Tuesday, January 26, 2021

भारतीय राष्ट्र-राज्य को चुनौती

 


यह तस्वीर भारतीय राष्ट्र-राज्य के सामने खड़े खतरे की ओर इशारा करती है। दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के सूत्रधार कौन हैं और उनकी मंशा क्या है, इसका अनुमान मैं नहीं लगा सकता, पर आंदोलन बहुत हठी है। साथ ही मुझे समझ में आता है कि इसके पीछे कोई ताकत जरूर है। बेशक बहुसंख्यक किसान हिंसक नहीं थे, पर कुछ लोग जरूर गलत इरादों से आए थे। यह आंदोलन केंद्र सरकार के लिए जितनी बड़ी समस्या पैदा कर गया है, अब उतनी ही बड़ी समस्या अमरिंदर सिंह की पंजाब सरकार के सामने खड़ी होगी। लालकिले पर झंडा लगाना मोटे तौर अपराध है, पर तिरंगे का अपमान ज्यादा बड़ा अपराध है।

हालांकि इस आंदोलन से जुड़े लोगों का कहना था कि यह राजनीतिक आंदोलन नहीं है, पर आज के बाद यह खुद को राजनीति से अलग कैसे रखेगा, पता नहीं। इस घटना की राजनीतिक परिणति होनी ही है। किसानों की समस्या का निपटारा कैसे होगा, कहना मुश्किल है। यह भी समझ में नहीं आता कि सरकार ने 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली की अनुमति कैसे दे दी। साथ ही मुझे इस बात पर भी आश्चर्य है कि किसान नेताओं को इस बात का अंदाज नहीं था कि किस तरह के तत्व उनके बीच हैं। पिछले साल ऐसी ही स्थितियों में दिल्ली में हिंसा हुई थी। 

हालांकि किसान संयुक्त मोर्चा ने हिंसा की निंदा की है और आंदोलनकारियों को वापस आने का निर्देश दिया है, पर साफ है कि उसका भीड़ पर नियंत्रण नहीं है। यह समय शांति और ठंडे दिमाग से विचार करने का है। सरकार को भी पहले कोशिश करनी चाहिए कि शांति बहाल हो। रात में कोई दुर्घटना न होने पाए। काफी बड़े इलाके में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं, फिर भी खतरा बना हुआ है। यह पता जरूर लगाया जाना चाहिए कि इसके पीछे कौन लोग थे और उन्हें निकल कर भागने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए।

 

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