देस-परदेस
इस हफ्ते 10 मई तक मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी पूरी हो जाएगी. पिछले दो महीनों में मालदीव से भारतीय सैन्यकर्मियों के दो बैच वापस आ चुके हैं और उनकी जगह असैनिक विशेषज्ञों को तैनात कर दिया है. शेष कर्मियों की तैनाती इस हफ्ते हो जाएगी.
बावजूद इसके लगता नहीं है कि दोनों देशों के
रिश्तों में सुधार हो जाएगा, बल्कि गिरावट ही आ रही है. इसके पीछे चीन की भूमिका
है, जिसने मालदीव के कुछ प्रभावशाली राजनीतिक नेताओं को लालच में फँसा लिया है और
फिलहाल वहाँ की राजनीति ने उसे स्वीकार कर लिया है।
बात केवल चीन तक सीमित नहीं है. मालदीव
भारत-विरोधी रास्तों को खोजता दिखाई पड़ रहा है. हाल में उसने तुर्की से कुछ ड्रोन
और दूसरे शस्त्रास्त्र की खरीद की है. कश्मीर और पाकिस्तान से जुड़ी नीतियों के
कारण तुर्की का भारत-विरोधी नज़रिया साफ है.
भारत-विरोधी प्रतीकों का मालदीव बार-बार
इस्तेमाल कर रहा है. हाल में तुर्की कोस्टगार्ड के एक पोत का मालदीव में
पोर्ट-विज़िट ऐसी ही एक प्रतीकात्मक-परिघटना है.
विदेशमंत्री की यात्रा
एक खबर यह भी है कि मालदीव के विदेशमंत्री मूसा ज़मीर इस हफ्ते, 9 मई को भारत का दौरा करने वाले हैं. 9 मई को ही उनकी विदेशमंत्री एस जयशंकर से मुलाकात होगी. तारीख का महत्व केवल इतना है कि 10 मई से मालदीव में सहायता कार्य कर रहे भारतीय विमानों का संचालन सैनिकों की जगह भारत की ही एक असैनिक तकनीकी-टीम करने लगेगी.