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Saturday, October 24, 2020

फिलहाल ‘ग्रे लिस्ट’ में ही रहेगा पाकिस्तान

पाकिस्तानी अखबार फ्राइडे टाइम्स से साभार

पाकिस्तान फिलहाल फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की
ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकलेगा। उसे जो काम दिए गए थे, उन्हें पूरा करने का समय भी निकल चुका है। अब उसके पास फरवरी 2021 तक का समय है, जब उसे मानकों पर खरा उतरने का एक मौका और दिया जाएगा। गत 21 से 23 अक्तूबर तक हुई वर्च्युअल बैठक के बाद शुक्रवार शाम को एफएटीएफ ने बयान जारी किया कि पाकिस्तान सरकार आतंकवाद के खिलाफ 27 सूत्रीय एजेंडे को पूरा करने में विफल रही है। उसने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।

सूत्रों के मुताबिक एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान के बचाव के लिए तुर्की ने पुरजोर पैरवी की। उसने सदस्य देशों से कहा कि पाकिस्तान के अच्छे काम पर विचार करना चाहिए और 27 में छह मानदंडों को पूरा करने के लिए थोड़ा और इंतजार करना चाहिए। पर बाकी देशों ने तुर्की के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी सहित कई देश पाकिस्तान की  आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं।

अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी

ग्रे लिस्ट में बने रहने से पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना मुश्किल हो जाएगा। विदेशी पूँजी निवेश में भी दिक्कतें पैदा होंगी, क्योंकि कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश करना नहीं चाहता है। इसबार की बैठक में पाकिस्तान की फज़ीहत का आलम यह था कि 39 सदस्य देशों में से केवल तुर्की ने उसे ग्रे लिस्ट से बाहर निकाले जाने की वकालत की।

Tuesday, October 20, 2020

एफएटीएफ की 'ग्रे लिस्ट’ से पाकिस्तान का फिलहाल निकल पाना मुश्किल

 

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की 21 से 23 अक्तूबर को होने वाली सालाना आम बैठक के ठीक पहले लगता है कि पाकिस्तान इसबार भी न तो ग्रे लिस्ट से बाहर आएगा और न ब्लैक लिस्ट में डाला जाएगा। भारत सरकार के सूत्रों का कहना है कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जिन 27 कार्य-योजनाओं की जिम्मेदारी दी थी, उनमें से केवल 21 पर ही काम हुआ है। शेष छह पर नहीं हुआ।

इसके पहले एफएटीएफ के एशिया प्रशांत ग्रुप की रिपोर्ट गत 30 सितंबर को जारी हुई थी, जिसमें पाकिस्तान को दिए गए कार्य और उस पर अमल करने के उपायों की समीक्षा की गई। इसका सारांश है कि पाकिस्तान फिलहाल प्रतिबंधित होने वाली सूची से तो बच सकता है, लेकिन उसे अभी निगरानी सूची में ही रहना होगा। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को गैरकानूनी वित्तीय लेन-देन, बाहर से आने वाली फंडिंग को रोकने, एनजीओ के नाम पर काम करने वाली एजेंसियों की गतिविधियों पर लगाम लगाने व पारदर्शिता लाने के लिए कार्यों की सूची सौंपी है।

पेरिस में क्या होगा?

पेरिस स्थित मुख्यालय में एफएटीएफ की 21-23 अक्टूबर को वर्च्युअल बैठक होगी। एफएटीएफ ने हाल के महीनों में पाकिस्तान सरकार की तरफ से उठाए गए कुछ कदमों की तारीफ भी की है। खासतौर पर जिस तरह से गैरसरकारी संगठनों की गतिविधियों को पारदर्शी बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं, उनकी तारीफ की गई है। पाकिस्तान में नई व्यवस्था लागू की गई है, जिससे हजारों एनजीओ की फंडिंग की निगरानी संभव हो सकेगी।

Tuesday, November 5, 2019

एफएटीएफ क्या रोक पाएगा पाकिस्तानी उन्माद?


फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की सूची में पाकिस्तान फिलहाल फरवरी तक ग्रे लिस्ट में बना रहेगा। पेरिस में हुई बैठक में यह फैसला हुआ है। इस फैसले में पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी भी दी गई है। कहा गया है कि यदि फरवरी 2020 तक पाकिस्तान सभी 27 कसौटियों पर खरा नहीं उतरा तो उसे काली सूची में डाल दिया जाएगा। यह चेतावनी आमराय से दी गई है। पाकिस्तान का नाम काली सूची में रहे या भूरी में, इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। ज्यादा महत्वपूर्ण है जेहादी संगठनों के प्रति उसका रवैया। क्या वह बदलेगा?
पिछले महीने संरा महासभा में इमरान खान ने कश्मीर में खून की नदियाँ बहाने और नाभिकीय युद्ध छेड़ने की जो धमकी दी है, उससे उनकी विश्व-दृष्टि स्पष्ट हो जाती है। ज्यादा बड़ा प्रश्न यह है कि अब क्या होगा? पाकिस्तान की इस उन्मादी और जुनूनी मनोवृत्ति पर नकेल कैसे डाली जाएगी? एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंकी वित्तपोषण और धन शोधन जैसे मुद्दों से निपटने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। क्या वह इनका अनुपालन करेगा?