नौकरियों की बौछार होने जा रही है। कोविड-19 का टीका बनते ही कंपनियां जोश में आ गई हैं और टाटा, बिड़ला, रिलायंस तथा आईटीसी समेत तमाम नामी कंपनियां अगले कुछ महीनों में ज्यादा भर्तियां करने जा रही हैं।
टाटा समूह की सबसे कीमती कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (टीसीएस) ने दिसंबर तिमाही में 15,721 लोगों की भर्तियां कर एक तरह से नया कीर्तिमान बना दिया। समूह की दूसरी कंपनियां भी इस मामले में पीछे नहीं हैं और वे अपनी चालू परियोजनाओं के लिए कर्मचारी तथा आवश्यक सामग्री जुटाने में व्यस्त हैं। टीसीएस के मुख्य वित्तीय अधिकारी वी रामकृष्णन ने कहा, 'वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में जितने नए कर्मचारी जोड़े गए, उतने कभी किसी तिमाही में भर्ती नहीं किए गए।' हाल में ही देश का नया संसद भवन बनाने का ठेका हासिल करने वाली टाटा प्रोजेक्ट्स भी निर्माण कार्य शुरू करने के लिए ज्यादा लोगों को भरती करने जा रही है।
सूचना-प्रौद्योगिकी
क्षेत्र की कंपनी इन्फोसिस ने कहा है कि वह इस वर्ष 24,000 नई भर्तियां करेगी।
आदित्य बिड़ला समूह भी विभिन्न कारोबारों के लिए नए लोग तलाश रहा है। समूह के एक
सूत्र ने बताया कि कॉलेज परिसरों से भरती करने की योजना है। रिलायंस रिटेल और
रिलायंस जियो ने भी भरती तेज कर दी है। सूत्रों ने बताया कंपनी फ्यूचर समूह और
अन्य इकाइयों के अधिग्रहण के बाद उनके कर्मचारियों को लाने की तैयारी कर रही हैं।
दूसरी बड़ी
कंपनियों ने भी कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ उन्होंने भरती शुरू कर दी
हैं। आईटीसी लिमिटेड में प्रमुख (कॉरपोरेट मानव संसाधन) अमिताभ मुखर्जी ने कहा, 'अर्थव्यवस्था सुधरने के साथ मांग भी बढ़ती जा रही है, इसलिए नई प्रतिभाएं जोडऩे के मौके भी बढ़ेंगे। सेल्स एवं
मार्केटिंग तथा आधुनिक व्यापार एवं आपूर्ति शृंखला जैसे कामों में भर्ती होंगी।'
बिजनेस
स्टैंडर्ड में पढ़ें पूरी रिपोर्ट
ज्ञावली की
यात्रा और नेपाल के साथ रिश्ते
आज के बिजनेस स्टैंडर्ड में अदिति फणनीस का नेपाल के
विदेशमंत्री प्रदीप ज्ञावली की भारत यात्रा से जुड़ा यह आलेख
भी महत्वपूर्ण है:
भारत ने नेपाल के
विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञावली की भारत यात्रा (14-15 जनवरी) को सामान्य करार देते
हुए कहा है कि यह छठी भारत-नेपाल संयुक्त आयोग बैठक का हिस्सा है, लेकिन इसे लेकर अटकलों का बाजार गरम है। खासतौर पर नेपाल
में यह चर्चा जोरों पर है कि इस मुलाकात के क्या मायने हैं।
ज्ञवाली उस
कार्यवाहक सरकार का हिस्सा हैं जो गत माह प्रधानमंत्री केपी ओली द्वारा संसद को
भंग किए जाने और चुनावों का ऐलान होने के बाद बनी। उन्होंने यह कदम पार्टी में
आंतरिक असहमति उत्पन्न होने के बाद उठाया था। हालांकि यह आमंत्रण ओली द्वारा संसद
भंग करने के पहले दिया गया था लेकिन भारत के पास यह विकल्प था कि वह चाहे तो बैठक
को चुनाव संपन्न होने तक टाल दे। संयुक्त आयोग के पास अनेक मुद्दों पर बातचीत करने
का अधिकार है। हालांकि ओली को चीन की ओर झुकाव वाला माना जाता है लेकिन क्या भारत
बदलते हालात में भी बैठक को अप्रभावित रखकर ओली प्रशासन में अपने लिए एक राह
निकालना चाहता है? पुष्प कमल दहल (प्रचंड) ऐसा कह चुके हैं।
ज्ञवाली की यात्रा के पहले 13 जनवरी को काठमांडू में उन्होंने कहा कि नेपाल
कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के पास संसद में दो तिहाई बहुमत होने के बावजूद ओली के
संसद भंग करने की वजह भारत है। प्रचंड ने कहा,
'सदन को भंग कर
ओली ने संविधान को तो क्षति पहुंचाई ही है,
उन्होंने
लोकतांत्रिक गणतांत्रिक व्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाया है जिसे जनता के सात दशक
के संघर्ष के बाद स्थापित किया गया था।' उन्होंने आगे कहा, 'ओली ने बालुवातार में अपने आधिकारिक आवास पर भारत के खुफिया
संगठन रॉ के प्रमुख सामंत गोयल से मुलाकात की। उस वक्त कोई अन्य व्यक्ति उपस्थित
नहीं था और यह बात ओली के इरादे साफ करती है।'
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