Showing posts with label उत्सर्जन. Show all posts
Showing posts with label उत्सर्जन. Show all posts

Tuesday, October 5, 2021

कोरोना से कहीं बड़ा है ज़हरीली-हवा का ख़तरा


कोविड-19 के ताजा आँकड़ों के अनुसार इस हफ्ते तक इस बीमारी ने दुनियाभर में 48 लाख के आसपास लोगों की जान ले ली है। करीब एक करोड़ 85 लाख लोग अब भी संक्रमण की चपेट में हैं। यह महामारी मनुष्य-जाति के अस्तित्व के सामने खतरे के रूप में खड़ी है, पर यह सबसे बड़ा खतरा नहीं है। इससे भी ज्यादा बड़ा एक और खतरा हमारे सामने है, जिसकी भयावहता का बहुत से लोगों को अनुमान ही नहीं है।

हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायु गुणवत्ता के नए निर्देश जारी किए हैं, जिनमें कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के साथ वायु प्रदूषण मानव-स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। डब्लूएचओ ने 2005 के बाद पहली बार अपने एयर क्वालिटी गाइडलाइंस को बदला है। नए वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों (एक्यूजी) के अनुसार इस बात के प्रमाण मिले हैं कि प्रदूषित वायु की जो समझ पहले थी, उससे भी कम प्रदूषित वायु से मानव-स्वास्थ्य को होने वाले नुकसानों के सबूत मिले हैं। संगठन का कहना है कि वायु प्रदूषण से हर साल 70 लाख लोगों की अकाल मृत्यु होती है। यह संख्या कोविड-19 से हुई मौतों से कहीं ज्यादा है।

बच्चों की मौतें

नए दिशानिर्देश ओज़ोन, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड और कार्बन मोनोक्साइड समेत पदार्थों पर लागू होते हैं। डब्ल्यूएचओ ने आखिरी बार 2005 में वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसका दुनिया भर के देशों की पर्यावरण नीतियों पर प्रभाव पड़ा था।

सेव द चिल्ड्रन इंटरनेशनल की अगुवाई में जारी की गई एक और रिपोर्ट सिटीज4चिल्ड्रन में बताया गया है कि हर दिन दुनिया में 19 साल से कम उम्र के 93 फीसदी बच्चे भारी प्रदूषित हवा में साँस लेते हैं जो उनके स्वास्थ्य और विकास को खतरे में डालता है। 2019 में वायु प्रदूषण से दुनिया में लगभग पाँच लाख नवजात-शिशुओं की जन्म के महीने भर के भीतर मौतें हुई। बच्चे विशेष रूप से वायु प्रदूषण के प्रति संवेदनशील होते हैं। उनका शरीर बढ़ रहा होता है। वे वयस्कों की तुलना में शरीर के वजन की प्रति इकाई हवा की अधिक मात्रा में साँस लेते हैं, इसलिए अधिक प्रदूषक उनके शरीर के अंदर जा सकते हैं।