Monday, August 20, 2012

विकीलीक्स की साख पर राजनीति का साया

विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज को जानने वालों की संख्या हमारे देश में ज्यादा नहीं है, पर जो जानते हैं वे उनके साहस की तारीफ करते हैं। विकीलीक्स धीरे-धीरे एक वैश्विक शक्ति बनता जा रहा है। यह पत्रकारिता वह मिशनरी पत्रकारिता है, जो इस कर्म का मर्म है। जिस तरह से विकीपीडिया ने ज्ञान की राह खोली है उसी तरह विकीलीक्स ने इस ज़माने की पत्रकारिता का रास्ता खोला है। पर यह रास्ता बेहद खतरनाक है। इसमें मुकाबला दुनिया की ताकतवर सरकारों से है। पर उसे यह भी साबित करना होगा कि यह न तो कोई खुफिया संस्था है और न अमेरिका-विरोधी। यह सिर्फ अनाचार और स्वयंभू सरकारों के विरुद्ध है। इसने अमेरिका, चीन, सोमालिया, केन्या और आइसलैंड तक हर जगह असर डाला है। कुछ समय पहले तक कोई नहीं जानता था कि इसके पीछे कौन है। बाद में ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार जूलियन असांज सामने आए। दुनिया की सबसे ताकतवर सरकारों के बारे मे निगेटिव सामग्री का प्रकाशन बेहद खतरनाक है। विकीलीक्स के पास न तो इतना पैसा है और न ताकत। अदालतें उसके खिलाफ कार्रवाई करतीं है। पर धीरे-धीरे इसे दुनिया के सबसे अच्छे वकीलों की सेवाएं मुफ्त मिलने लगीं हैं। जनता के दबाव के आगे संसदें झुकने लगीं हैं।
इस वक्त जूलियन असांज मुश्किल में हैं। लंदन की एक इमारत के एक कमरे में वे रह रहे हैं। इमारत को चारों ओर से ब्रिटिश पुलिस ने घेर रखा है। पुलिस इमारत के उस हिस्से में प्रवेश नहीं कर सकती, जिसमें इक्वेडोर का दूतावास है। राजनय के नियम उसे रोकते हैं। इमारत से बाहर निकलते हा पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेगी और स्वीडन को प्रत्यर्पित कर देगी, क्योंकि वहाँ चल रहे एक मुकदमें में उनकी ज़रूरत है। असांज इस इमारत में पिछले दो महीने से रह रहे हैं। इसके पहले उन्होंने ब्रिटिश अदालतों में कई अपीलें कीं कि उनका प्रत्यर्पण न किया जाए। उन्हें डर है कि स्वीडन की सरकार उन्हें अमेरिका को सौंप देगी, जहाँ उनकी हत्या कर दी जाएगी। पिछले गुरुवार को इक्वेडोर सरकार ने उन्हें अपने देश में शरण देने की घोषणा कर दी। पर असांज दूतावास की इमारत से बाहर नहीं निकल सकते। बाहर आते ही वे पकड़ लिए जाएंगे। उन्हें बचाने के तमाम तरीके खोजे जा रहे हैं। एक तरीका यह है कि इक्वेडोर उन्हें अपना नागरिक बनाकर दूतावास में राजनयिक के रूप में नियुक्त करके उन्हें सुरक्षा प्रदान करे। पर इसके लिए ब्रिटिश शासन की सहमति की ज़रूरत है। उन्हें वह संयुक्त राष्ट्र में अपना दूत भी बना सकता है। स्पेन के विश्व प्रसिद्ध मानवाधिकारवादी वकील बाल्सर गार्ज़न उनके मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने वाले हैं।

मानवाधिकारों की रक्षा के मामले में इक्वेडोर का कोई अच्छा इतिहास नहीं है। इसके विपरीत अमेरिका और ब्रिटेन दुनिया भर के विद्रोहियों को मानवाधिकार के नाम पर शरण देते हैं। इक्वेडोर की वामपंथी सरकार का रुख अमेरिका विरोधी रहता है, पर वह इतनी ताकतवर नहीं कि राजनयिक स्तर पर अमेरिका और इंग्लैंड का सामना कर सके। न्याय विशेषज्ञों का कहना है कि शरणार्थियों के बाबत संयुक्त राष्ट्र घोषणा के अनुसार शरणार्थी वह व्यक्ति है जिसे प्रजाति, धर्म, राष्ट्रीयता, किसी सामाजिक या राजनीतिक विचार के कारण अपने देश को छोड़ना पड़ा हो, जहाँ उसे संरक्षण नहीं मिल पा रहा हो। पर असांज पर इस किस्म का खतरा नहीं है। उनके खिलाफ यौन शोषण की एक शिकायत है, जिसके लिए स्वीडन में उनपर मुकदमा चलाया जा रहा है। वे क्यों उस मुकदमे से बच रहे हैं? सवाल यह भी है कि ब्रिटेन और स्वीडन की सरकारों ने इसे इतना बड़ा सवाल क्यों बनाया है? अमेरिका ने तो अभी असांज को माँगा भी नहीं है। लगता है कि सारी बातों के पीछे कोई बात ज़रूर है।

