शशि थरूर के विचारों को लेकर कांग्रेस के भीतर और बाहर की अटकलों से लगता है कि वे अंततः पार्टी छोड़ देंगे। मुझे नहीं लगता कि वे पार्टी छोड़ेंगे, पर भारतीय-राजनीति में भरोसे के साथ कुछ भी कहना ठीक नहीं। जैसा भी हो, वे पार्टी छोड़ें या नहीं छोड़ें, उनका महत्व कम नहीं होगा, बल्कि बढ़ेगा। अलबत्ता कांग्रेस के आंतरिक-लोकतंत्र को लेकर जो बातें हैं, वे खत्म नहीं होंगी। 2022 में जब मल्लिकार्जुन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे, तब भी दो-तीन बातों की तरफ राजनीतिक-पर्यवेक्षकों का ध्यान गया था। करीब 24 साल बाद कांग्रेस की कमान किसी गैर-गांधी के हाथ में आई थी, पर जिस बदलाव की आशा पार्टी के भीतर और बाहर से की जा रही है, वह केवल इतनी ही नहीं थी। पार्टी के असंतुष्टों की, जिसे जी-23 के नाम से पहचाना गया था, माँग थी कि पार्टी में आंतरिक चुनाव कराए जाएँ। खरगे जी के चुनाव ने एक औपचारिकता को पूरा किया, पर यह सिर्फ औपचारिकता थी। सब जानते थे कि वे ‘परिवार’ के प्रत्याशी हैं।
खरगे जी के आने के बाद ऐसा कभी नहीं हुआ कि पार्टी की कमान उनके हाथों में आ गई हो। राहुल गांधी निर्विवाद रूप से पार्टी के नेता हैं। अध्यक्ष पद का चुनाव हो गया, पर कार्यसमिति का नहीं हुआ। अब 14 फरवरी को पार्टी ने एक बड़ा संगठनात्मक फेरबदल फिर किया है, जिसमें वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की छाप देखी जा सकती है। राहुल गांधी इस समय अजा-जजा, ओबीसी और मुसलमानों पर आधारित राजनीति पर चल रहे हैं। यह राह उन्हें उत्तर भारत में सपा और राजद जैसी पार्टियों की प्रतिस्पर्धा में ले जाएँगी, जो सही राह है। बहरहाल इस आलेख का उद्देश्य पार्टी के आंतरिक-लोकतंत्र पर या पार्टी के राजनीतिक एजेंडा पर विचार करना नहीं है, बल्कि शशि थरूर की वह टिप्पणी है, जो उन्होंने केरल की वाममोर्चा सरकार के बारे में लिखे गए अपने एक लेख में की है।
इस लेख में उन्होंने राज्य में कारोबारियों को दी जा रही सुविधाओं की तारीफ करते हुए लिखा है कि भारत की, और खासतौर से केरल की अर्थव्यवस्था स्टार्टअप छा गए हैं। 2024 ग्लोबल स्टार्टअप इकोसिस्टम रिपोर्ट के अनुसार, जिसने 300 से ज़्यादा उद्यमी नवाचार पारिस्थितिकी तंत्रों में 4.5 मिलियन से ज़्यादा कंपनियों के डेटा का विश्लेषण किया, केरल ने एक स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाया है, जिसका पिछले साल 18 महीने की अवधि के अंत में मूल्य 1.7 अरब डॉलर था, जो इसी अवधि के दौरान वैश्विक औसत से पाँच गुना ज़्यादा था। 1 जुलाई, 2021 और 31 दिसंबर, 2023 के बीच, जबकि दुनिया भर में औसत वृद्धि 46 प्रतिशत थी, केरल ने 254 प्रतिशत की चौंका देने वाली चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की: अभूतपूर्व उपलब्धि।