अन्नादुरै और पेरियार
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम
(द्रमुक) और राज्यपाल आरएन रवि के बीच टकराव
ने अप्रिय रूप धारण कर लिया है। लगता यह है कि यह 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले
कुछ पुराने प्रसंगों को उजागर करेगा, जिसमें कांग्रेस को भी लपेटा जा सकता है। राज्यपाल
का विधानसभा से वॉकआउट करना और तमिलनाडु बनाम तमिषगम (Thamizhagam) विवाद में राज्यपाल की टिप्पणियों के गहरे निहितार्थ हैं। फिलहाल डीएमके
सरकार के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन मामले को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं, पर
लगता है कि इसके साथ एक नई बहस शुरू होगी।
गत 9 जनवरी को तमिलनाडु विधानसभा का सत्र शुरू
हुआ। राज्यपाल ने सदन में अपना अभिभाषण पढ़ते समय सरकार द्वारा उन्हें दिए गए
वक्तव्य में से कुछ अंशों को छोड़ दिया था। हालांकि बाद में सदन ने एक प्रस्ताव
पास करके उन अंशों को कार्यवाही में शामिल कर लिया था, पर राज्यपाल का वॉकआउट
संभवतः विधानसभा के इतिहास में पहली बार हुआ था।
यह विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। राज्यपाल ने पोंगल
के उत्सव के सिलसिले में निमंत्रण-पत्र भेजा है, जिसमें तमिलनाडु सरकार के बजाय ‘तमिषगा अज़ुनार’ का उपयोग किया गया है। राजभवन के
पोंगल समारोह के निमंत्रण पर राज्य सरकार का प्रतीक चिह्न नहीं होने का भी विवाद
छिड़ गया है। कई लोगों ने आरोप लगाया कि आमंत्रण में केवल राष्ट्रीय प्रतीक है। निमंत्रण-पत्र
तमिल-भाषा में है।
तमिलनाडु नहीं तमिषगम
पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम में राज्यपाल रवि ने कहा था कि तमिलनाडु के स्थान पर तमिषगम अधिक उपयुक्त शब्द है। तमिलनाडु का अर्थ है ‘तमिलों का राष्ट्र’ जबकि तमिषगम का अर्थ है ‘तमिल लोगों का निवास’ और यह इस क्षेत्र का प्राचीन नाम है। इसके बाद सत्तारूढ़ डीएमके और उसके सहयोगियों ने राज्यपाल पर आरोप लगाया कि उन्होंने बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए तमिषगम नाम का इस्तेमाल किया है। डीएमके नेता टीआर बालू ने कहा, वे ऐसे बयान देते हैं जो तथ्यात्मक रूप से गलत और खतरनाक हैं।