घोषित कार्यक्रम के अनुसार कांग्रेस के अध्यक्ष पद की चुनाव प्रक्रिया 21 अगस्त से 20 सितंबर के बीच पूरी की जानी है। चुनाव की तारीख कार्यसमिति तय करेगी। अभी तक कार्यसमिति की बैठक का कार्यक्रम तय नहीं है। इस चुनाव में सभी राज्यों के 9,000 से अधिक प्रतिनिधि मतदाता होंगे। मधुसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता में पार्टी की चुनाव-समिति ने कहा है कि हम समय पर चुनाव के लिए तैयार हैं। फिर भी लगता नहीं कि चुनाव हो पाएंगे। राज्यों के अध्यक्षों का चुनाव भी 20 अगस्त तक होना था, लेकिन यह प्रक्रिया किसी भी राज्य में पूरी नहीं हुई है।
चुनाव टलते जाने की सबसे बड़ी वजह यह है कि
राहुल गांधी फिर से इस पद पर वापसी के लिए तैयार नहीं हैं और पार्टी किसी दूसरे
व्यक्ति के नाम को लेकर मन बना नहीं पाई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि
राहुल गांधी ही इस पद पर आएं या फिर परिवार का कोई दूसरा सदस्य इस पद पर आए। पर राहुल
और सोनिया गांधी कई बार कह चुके हैं कि गांधी परिवार से अब कोई अध्यक्ष नहीं
बनेगा।
अब सुना जा रहा है कि किसी ऐसे नेता को पार्टी की कमान सौंपने की तैयारी की जा रही है, जो परिवार का विश्वस्त हो। शायद कुछ नेता खुद को दावेदार मानते हैं, पर वे खुलकर नहीं कहते। चुनाव की खुली घोषणा हो, तो नाम सामने आ भी सकते हैं। पर परिवार किसी एक नाम का इशारा करेगा, तो उसपर सहमति बन जाएगी। इस बीच जो नाम निकल कर आ रहे हैं, उनमें अशोक गहलोत, मल्लिकार्जुन खड़गे, मुकुल वासनिक, सुशील कुमार शिंदे, मीरा कुमार, कुमारी शैलजा और केसी वेणुगोपाल शामिल हैं। पर ज्यादातर कयास हैं।
राहुल गांधी भले ही
अध्यक्ष पद लेने को तैयार नहीं हैं, पर वे पूरी तरह सक्रिय हैं। उन्होंने हाल में राज्य
इकाइयों के साथ कई बैठकें की हैं। 2024 के आम चुनाव से पहले उन्होंने देश के हर
जिले का दौरा करने की भी योजना बनाई है। वे 7 सितंबर से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की
शुरुआत कन्याकुमारी से करने वाले हैं। यह यात्रा
लंबी चलेगी, इसीलिए अगर तब तक चुनाव नहीं हुए, तो इसमें और
देरी होगी।
पहले घोषित कार्यक्रम
के अनुसार प्रदेश कांग्रेस कमेटियों द्वारा प्रदेश अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और पीसीसी
कार्यकारी और एआईसीसी सदस्यों का चुनाव 20 अगस्त तक होना था। एआईसीसी
अध्यक्ष का चुनाव 21 अगस्त से 20 सितंबर के बीच होना है। एआईसीसी सदस्यों द्वारा सीडब्ल्यूसी सदस्यों और
अन्य निकायों का चुनाव सितंबर-अक्टूबर में होगा। उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्य में तो अरसे से अध्यक्ष ही नहीं हैं।
यूपी में तो कोई है ही नहीं और बिहार में इस्तीफा देने के बाद भी मदन मोहन झा ही
काम देख रहे हैं।
देश की निगाहें अब
गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों पर हैं। अगले साल कर्नाटक, छत्तीसगढ़
और मध्य प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। पर राजनीति की निगाहें इससे आगे हैं, वह
2024 और 2029 के लोकसभा चुनावों और भविष्य के गठबंधनों के बारे में सोचने लगी हैं।
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