राज्यपाल को इस्तीफा सौंपते उद्धव ठाकरे |
सुप्रीम कोर्ट का बहुमत परीक्षण पर आदेश आने के कुछ समय बाद सोशल मीडिया पर लाइव आकर उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं नहीं चाहता कि शिवसैनिकों का 'ख़ून बहे, इसलिए मुख्यमंत्री का पद छोड़ रहा हूँ। ठाकरे ने कहा कि मुझे 'पद छोड़ने का कोई दुख नहीं है।' उन्होंने कहा कि मैं विधान परिषद की सदस्यता भी छोड़ रहा हूँ। उनके इस्तीफे के बाद से नई सरकार के गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार आज गुरुवार को विधायक
दल का नेता चुनने के लिए भाजपा की बैठक होगी, जिसमें
चुने जाने के बाद देवेंद्र फडणवीस सरकार बनाने के लिए अपना पत्र विधान भवन में देंगे।
जानकारी के अनुसार, वे 1 जुलाई को मुख्यमंत्री पद की शपथ
ले सकते हैं। उनके साथ एकनाथ शिंदे उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। फडणवीस
और शिंदे के साथ 6 मंत्री भी शपथ ले सकते हैं।
इस तरह महाराष्ट्र में एक अध्याय का अंत हुआ,
पर यह एक नई राजनीति की शुरुआत है। फिलहाल वहाँ बीजेपी और शिवसेना के बागी विधायकों
की सरकार बन जाएगी, पर निकट और सुदूर भविष्य की कुछ घटनाओं पर नजर रखनी होगी। सुप्रीम
कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि इस शक्ति परीक्षण के बाद आगामी 11 और 12 जुलाई
को जिन दो मामलों की सुनवाई होने वाली है, उनके फैसले भी लागू होंगे। यानी कि यह
अंतिम परिणति नहीं है।
दो में से एक फैसला 16 विधायकों की सदस्यता
समाप्ति को लेकर है और दूसरा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के विरुद्ध
अविश्वास-प्रस्ताव को लेकर है। विधानसभा में स्पीकर पद पर इस समय कोई नहीं है,
इसलिए नए स्पीकर की नियुक्ति भी महत्वपूर्ण होगी।
भविष्य की राजनीति
सुदूर भविष्य की राजनीति से जुड़ी तीन बातें महत्वपूर्ण हैं। अब शिवसेना का मतलब क्या? उद्धव ठाकरे या एकनाथ शिंदे? दोनों एक रहेंगे या अलग-अलग होंगे? बागी विधायकों में अपेक्षाकृत मुखर दीपक केसरकर ने कहा कि ठाकरे के इस्तीफे के लिए शिवसेना नेता संजय राउत जिम्मेदार हैं। यह इस्तीफा हमारे लिए खुशी की बात नहीं है। दुख की बात है। हमें जो संघर्ष करना पड़ा उसके लिए कांग्रेस, राकांपा और संजय राउत पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। इसने हमारे बीच दरार पैदा कर दी।
दोनों गुटों का
अस्तित्व अलग-अलग रहेगा, तो चुनाव आयोग किसे मान्यता देगा, चुनाव चिह्न किसे
मिलेगा वगैरह? भविष्य में उद्धव
ठाकरे और कांग्रेस-राकांपा गठबंधन क्या बना रहेगा? क्या महाविकास अघाड़ी का अस्तित्व बना रहेगा? दूसरी तरफ शिंदे की पार्टी की अलग पहचान होगी या
वह बीजेपी में मिल जाएगी?
बुधवार को देर रात सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि
विधानसभा में फ़्लोर टेस्ट रोका नहीं जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत
और जेबी पार्डीवाला के अवकाश पीठ ने शिवसेना नेता सुनील प्रभु की याचिका पर सुनवाई
के बाद यह फ़ैसला सुनाया। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने बुधवार की सुबह आदेश जारी
किया था कि 30 जून की सुबह 11 बजे विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर शक्ति परीक्षण
किया जाए। सुरेश प्रभु ने राज्यपाल के इसी फ़ैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम
कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि राज्यपाल
द्वारा फ़्लोर टेस्ट कराने का फ़ैसला ग़ैर-कानूनी है, क्योंकि उन्होंने इस पर
ध्यान नहीं दिया कि डिप्टी स्पीकर ने 39 में से 16 विधायकों को अयोग्यता का नोटिस
जारी किया गया है। प्रभु ने यह भी कहा कि 39 में से किसी भी विधायक ने महाविकास अघाड़ी
सरकार से अपना समर्थन वापस नहीं लिया है।
फैसलों की झड़ी
गत 20 जून को अपने सम्बोधन में उद्धव ठाकरे ने
इस्तीफा देने की इच्छा व्यक्त की थी। उन्हें तब शरद पवार ने समझाया था कि ऐसा नहीं
करो। इसके पीछे शायद दो कारण थे। एक, यह कि सरकार को बचाने का प्रयास करना चाहिए,
जिसमें 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करना शामिल था। दूसरे सरकार जा ही रही है, तो
उसके पहले अपने लिए जरूरी कुछ फैसले करा लिए जाएं। पिछले दस दिन में सरकार ने बड़ी
संख्या में आदेश जारी किए हैं।
सियासी संकट के
बीच बुधवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कैबिनेट की मीटिंग की। इस बैठक में 11 बड़े फैसले किए गए। औरंगाबाद शहर का नाम 'संभाजीनगर'
और उस्मानाबाद का नाम बदलकर 'धाराशिव'
रखना भी इनमें शामिल है। नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई
अड्डे का नाम बदलकर दिवंगत डीबी पाटिल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे करने की मंजूरी भी
दी गई। शिवसेना इसका नाम बाला साहेब ठाकरे के नाम पर रखना चाहती थी, पर ऐसा नहीं हुआ।
कैबिनेट की इस बैठक से संकेत मिल गया
था कि यदि सुप्रीम कोर्ट फ्लोर-टेस्ट पर रोक नहीं लगाएगा, तो उद्धव ठाकरे इस्तीफा
दे देंगे। कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सभी का आभार जताया
और कहा कि अगर ढाई साल में गलती हो गई हो तो मैं माफी चाहता हूँ।
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