हालांकि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान फिलहाल गिरफ्तारी से बचे हुए हैं, पर लगता है कि तोशाखाना केस में वे घिर जाएंगे. इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने उनके गिरफ्तारी वारंट पर फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसका मतलब है कि अदालत ने इस मामले में फौरन रिलीफ नहीं दी है. लाहौर हाई कोर्ट ने पहले गुरुवार सुबह 10 बजे तक ज़मान पार्क में पुलिस-कार्रवाई पर रोक लगाई और फिर उसे एक दिन के लिए और बढ़ा दिया. इससे फिलहाल टकराव रुक गया है, पर राजनीतिक-संकट कम नहीं हुआ है. वस्तुतः गिरफ्तारी हुई, तो एक नया संकट शुरू होगा. और नहीं हुई, तो एक नज़ीर बनेगी, जो देश की कानून-व्यवस्था के लिए सवाल खड़े करेगी. उधर तोशाखाना केस की सुनवाई कर रहे जज ने कहा है कि इमरान अदालत में हाजिर हो जाएं, तो गिरफ्तारी वारंट वापस हो जाएगा.
पाकिस्तान के वर्तमान राजनीतिक-आर्थिक और
सामरिक संकटों का हल तभी संभव है, जब वहाँ की राजनीतिक-शक्तियाँ एक पेज पर आएं. ताजा
खबर है कि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने इसकी पेशकश की है, और इमरान ने कहा है कि देशहित में मैं किसी से भी बात करने को तैयार
हूँ। फिर भी इसकी कल्पना अभी नहीं की जा सकती है. सरकार और इमरान के
राष्ट्रीय-संवाद के बीच तमाम अवरोध हैं। बहरहाल जो टकराव चल रहा है, उसे किसी
तार्किक परिणति तक पहुँचना होगा. इस संकट की वजह से अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष का
बेलआउट पैकेट खटाई
में पड़ा हुआ है.
आर्थिक-संकट
पाकिस्तान की कोशिश है कि अमेरिका की मदद से मुद्राकोष के रुख में कुछ नरमी आए. पिछले हफ्ते देश के वित्त सचिव हमीद याकूब शेख ने कहा था कि पैकेज की घोषणा अब कुछ दिन के भीतर ही हो जाएगी. यह बात पिछले कई हफ्तों से कही जा रही है. मुद्राकोष देश की वित्तीय और खासतौर से राजनीतिक-स्थिति को लेकर आश्वस्त नहीं है. दूसरी तरफ ऐसी अफवाहें उड़ाई जा रही हैं कि आईएमएफ ने देश के नाभिकीय-मिसाइल कार्यक्रम को रोकने की शर्त भी लगाई है. इसपर सरकार ने सफाई भी दी है.
चीन, सऊदी अरब और कुछ अन्य देशों ने पाकिस्तान
की पैरवी की है, पर आईएमएफ को भरोसा नहीं है. दूसरे पाकिस्तान का कहना है कि गैप
पाँच अरब डॉलर का है, जबकि आईएमएफ का अनुमान है कि पाँच नहीं, सात अरब डॉलर का गैप
है. आईएमएफ इमरान खान की पार्टी की ओर से भी आश्वासन चाहता है कि इसबार समझौते को
तोड़ा नहीं जाएगा.
गिरफ्तारी का दबाव
इमरान खान पर गिरफ्तारी का दबाव है. उन्हें 18
मार्च को अदालत में पेश होना है. वे इसके पहले पेश हो जाते, तो गिरफ्तारी वारंट की
जरूरत नहीं पड़ती, जिसपर तामील के लिए पुलिस उनके घर पर पहुँची थी. इमरान को कहना
है कि मैंने पुलिस को और लाहौर हाई कोर्ट के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को अंडरटेकिंग
दी है कि मैं 18 तारीख को अदालत में पेश होऊंगा. इसके
बाद मुझे गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता, लेकिन बदनीयती की
वजह से इसे नजरंदाज किया जा रहा है.
बात केवल इमरान की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है,
बल्कि देश के राजनीतिक भविष्य की है. अब सवाल है कि क्या नवाज़ शरीफ की वापसी होगी? क्या इमरान खान को चुनाव लड़ने से वंचित किया जा सकेगा? ऐसा नहीं हो पाया, तो क्या इमरान खान की जोरदार वापसी होगी? पाकिस्तानी सेना और अमेरिकी-प्रशासन क्या ऐसा होने देगा?
