डोनाल्ड ट्रंप के पराभव के साथ अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने तेजी से काम शुरू किया है। किसी भी बदलाव के बाद के कुछ दिन बड़े महत्वपूर्ण होते हैं, पर असली बदलाव कुछ समय बाद नजर आता है। उसके तुलनात्मक अध्ययन होते हैं। इसमें दो राय नहीं कि ट्रंप तुनुकमिजाज और बेहद अप्रत्याशित व्यक्ति हैं। पर दूसरा सच यह भी है कि उनके कार्यकाल में अमेरिका के सैनिक अभियान अपेक्षाकृत कम हुए। उन्होंने शोर ज्यादा मचाया, पर टकराव कम मोल लिए। चीन और ईरान के साथ जो टकराव उन्होंने मोल लिए हैं, वे अब खत्म हो जाएंगे, ऐसा नहीं मान लेना चाहिए। अलबत्ता वैश्विक पर्यावरण को लेकर ट्रंप की जुनूनी राजनीति ज्यादा नहीं चल सकती थी।
हमारे नजरिए से सवाल पूछा जा रहा है कि भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते कैसे रहेंगे? इसे मामले में एक बात समझ ली जानी चाहिए कि विदेश-नीति से जुड़े मसलों में निरंतरता रहती है। यों भी जो बाइडेन भारत समर्थक माने जाते हैं। उनके कार्यकाल में भारत और अमेरिका की मैत्री प्रगाढ़ ही होगी। उसमें किसी किस्म की कमी आने के संकेत नहीं हैं। अलबत्ता नए प्रशासन की आंतरिक और विदेश नीति में काफी बड़े बदलाव देखने में आ रहे हैं। बाइडेन ने जो फैसले किए हैं, उनमें भारत को लेकर सीधे कोई बात नहीं है, पर उनके रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने जो कहा है, वह जरूर महत्वपूर्ण है। हमें आने वाले समय में भारत के प्रति उनकी नीति की प्रतीक्षा करनी होगी। भारत-नीति ही नहीं पाकिस्तान-नीति पर भी हमें नजरें रखनी होंगी।
कोरोना को वरीयता
बाइडेन ने सबसे
ज्यादा वरीयता कोरोना को दी है, जिसका मुक़ाबला करने के
लिए उन्होंने एक विस्तृत
योजना पेश की है। इसके तहत गुरुवार को उन्होंने दस ऐसे कार्याधिकारी आदेश जारी
किए हैं, जिनसे सरकारी एजेंसियों, निजी क्षेत्र और नागरिकों को कोरोना वायरस के रोकथाम में
मदद मिलेगी। उन्होंने मास्क को जरूरी कर दिया है। इसके साथ ही विश्व स्वास्थ्य
संगठन से अमेरिका के हटने के फैसले को वापस ले लिया है। उन्होंने कहा है कि देश
में टीकाकरण अभियान के पहले सौ दिन में 10 करोड़ लोगों को टीके
लगाए जाएंगे। सौ दिन का मतलब है मध्य अप्रेल तक। पर यह भी सच है कि भले ही ट्रंप
ने कोरोना के संक्रमण की उपेक्षा की, पर टीकों का विकास उनके प्रशासन की देख-रेख
में हुआ है।
ट्रंप प्रशासन के
मुख्य चिकित्सा अधिकारी रहे एंथनी फाउची ने कहा कि बाइडेन प्रशासन पिछले प्रशासन
के कार्यक्रम को ही आगे बढ़ा रहा है। यदि देश की 70-80 प्रतिशत आबादी
को गर्मियों के अंत तक टीका लगा दिया गया तो इस साल के अंत तक स्थिति सामान्य हो
जाएगी। ज्यादा बड़ी चिंता लोगों को मनाने की है जो इस वैक्सीन को लेकर संशय में
हैं। फाउची का देश में बहुत सम्मान है और वे जो बाइडेन प्रशासन में भी मुख्य
चिकित्सा सलाहकार बनाए हैं। उनके बयान में ट्रंप प्रशासन के दूसरे फैसलों को लेकर
कड़वाहट भी है, जिनसे लगता है कि ट्रंप ने मनमानी की।
पुराने फैसले
बदले
पहले से ही माना
जा रहा था कि बाइडेन शपथ लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप के कुछ फैसले पलट देंगे, वैसा ही हुआ। कामकाज संभालते ही बाइडेन ने कम से कम 17 नए
आदेश एक झटके में दे डाले। उन्होंने कई ऐसे आदेशों पर दस्तखत किए हैं, जिनकी लंबे समय से मांग चल रही थी। कोरोना के अलावा आव्रजन और जलवायु
परिवर्तन के मामले में उनके आदेशों को अमेरिका की नीतियों में बड़ा बदलाव माना जा
सकता है।
बाइडेन ने
कार्यभार संभालते ही ‘ग्लोबल वॉर्मिंग' कम करने की वैश्विक लड़ाई
