पिछले मंगलवार यानी 4 अगस्त को लेबनॉन के बेरूत शहर के बंदरगाह में हुए विस्फोट ने दुनियाभर को हिला दिया है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक इस विस्फोट से मरने वालों की संख्या 137 हो चुकी थी। कहने वालों का तो कहना है कि पाँच हजार से ज्यादा लोग मरे हैं। अब भी मलबे के नीचे से लाशें निकाली जा रही हैं और कहना मुश्किल है कि संख्या कितनी होगी। घायलों की संख्या भी हजारों में है। कम से कम तीन लाख परिवार इस हादसे में बेघरबार हो गए हैं। अभी तक यही लग रहा है कि यह विस्फोट बंदरगाह के भंडारागारों में रखे बड़ी मात्रा में रसायनों के कारण हुआ है, पर कई तरह की अटकलें और कयास अब भी लगाए जा रहे हैं।
बेरूत शहर अतीत
में कई तरह की साम्प्रदायिक और आतंकवादी हिंसा का शिकार होता रहा है। इसीलिए इसे
लेकर इतने कयास हैं। धमाका उस जगह के काफ़ी पास हुआ है, जहाँ 2005 में पूर्व प्रधानमंत्री रफ़ीक हरीरी
कार बम धमाके में मारे गए थे। इस मामले में चार अभियुक्तों के ख़िलाफ़ नीदरलैंड्स
की विशेष अदालत मुकदमा चल रहा था, जिसका फैसला पिछले शुक्रवार यानी 7 अगस्त को आना
था। अब इसे 18 अगस्त तक के लिए टाल दिया गया है। पहली नजर में लगता नहीं कि इस
मामले से विस्फोट का कोई संबंध है, पर जाँच में सभी संभावनाओं पर विचार किया जाएगा।
ढाई सौ किमी दूर
तक धमाके
विस्फोट इतना भयानक था कि यह ढाई सौ किलोमीटर दूर सायप्रस तक सुनाई पड़ा। विस्फोट के बाद धुएं का गुबार उसी तरह उठा जैसा अणु विस्फोट के बाद उठने वाला मशरूम होता है। धमाके के बाद जबर्दस्त ऊँचाई तक धुआँ उठा और नौ किलोमीटर दूर बेरूत अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पैसेंजर टर्मिनल में शीशे टूट गए, उससे इसकी तीव्रता का अंदाज़ा होता है। बेरूत से 250 किलोमीटर दूर साइप्रस तक में धमाके की आवाज़ सुनाई पड़ी। अमेरिका के जियोलॉजिकल सर्वे के भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक़ धमाका 3.3 तीव्रता के भूकंप जैसा था।
सन 1945 के
हिरोशिमा-नगासाकी नाभिकीय विस्फोटों की वर्षगाँठ के ठीक पहले होने के कारण सारी
दुनिया को यह एक डरावने स्वप्न जैसा लग रहा है। विस्फोट की तस्वीरें जब पहली बार
सोशल मीडिया पर उजागर हुईं, तो बहुत से लोगों की पहली प्रतिक्रिया थी कि कहीं यह
एटमी धमाका तो नहीं था। दुनियाभर का आज सबसे बड़ा अंदेशा यही है कि किसी आतंकी
गिरोह के हाथ किसी रोज एटम बम लग गया, तो क्या होगा?
अमोनियम नाइट्रेट
इस हादसे की
शुरुआती पड़ताल के अनुसार शहर के वॉटरफ्रंट के भंडारागार हैंगर 12 में पहले आग
लगी, जिसे वहाँ रखे अमोनियम नाइट्रेट ने पकड़ लिया। बड़ी मात्रा में वहाँ पिछले छह
साल से अमोनियम नाइट्रेट रखा हुआ था। अमोनियम नाइट्रेट तीव्र विस्फोटक है, जिसका
इस्तेमाल आमतौर पर नाइट्रोजन के स्रोत के रूप में उर्वरक में होता है। इसे अमोनिया
और नाइट्रिक एसिड की प्रतिक्रिया से तैयार किया जाता है। लंबे समय के लिए स्टोर
करने पर यह वातावरण की नमी सोखने लगता है और आख़िर में एक बड़ी सी चट्टान में बदल
जाता है। यही अमोनियम नाइट्रेट को बेहद ख़तरनाक बना देता है क्योंकि अगर वह आग के
संपर्क में आया तो ज़बरदस्त रासायनिक प्रतिक्रिया की संभावना बन जाती है।
जब अमोनियम
नाइट्रेट में धमाका होता है तो इससे नाइट्रोजन ऑक्साइड और अमोनिया जैसी जहरीली
गैसें निकलती हैं। ज़बरदस्त धमाके की ताक़त रखने वाले इस केमिकल कम्पाउंड
(रासायनिक यौगिक) का इस्तेमाल दुनिया भर की सेनाएं विस्फोटक के तौर पर करती हैं। खनन
उद्योग के लिए विस्फोटक तैयार करने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। और
आतंकवादी गिरोह भी इसका इस्तेमाल करते हैं। जुलाई 2011 में मुम्बई में तीन जगह विस्फोट हुए थे,
जिनमें अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल हुआ था। इसके पहले के धमाकों में
भी हुआ।
अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल खेती में होता है। अमेरिका
में फरवरी
1993 में न्यूयॉर्के के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को उड़ाने की कोशिश करने वालों ने
अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया था। उसके बाद से अमेरिका, कनाडा और अन्य पश्चिमी देशों ने ऐसा नेटवर्क बनाया है कि
कहीं भी अमोनियम नाइट्रेट की अस्वाभाविक खरीद-फरोख्त होती है तो अलर्ट मिल जाती
है। इसके बावजूद सन 1995 में अमेरिका के ओकलाहामा शहर में हुए
विस्फोटों में भी इस रसायन का इस्तेमाल हुआ था। उस विस्फोट में 168 व्यक्तियों की
मौत हुई थी। अमेरिका के इतिहास में 9/11 के आतंकी
हमलों के पहले यह सबसे भयानक आतंकी हमला था। सन 1921 में जर्मनी के ओप्पाउ शहर में
अमोनियम नाइट्रेट के कारण एक कारखाने में धमाका हुआ था। उस वक़्त अमोनियम नाइट्रेट
की मात्रा 4,500 टन थी और दुर्घटना में 500 से ज़्यादा लोग मारे गए थे।
साजिश तो नहीं?