अर्थव्यवस्था की चाभी
अमेरिका के हाथ में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था
की चाभी है. प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने देश के बिगड़ते आर्थिक हालात और
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से लोन मिलने में देरी के लिए इमरान ख़ान को
ज़िम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा, आईएमएफ से किए गए
वायदों पर इमरान ख़ान पलट गए, मुझे भी नहीं पता था कि इस वजह से पाकिस्तान
पर आईएमएफ का भरोसा टूटा था.
दिक्कत यह है कि आईएमएफ से बेलआउट मिलने पर भी
फौरी तौर पर जनता की मुसीबतें बढ़ेंगी. देश को पटरी पर लाने में समय लगेगा. क्या
देश की राजनीति जनता का धीरज बँधाने में कामयाब हो सकती है? यह सच है कि इमरान खान ने कई तरह के यू-टर्न लिए हैं, जिनमें आईएमएफ
का बेलआउट भी शामिल है. इस समय देश को जिस राजनीतिक एकता की जरूरत है, वह
अनुपस्थित है.
इसी वजह से भारत के साथ रिश्तों की बहाली संभव
नहीं हो पा रही है, जो देश की अर्थव्यवस्था को रास्ते पर लाने और दक्षिण एशिया में
सहयोग और शांति का माहौल बनाने के लिए एक जरूरी शर्त है.
कानूनी धर्मसंकट
अभी तक दूसरे मामलों में इमरान की गिरफ्तारी
ऊँची अदालतों के आदेशों से रुक गई थी, पर अब अदालत के सामने भी धर्म-संकट है.
इमरान को छूट मिली, तो यह सामान्य नागरिकों के लिए भी नज़ीर बन जाएगी. फिलहाल
दुनिया की निगाहें लाहौर के ज़मान पार्क पर लगी हैं, जिस इलाके में इमरान खान का
रिहाइशगाह है.
बुधवार की शाम तक इस्लामाबाद और लाहौर की पुलिस
ज़मान पार्क में मौजूद थी, जहां पीटीआई के कार्यकर्ताओं ने मोर्चाबंदी करके पुलिस
को रोक रखा था. इमरान के घर के बाहर तहरीक़-ए-इंसाफ़ पार्टी (पीटीआई) के समर्थक भारी
संख्या में मौजूद थे. पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश में आँसू गैस के गोले छोड़े,
जवाब में भीड़ ने पुलिस पर पत्थर और ईंट फेंके.
अदालतों पर तंज
यह राजनीतिक लड़ाई ऐसी शक्ल ले चुकी है, जिसमें
सेना और अदालतें दोनों लपेटे में आ गई हैं. सूचना मंत्री मरियम औरंगज़ेब ने अदालतों
पर तंज़ कसते हुए कहा है कि इमरान की गिरफ्तारी के लिए गई पुलिस गैर-हथियारबंद है,
फिर भी गिलगित बल्तिस्तान फ़ोर्स को इस्तेमाल करते हुए पंजाब पुलिस और रेंजरों को ज़ख़्मी किया जा रहा है. उनकी इस बात
के बाद संघीय सरकार ने गिलगित-बल्तिस्तान के आईजी का तबादला कर दिया.
इस्लामाबाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस से ख़िताब करते
हुए उन्होंने कहा, अगर इमरान ख़ान को पहले वारंट जारी कर के बाद में रिलीफ़ ही देना
है तो पुलिस वालों के सर ना फुड़वाएं। ये नहीं हो सकता कि एक तरफ़ पुलिस अदालत के
अहकामात की तामील के लिए जाए और दूसरी जानिब इमरान को अदालतों से ही छूट मिलती
रहे.
उन्होंने यह भी कहा कि अदालतें अगर उनके पहले के
अपराधों पर गिरफ़्तारी के आदेश जारी करतीं, तो सूरते-हाल यहां तक ना पहुँचती। अगर अब
अदालत से इमरान ख़ान के वारंट-गिरफ़्तारी को मंसूख़ किया गया, या उसमें ढील दी गई, तो
अदालतों को ऐसा ही रिलीफ़ पाकिस्तान के हर शहरी को देना होगा.
