुरजोर कोशिश इस विषय को प्रासंगिक बनाए रखने में
होनी चाहिए. बावजूद इसके कि दुनिया ने अब दूसरी तरफ देखना शुरू कर दिया है.
चीन की भूमिका
इस दौरान एक और घटना ऐसी हुई है, जिसपर ध्यान
देने की जरूरत है. मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के बेटे हाफिज तल्हा सईद
को संरा सुरक्षा परिषद की प्रतिबंधित आतंकियों की सूची में डालने के प्रस्ताव पर
चीन ने फिर रोक लगा दी है. इस मामले में पाकिस्तान को चीन सुरक्षा-कवच उपलब्ध
कराता रहा है. पाकिस्तान से चलने वाले कई चरमपंथी संगठनों के कमांडरों को वैश्विक
आतंकवादी ठहराए जाने कोशिशों को चीन ने बार-बार रोका है.
मुंबई हमले के संदर्भ में भारत का अनुभव रहा है
कि आतंकवाद जैसे मसलों पर विश्व समुदाय की बातें बड़ी-बड़ी होती हैं, पर कार्रवाई
करने का मौका जब आता है, तब सब हाथ खींच लेते हैं. काउंटर-टेरर संस्थाएं नख-दंत
विहीन साबित हुई हैं. हाल में भारत ने इस बात को रेखांकित करने के लिए जो पहल की
हैं, उनपर ध्यान देने की जरूरत है.
‘नो मनी फॉर टेरर’
दिल्ली में हुए ‘नो मनी फॉर टेरर’
सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जो देश आतंकवाद को बढ़ावा देते
हैं, उन्हें इसकी क़ीमत चुकानी चाहिए. गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अपनी पहचान छिपाने
और कट्टरपंथी सामग्री फैलाने के लिए आतंकवादी डार्क नेट का इस्तेमाल कर रहे हैं.
क्रिप्टोकरेंसी जैसी आभासी संपत्ति का उपयोग भी बढ़ रहा है.
‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन पहली बार 2018 में पेरिस में हुआ था. उसके बाद 2019 में ऑस्ट्रेलिया में आयोजित किया गया था. भारत को इसकी मेजबानी 2020 में करनी थी, लेकिन महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था. इस समूह का कोई स्थायी कार्यालय नहीं है. इसका सचिवालय भी भारत में स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है.