महाराष्ट्र में सत्ता-परिवर्तन में विस्मय नहीं हुआ, पर मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे की नियुक्ति महत्वपूर्ण है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस बात की घोषणा की कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री होंगे। फडणवीस इस सरकार से बाहर रहेंगे। फडणवीस ने कहा, उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी की बात को तवज्जोह दी इसलिए इन विधायकों ने आवाज़ बुलंद की। यह बग़ावत नहीं है।
पहले संभावना जताई जा रही थी कि देवेंद्र
फडणवीस मुख्यमंत्री होंगे और शिंदे को उप मुख्यमंत्री का पद मिल सकता है। लेकिन
फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबको चौंकाते हुए घोषणा की कि एकनाथ शिंदे बनेंगे
महाराष्ट्र के सीएम। इस घोषणा के बाद पर्यवेक्षक अपने-अपने अनुमान लगा रहे हैं कि
शिंदे को मुख्यमंत्री पद देने का अर्थ क्या है।
फौरी तौर पर माना जा रहा है कि इस फैसले से
शिवसेना की बची-खुची ताकत को धक्का लगेगा और शायद कुछ लोग और उद्धव ठाकरे का साथ
छोड़कर इधर आएं। उद्धव ठाकरे के अलावा निशाना शरद पवार भी हैं। ठाकरे के पास अब शरद पवार से जुड़े रहने का ही विकल्प है। अक्तूबर में होने वाले बृहन्मुम्बई महानगरपालिका चुनाव में बीजेपी
ठाकरे की शिवसेना को हराना चाहती है। ऐसा हुआ, तो ठाकरे परिवार का वर्चस्व काफी कम
हो जाएगा। अब अगली कोशिश होगी, चुनाव आयोग से असली शिवसेना का प्रमाणपत्र पाना।
एकनाथ शिंदे ने आज उद्धव ठाकरे के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि पचास विधायक एक अलग भूमिका निभाते हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है। शिंदे और उनके साथी लगातार कह रहे हैं कि हम शिवसेना से बाहर नहीं गए हैं, बल्कि वास्तविक शिवसेना हम ही हैं।
संवाददाता सम्मेलन में फडणवीस ने कहा, 2019 के विधानसभा चुनाव में 170 लोग चुने गए थे। स्वाभाविक रूप से,
यह उम्मीद की जा रही थी कि जब भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार के
मुख्यमंत्री की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। पर परिणाम आने के बाद,
शिवसेना ने अपना एक अलग फैसला कर लिया। यह जनादेश का अपमान था,
खासकर कांग्रेस और राकांपा के साथ गठबंधन करना, जिनका बालासाहेब ठाकरे विरोध करते रहे।
उन्होंने कहा, बालासाहेब ने हमेशा दाऊद
इब्राहीम का विरोध किया वहीं, उद्धव ठाकरे ने दाऊद का साथ देने वाले
एक नेता के साथ जाने का फ़ैसला किया। उस नेता को मंत्री का पद तक दिया गया। फडणवीस
ने बुधवार (29 जून) को उद्धव ठाकरे कैबिनेट बैठक की भी आलोचना की। विश्वास मत लिए
जाने तक मंत्रिमंडल की बैठक नहीं होनी चाहिए थी।
शिंदे की पृष्ठभूमि
एकनाथ शिंदे के करियर की शुरुआत ऑटोरिक्शा चालक
के रूप में हुई थी। वे ठाणे की कोपरी-पचपाखड़ी सीट से विधायक हैं, बल्कि कई दशकों तक वे पार्टी के अहम नेता भी रहे हैं। वे शिवसेना के बहुत
पुराने सदस्य हैं। ठाणे नगर निगम में विपक्ष के नेता के रूप में काम करने के बाद
वे 2004 में पहली बार विधायक बने थे।
उन्होंने 18 साल की उम्र में शिवसेना से अपना
राजनीतिक जीवन शुरू किया। पार्टी में क़रीब डेढ़ दशक तक काम करने के बाद 1997 में पार्टी
के वरिष्ठ नेता आनंद दिघे ने शिंदे को ठाणे नगर निगम के चुनाव में पार्षद का टिकट
दिया। पहली ही कोशिश में शिंदे ने न केवल नगर निगम का यह चुनाव जीता, बल्कि वे ठाणे नगर निगम के हाउस लीडर भी बन गए।
उसके बाद 2004 में उन्होंने ठाणे विधानसभा सीट
से चुनाव लड़ा और यहाँ भी पहली ही कोशिश में जीतने में कामयाब रहे। इसके बाद 2009
से वे लगातार कोपरी-पचपाखड़ी विधानसभा क्षेत्र के विधायक चुने गए हैं। 2015 से
2019 तक वे राज्य के लोक निर्माण मंत्री रहे।
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