बेरूत के इस
विस्फोट के स्रोत का पता लग जाने के बाद भी सवाल है कि यह दुर्घटना थी या कोई
साजिश? यह बात काफी लोगों को
पता थी कि यहाँ अमोनियम नाइट्रेट भारी मात्रा में रखा है। यह रसायन एक माल्डोवियन कार्गो शिप
एमवी रोसूस से 2013 में बेरूत पोर्ट पहुँचा था। जॉर्जिया से मोज़ाम्बीक जाते समय
इस जहाज़ में कोई तकनीकी समस्या आ गई थी, जिस कारण इसे बेरूत पोर्ट
में रुकना पड़ा था।
जिसे जॉर्जिया भेजा जाना था। किसी
तकनीकी खराबी के कारण उसे लादकर ले जा रहे जहाज को बेरूत में रुकना पड़ा। इस जहाज
में 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट था। इस रसायन के स्वामी ने इसे बेरूत में ही पड़ा
रहने दिया। स्थानीय अधिकारियों ने इसे भंडारागार में रखवा दिया। इसे यहाँ से हटा
लेना चाहिए था, पर ऐसा हो नहीं पाया। अब इस गतिविधि से जुड़े अधिकारियों को
गिरफ्तार करके उनसे पूछताछ की जा रही है।
इस विस्फोट से लेबनॉन को कई तरह के धक्के एक साथ लगे हैं। एक तो कोरोना वायरस
के कारण देश की अर्थव्यवस्था पहले से धक्के खा रही थी, अब लाखों लोगों के पुनर्वास
की समस्या सामने आकर खड़ी हो गई है। तमाम वित्तीय और बैंकिंग संस्थाएं इससे
प्रभावित हुई हैं। देश का बहुत बड़ा खाद्य भंडार भी इस विस्फोट में तबाह हो गया
है। अब इस देश के पास केवल एक महीने का अनाज बचा है। शहर की बिजली पानी की सप्लाई
ठप हो गई है और उसे ठीक कर पाना आसान नहीं है। माना जा रहा है कि इस साल लेबनॉन की
अर्थव्यवस्था 12 प्रतिशत संकुचित हो जाएगी।
सरकारी बेरुखी
इस हादसे के बाद राष्ट्रपति
मिशेल आउन ने ट्वीट कर कहा, इस बात को एकदम स्वीकार नहीं किया जा सकता। भला 2,750 टन विस्फोटक नाइट्रेट असुरक्षित तरीक़े से भंडारागार
में रखा गया था। इस हादसे ने सरकार की दिक्कतें बढ़ा दी हैं। देश में पिछले एक साल से जनता भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट के विरोध में आंदोलन
चला रही है। अब इस विस्फोट के बाद आंदोलन का रुख बदल गया है और लोग सवाल पूछ रहे
हैं कि हादसे का जिम्मेदार कौन है?
बताया जाता है कि
पिछले छह-सात साल में कम से कम छह बार अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी चाही थी
कि इस रसायन का क्या किया जाए। कहा जा रहा है कि सरकार की बेरुखी इस हादसे का सबसे
बड़ा कारण है। छह महीने पहले एक टीम ने जाँच के बाद कहा था कि इस रसायन को हटाया
नहीं गया, तो पूरा बेरूत तबाह हो जाएगा। अस्सी के दशक में गृहयुद्ध के शिकार हुए
लेबनॉन में जन जीवन को सामान्य बनाने के प्रयास चल रहे हैं।
लापरवाही के कारण एक दुखद घटना का होना।
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