इक्वेडोर के विदेश मंत्री रिकार्डो पैटिनो का कहना है, हम इस बात से सहमत हैं कि असांज को राजनीतिक निशाना बनाया जाएगा और उन्हें अमेरिका प्रत्यर्पित किया जा सकता है। असांज ने जो सूचनाएं जारी की हैं और उन सूचनाओं को जिन देशों में छापा गया है उनकी तरफ से जवाबी कार्रवाई की आशंका है। इसमें असांज को खतरा हो सकता है उनकी ज़िंदगी खतरे में पड़ सकती है। इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि अगर असांज को अमेरिका प्रत्यर्पित कर दिया जाएगा तो उनकी सुनवाई निष्पक्ष नहीं होगी। विकीलीक्स का समर्थन करने वाले ज्यादातर लोगों की यही राय है। असांज को जब समझ में आया कि वे बुरी तरह से फँस गए हैं तो उन्होंने बचाव के रास्ते खोजे। उन्हें इक्वेडोर के राष्ट्रपति रफेल कोरेया का सहारा मिला और अपनी गिरफ्तारी का आदेश जारी होते ही वे लंदन में इक्वेडोर के दूतावास में सीधे चले गए। इससे पहले ब्रिटेन के सर्वोच्च न्यायालय ने असांज की उस अपील को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने प्रत्यर्पण संबंधी कार्रवाई पूरी होने से पहले उन्हें दो हफ्ते की मोहलत देने की अपील की थी। विकीलीक्स के लिए काम करने वाली दो महिलाओं ने 2010 में असांज पर बलात्कार और यौन शोषण के आरोप लगाए थे। इन्हीं आरोपों के सिलसिले में स्वीडिश अभियोजक उनसे पूछताछ करना चाहते हैं। असांज का कहना है कि यौन सम्बन्ध सहमति से बने थे। और ये आरोप राजनीतिक कारणों से लगाए गए हैं, क्योंकि विकीलीक्स ने जिन दस्तावेजों को उजागर किया उनके कारण अमेरिका की सरकार उनसे बदला लेना चाहती है।

लगता है कि असांज और इक्वेडोर सरकार के बीच एक अरसे से बातचीत हो रही थी। इक्वेडोर ऐसे समय में असांज का समर्थन कर के खुद को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थक दिखाना चाहता है जब उसकी अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर आलोचना हो रही है। इक्वेडोर की संसद ने प्रस्ताव पास करके असांज को दी गई राजनीतिक शरण के खिलाफ सक्रिय शक्तियों की निन्दा की है। यह मामला अब राजनीतिक बन गया है। अमेरिका को विकीलीक्स के उन दस्तावेज़ों और वीडियो फिल्मों के प्रकाशन से धक्का लगा, जिनका सम्बन्ध अफगानिस्तान से था। अमेरिका का मानना है कि असांज की पत्रकारिता के साथ राजनीति भी जुड़ गई है। शुरू में ऐसा लगता था कि असांज की पत्रकारिता का निशाना अनेक देश हैं, पर अंततः उसके निशाने पर अमेरिका ही है। तेल निर्यात करने वाले इक्वेडोर का लगभग आधा कारोबार अमेरिका के साथ होता है। पर वह लैटिन अमेरिका के अमेरिका विरोधी खेमे के देशों के साथ खड़ा है। इन देशों में वेनेज़ुएला, बोलीविया, निकरागुआ, अर्जेंटाइना और क्यूबा शामिल हैं। पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले में इक्वेडोर का रिकॉर्ड कोई अच्छा नहीं है। राष्ट्रपति राफेल कोरेया को अगले साल चुनाव का सामना करना है। उन्होंने ऐसे कानून संसद से पास कराए हैं जिनसे चुनाव कवरेज में मीडिया पर पाबंदियाँ लगती हैं। हाल में सरकार की आलोचना करने वाले 16 रेडियो स्टेशन बन्द कर दिए गए। कुछ साल पहले उनकी आलोचना करने वाले अखबार के डायरेक्टर को इसी तरह दूसरे देशों में शरण लेने को मज़बूर होना पड़ा था। इक्वेडोर के मीडिया ने असांज को शरण देने का समर्थन नहीं किया है।

सवाल है असांज का मामला मामूली अपराध से जुड़ा है या वैश्विक राजनीति से? असांज को डर है कि स्वीडन सरकार उसे अमेरिका को सौंप देगी। पर यह काम तो ब्रिटिश सरकार भी कर सकती थी। अभी तक अमेरिका सरकार ने ऐसी माँग भी नहीं की है। तब फिर ब्रिटिश और स्वीडन सरकारों के तेवर इतने तीखे क्यों हैं? और यह भी कि असांज को लगता है कि उन्हें झूठे मामले में फँसाया गया है तो वे अदालत के सामने जाने से डरते क्यों हैं? फिलहाल ऐसा लगता है कि बात का बतंगड़ बन गया है। असांज को स्वीडन की अदालत के सामने जाना चाहिए। उनके पीछे दुनिया के तमाम स्वतंत्रता समर्थक खड़े हैं। असांज की नहीं यह विकीलीक्स की साख का सवाल है।


सी एक्सप्रेस में प्रकाशित

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