में अमेरिका को फिर से शामिल कर दिया है। उन्होंने अपने पहले भाषण में कहा, पृथ्वी खुद को बचाने की
गुहार लगा रही है। उन्होंने कहा, यह आह्वान पहले कभी इतनी
हताशा भरा और स्पष्ट नहीं था।
बाइडेन ने शपथ
ग्रहण करने के कुछ घंटे बाद ही ‘पेरिस जलवायु'
समझौते में
अमेरिका को पुन: शामिल करने के लिए एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए और अपने एक
बड़े चुनावी वादे को पूरा किया। ट्रंप ने अमेरिका को इस समझौते से बाहर कर लिया
था। पेरिस समझौते में शामिल 195 देशों और अन्य
हस्ताक्षरकर्ताओं के लिए कार्बन प्रदूषण को कम करने और उनके जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन
की निगरानी करने तथा उसकी जानकारी देने का लक्ष्य रखा गया है। चीन के बाद अमेरिका
दुनिया का दूसरे नंबर का सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है।
सीमा पर दीवार
देश के बाहर से आ
रहे लोगों को रोकने के लिए ट्रंप प्रशासन मैक्सिको की सीमा पर जो दीवार खड़ी कर
रहा था, उसे रोक दिया गया है। जिन मुस्लिम देशों के
लोगों के आगमन पर ट्रंप ने रोक लगाई थी, उस आदेश को वापस लेने का
फैसला किया है। बाइडेन ने अपने भाषण में नस्ली भेदभाव को खत्म करने की भी बात कही
है।
बीबीसी की एक
रिपोर्ट में नए प्रशासन के फैसलों की प्रतीकात्मकता को रेखांकित करते हुए एक
रिपोर्ट में कहा है कि बाइडेन ने राष्ट्रपति कार्यालय में, जिसे ओवल ऑफिस के नाम
से पहचाना जाता है, कुछ बदलाव किए हैं। उन्होंने अमेरिकी इतिहास के प्रतिष्ठित
नेताओं में से कुछ के चित्र
और प्रतिमाएं बढ़ाई हैं और कुछ कम की हैं, जिनसे उनकी राजनीतिक दृष्टि सामने
आती है। देश के सातवें राष्ट्रपति एंड्रयू जैक्सन का चित्र हटा दिया गया है। ट्रंप
उनमें अपनी छवि देखते थे।
बाइडेन ने अपनी
मेज़ के सामने मार्टिन लूथर किंग जूनियर और रॉबर्ट एफ कैनेडी की प्रतिमाएं लगाई
हैं। दोनों का अमेरिका के नागरिक अधिकार आंदोलन पर असर है। बाइडेन की कुर्सी के
पीछे मेज़ पर उनके परिवार की तस्वीरों के साथ मैक्सिकन-अमेरिकी श्रमिक नेता सीज़र
शावेज़ की प्रतिमा रखी है। शावेज़ ने साठ
और सत्तर के दशक में खेत-मजदूरों के अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी। इन बातों
से साफ है कि बाइडेन अपने जनाधार तक कोई संदेश देना चाहते हैं।
रक्षामंत्री का
बयान
अमेरिका के
रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा है कि 'जो बाइडेन प्रशासन का
उद्देश्य भारत के साथ अमेरिका की रक्षा साझेदारी को बढ़ाना रहेगा।' राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह के एक दिन पहले अपने
नामांकन पर सुनवाई के दौरान सीनेट की एक समिति से ऑस्टिन ने कहा, भारत के साथ हमारे रक्षा संबंधों के मामले में मेरा
उद्देश्य दोनों देशों के बीच साझेदारी और सहयोग को और मज़बूत करना रहेगा, ताकि भारत और अमेरिका,
दोनों देशों के
सैन्य हित सुरक्षित रह सकें।
उन्होंने कहा, हम क्वॉड सुरक्षा वार्ता और अन्य क्षेत्रीय बहुपक्षीय
कार्यक्रमों के माध्यम से भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को और गहरा, और व्यापक बनाने की भी कोशिश करेंगे। ऑस्टिन ने पाकिस्तान के
संदर्भ में कहा, मैं पाकिस्तान को यह संदेश ज़रूर देना चाहूँगा कि आप चरमपंथियों
और हिंसक समूहों को बढ़ने न दें। हालांकि उसने भारत विरोधी समूहों, जैसे लश्करे-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के ख़िलाफ़ कुछ क़दम
उठाए हैं, पर यह प्रगति अधूरी है।
पर्यावरण को लेकर कुछ उम्मीदें हैं, उन्होंने आते ही रुख साफ किया है...देखिये किस तरह लेते हैं वे इस प्रमुख विषय को।
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