अब तलवारें दोनों तरफ से खिंच गई हैं. उधर इमरान
ख़ान ने अपने पैग़ाम में कहा है कि गिरफ्तारी सिर्फ ड्रामा है. ये लोग मुझे मार
डालना चाहते हैं. मेरी गिरफ़्तारी की सूरत में भी क़ौम जद्दोजहद जारी रखे. मेरे साथ
कुछ हुआ या मेरी जान गई, तो आपको साबित करना है कि आप इमरान खान के बगैर ही लड़ाई
जारी रखेंगे और इन चोरों-लुटेरों और एक आदमी की गुलामी को स्वीकार नहीं करेंगे. कौन
है यह ‘एक आदमी?’
नवाज शरीफ
यह ‘एक आदमी’ है नवाज़ शरीफ, जो
लंदन में है और देश वापस आना चाहता है, पर उसके पहले इमरान खान को उसी जगह पर
पहुँचाना चाहता है, जहाँ इमरान खान ने उसे पहुँचा दिया था. पर यह आसान काम नहीं
है. नवाज़ शरीफ की छवि खराब हो चुकी है और इमरान के पीछे काफी बड़ा हुजूम है, जो
इस बात से मुतमइन है कि अमेरिका ने इमरान का तख्ता पलटा है.
अब सवाल दूसरे हैं. हाईकोर्ट उनकी गिरफ्तारी को
स्वीकार कर ले, तब वे सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे. गिरफ्तारी हो भी गई, तब भी उन्हें राजनीतिक
लाभ मिलेगा. उनके प्रतिस्पर्धी चाहते हैं कि वे चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित
हो जाएं. ऐसा होने पर भी वे पार्टी का संचालन तो करते ही रहेंगे. इमरान ने कहा है,
मैं चाहे जेल में रहूं या फिर कहीं और, वे मेरी पार्टी
को जीतने से रोक नहीं पाएंगे.
प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए विदेश में मिले सरकारी
तोहफ़ों को निजी-फायदे में बेचने के मामले में कोर्ट ने इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी
का आदेश दिया है. चुनाव आयोग ने उन्हें इस मामले में दोषी पाया है जिसके बाद इस
मामले की आपराधिक जांच जारी है. वे दोषी साबित हुए तो उन पर चुनाव लड़ने को लेकर
पाबंदी लग सकती है.
इमरान का कहना है कि उन्होंने कोई क़ानून नहीं
तोड़ा और ये तोहफ़े कानूनी तौर पर बेचे गए थे. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री पद
छोड़ने के बाद से उनके ख़िलाफ़ 76 मामले दर्ज किए गए हैं.
भारत से रिश्ते
पाकिस्तान की लड़खड़ाती गाड़ी को रास्ते पर
लाने के लिए भारत के साथ बातचीत शुरू करने और दोनों देशों के उच्चायुक्तों की फिर
से तैनाती करने की पेशकश भी है. पर ऐसे हालात में भारत से बातचीत की पहल करना भी
जोखिम मोल लेना होगा. पाकिस्तान में काफी लोग मानते हैं कि देश को जुनूनी रास्ते
से हटाने और आर्थिक गतिविधियों को तेज करने की जरूरत है, पर उनकी आवाजें
नक्कारखाने के शोर में दब जाती हैं.
गत 9 मार्च को अमेरिकी प्रशासन ने भी कहा था कि
अमेरिका, भारत और पाकिस्तान के बीच रचनात्मक बातचीत तथा
सार्थक कूटनीति का समर्थन करता है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस
ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वार्ता की प्रकृति के बारे में फैसला
भारत-पाकिस्तान को करना है और अगर दोनों देश चाहें, तो
अमेरिका इसमें अपनी भूमिका निभाने को तैयार है.
प्राइस से पूछा गया था कि अमेरिका दोनों देशों के
बीच मध्यस्थता करने में समर्थ है, तो वह मध्यस्थ की भूमिका क्यों नहीं निभाता? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अमेरिका उस प्रक्रिया को निर्धारित
नहीं करता, जिसके तहत भारत और पाकिस्तान एक दूसरे से
वार्ता करें.
आवाज़ द वॉयस में प्रकाशित लेख का अद्यतन रूप
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