सुप्रीम कोर्ट ने कॉरपोरेट लॉबीस्ट नीरा राडिया के साथ प्रभावशाली
लोगों की बातचीत से जुड़े छह मामलों में आगे जाँच के आदेश देकर इसे तार्किक परिणति
तक पहुँचा दिया है। नीरा राडिया की नौकरशाहों, कारोबारियों और नेताओं
के साथ रिकार्ड की गई बातचीत के बारे में अदालत ने कहा है कि पहली नजर में इसमें सरकारी
अधिकारियों और निजी उद्यमियों की ‘मिलीभगत’ से किसी ‘गहरी साजिश’
का पता चलता है। बातचीत से जाहिर होता है कि प्रभावशाली लोग
किसी दूसरे मकसद से निजी लाभ उठाने के लिए भ्रष्ट तरीके अपनाते हैं। नीरा राडिया मामला
हमारी व्यवस्था के भीतर छिपे भ्रष्ट-आचरण और उसके निराकरण की सामर्थ्य का टेस्ट-केस
साबित होगा। अभी तक यह मामला टू-जी के साथ पुछल्ले की तरह जुड़ा था। अब यह पूरी तरह
स्वतंत्र मामलों का एक समूह बनेगा। अदालत ने इसके पहले सीबीआई को फटकार लगाई थी कि
वह इसे केवल टू-जी से जोड़कर न चले। अब कोर्ट ने मिली-भगत और गहरी साजिश जैसे शब्दों
का प्रयोग करके इस मामले को काफी महत्वपूर्ण बना दिया है। सम्भव है कल केवल ये टेप
देश के रूपांतरण के सूत्रधार बनें।
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Sunday, October 20, 2013
Sunday, November 28, 2010
नीरा राडिया टेप मामले से उठे सवाल
रतन टाटा के करीबी सूत्रों के अनुसार सम्भवतः वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे। रतन टाटा देश के सम्मानित उद्योगपति हैं और उनके संस्थान की देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका है। वे चाहते हैं कि यह देश बनाना रिपब्लिक न बनने पाए। यानी यहाँ ताकतवर लोग जो मन में आए वह न करा पाएं। वास्तव में एक सभ्हय और सुसंस्कृत देश के रूप में हमारी साख का सवाल है।
रतन टाटा के करीबी सूत्रों के अनुसार सम्भवतः वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे। रतन टाटा देश के सम्मानित उद्योगपति हैं और उनके संस्थान की देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका है। वे चाहते हैं कि यह देश बनाना रिपब्लिक न बनने पाए। यानी यहाँ ताकतवर लोग जो मन में आए वह न करा पाएं। वास्तव में एक सभ्हय और सुसंस्कृत देश के रूप में हमारी साख का सवाल है।
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