राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी धड़ेबाज़ी का सामना कर रही है। इसकी शुरुआत पिछले साल तभी हो गई थी, जब सचिन पायलट ने कांग्रेसी नेतृत्व से बगावत के संकेत किए थे। अब देखा जा रहा है कि पार्टी में वसुंधरा राजे के विरोधियों को अच्छे पदों पर बैठाया जा रहा है। लगता यह भी है कि इस अभियान के पीछे पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व है।
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार हाल में कांग्रेस के विधायक और उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि राजस्थान में वसुंधरा जी के बगैर भाजपा शून्य है। उन्होंने कहा जैसे बगैर गहलोत जी के कांग्रेस अधूरी है, वैसे ही वसुंधरा जी के बगैर भाजपा शून्य है। उधर सोशल मीडिया में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के नाम सन 2023 में होने वाले विधान सभा चुनाव के संदर्भ में मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में सुझाए जा रहे हैं।
इनमें वसुंधरा राजे के अलावा पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल के नाम शामिल हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इन दिनों मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में शेखावत, मेघवाल, पूनिया के अलावा गुलाब चंद कटारिया और राजेंद्र राठौर के नाम भी चल रहे हैं।
अलबत्ता पूनिया ने सोशल मीडिया में चलाए जा रहे कयासों से
खुद को अलग किया है और कहा है कि यह गलत है। उनके अनुसार कांग्रेस और बीजेपी में
फर्क है। हमारा संगठन विभाजित नहीं है। सन 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी
की पराजय के बाद से वसुंधरा विरोधियों की पार्टी में महत्वपूर्ण पदों पर
नियुक्तियाँ हो रही हैं।
हाल में देखा गया है कि पार्टी के पोस्टरों तक से वसुंधरा
का नाम हट गया है। इससे लगता है कि उनका रसूख कम हो रहा है। पिछले महीने घनश्याम
तिवाड़ी की पार्टी में वापसी से इस बात की पुष्टि हुई है कि कोई बात जरूर है।
तिवाड़ी वसुंधरा के साथ मतभेदों के कारण पार्टी छोड़कर चले गए थे। पार्टी के
विधायक मदन दिलावर और सांसद दिया कुमारी भी वसुंधरा विरोधी माने जाते हैं। दोनों पिछले
साल पार्टी की राज्य शाखा के महामंत्री बनाए गए थे।
उधर पार्टी के छह बार विधायक रह चुके प्रताप सिंह सिंघवी ने
कहा है कि पार्टी को अपने वरिष्ठ नेताओं की बात को सुनना चाहिए। आज की तारीख में
आप राजस्थान में सानी से चुनाव जीत नहीं सकेंगे। यहाँ वसुंधरा जी से ज्यादा बड़ा
नेता कोई नहीं है। सिंघवी को वसुंधरा राजे का करीबी माना जाता है। इस समय उन्हें
कोई पद दिया नहीं गया है। राज्य में बीजेपी के 72 विधायक हैं। राजे समर्थकों का
कहना है कि सीनियर नेताओं की अवहेलना दुख देगी। जबकि उनके विरोधी कहते हैं कि
राजस्थान में चाहे भैरों सिंह शेखावत हों या वसुंधरा राजे किसी ने वैकल्पिक
नेतृत्व को पनपने ही नहीं दिया।
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