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Saturday, May 26, 2018

चार साल में ‘ब्रांड’ बन गए मोदी


केन्द्र सरकार की पिछले चार साल की उपलब्धि है नरेन्द्र मोदी को ब्रांड के रूप में स्थापित करना. पिछले चार साल की सरकार यानी मोदी सरकार. स्वतंत्रता के बाद की यह सबसे ज्यादा व्यक्ति-केन्द्रित सरकार है. विरोधी-एकता के प्रवर्तक चुनाव-पूर्व औपचारिक गठबंधन करने से इसलिए कतरा रहे हैं, क्योंकि उनके सामने एक नेता खड़ा करने की समस्या है. जो नेता हैं, वे आपस में लड़ेंगे, जिससे एकता में खलल पड़ेगा, दूसरे उनके पास नरेन्द्र मोदी के मुकाबले का नेता नहीं है.

पिछले चार वर्षों को राजनीति, प्रशासन, अर्थ-व्यवस्था, विदेश-नीति और संस्कृति-समाज के धरातल पर परखा जाना चाहिए. सरकार की ज्यादातर उपलब्धियाँ सामाजिक कार्यक्रमों, प्रशासनिक फैसलों और विदेश-नीति से और अधिकतर विफलताएं सांविधानिक-प्रशासनिक संस्थाओं को कमजोर करने और सामाजिक ताने-बाने से जुड़ी हैं. गोहत्या के नाम पर निर्दोष नागरिकों की हत्याएं हुईं. दलितों को पीटा गया वगैरह. सरकार पर असहिष्णुता बढ़ाने के आरोप लगे.

Friday, May 25, 2018

मोदी-राज के चार साल


किसी भी सरकार के चार साल केवल सफलता या केवल विफलता के नहीं होते। कहानी कहीं बीच की होती है। उपलब्धियों और विफलताओं के बीच के संतुलन को देखना चाहिए। मोदी सरकार की ज्यादातर उपलब्धियाँ सामाजिक कार्यक्रमों और प्रशासनिक फैसलों के इर्द-गिर्द हैं। अधिकतर विफलताएं सांविधानिक-प्रशासनिक संस्थाओं को कमजोर करने और सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने से जुड़ी हैं। गोहत्या के नाम पर निर्दोष नागरिकों की हत्याएं हुईं। दलितों को पीटा गया वगैरह। मोदी की एक इमेज तेज तर्रार नेता की है और दूसरी असहिष्णु क्रूर प्रशासक की। दोनों छवियाँ बदस्तूर बनी हैं।  

सरकार के पास एक साल बाकी है। क्या वह अपनी नकारात्मक इमेज को सुधारेगी और सकारात्मक छवि को बेहतर बनाएगी? राजनीतिक हिन्दुत्व पर मोदी के रुख में नरमी कभी नहीं रही। वे अपने प्रतिस्पर्धियों को तुर्की-ब-तुर्की जवाब देने में यकीन रखते हैं। पिछले चार वर्षों को अल्पसंख्यकों और समाज के पिछड़े वर्गों पर हुए हमलों, मानवाधिकार तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों की प्रताड़ना के लिए भी याद रखा जाएगा। पिछले साल फिल्म पद्मावत की रिलीज़ केवल इसलिए टली, क्योंकि उसके खिलाफ आंदोलन चलाने वालों पर काबू पाने की प्रशासनिक कोशिशों में ढील रही।