बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में लग रहे एस्बेस्टस कारखाने के विरोध के सिलसिले में मेरे इस ब्लॉग पर गिरिजेश कुमार का लेख प्रकाशित हुआ था। इसे मैने अपने फेसबुक स्टेटस पर भी लगाया था। मेरा उद्देश्य विचार-विमर्श को आगे बढ़ाने का था। जब बात आगे बढ़ती है तब अनेक तथ्य भी सामने आते हैं। हमें नई बातें पता लगतीं हैं। कई बार हम अपनी दृढ़ धारणाओं से हटते भी हैं। फेसबुक पर चर्चाएं बहुत गम्भीर नहीं होतीं। गिरिजेश जी को उम्मीद थी कि उनकी बात का समर्थन करने वाले आगे आएंगे। कुछ लोगों ने समर्थन किया भी, पर एक मित्र उनसे सहमत नहीं हुए। गिरिजेश जी ने मुझे जो मेल लिखा है उसे मैं नीचे दे रहा हूँ। पर उसके पहले दो-एक बातें मैं अपनी तरफ से लिखना चाहता हूँ।
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Friday, February 18, 2011
एस्बेस्टस कारखाना
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एस्बेस्टस कारखाना,
पर्यावरण,
बिहार,
मुजफ्फरपुर

Witness of four electrifying decades of Hindi Media. Seventies to the first decade of twenty first century. Last assignment : Sr Resident Editor, Hindustan, Delhi. Now works as independent writer. Lives in Ghaziabad
Monday, February 14, 2011
मुज़फ्फरपुर जिले का एस्बेस्टस कारखाना
मेरे ब्लॉग पर गिरिजेश कुमार का यह दूसरा आलेख है। इसमें वे विकास से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों को उठा रहे हैं। क्या इस कारखाने को स्वीकार करते वक्त पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी हुई है। बेहतर हो कि यदि किसी के पास और जानकारी हो तो भेजें। इस आलेख के साथ दो चित्र हैं। ये विरोध मार्च की तस्वीरें हैं| इसी मुद्दे पर पटना में १० फ़रवरी को आयोजित इस मार्च में कई बुद्धिजीवी शामिल हुए थे|
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