Thursday, December 24, 2020

बंगाल में कांग्रेस और वाममोर्चे के गठबंधन का रास्ता साफ

 

कांग्रेस आलाकमान ने अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में वाम दलों के साथ गठबंधन करने के प्रस्ताव को बृहस्पतिवार को औपचारिक रूप से स्वीकृति प्रदान कर दी है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने गुरुवार 24 दिसंबर को ट्वीट कर यह जानकारी दी। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘Today the Congress High command has formally approved the electoral alliance with the #Left parties in the impending election of West Bengal.’ (कांग्रेस आलाकमान ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में वाम दलों के साथ गठबंधन को आज औपचारिक रूप से स्वीकृति प्रदान की।)

इसके पहले कांग्रेस के पश्चिम बंगाल प्रभारी जितिन प्रसाद ने कहा था, यह चुनाव पश्चिम बंगाल की अस्मिता, संस्कृति और संस्कार को बचाने का है जिन पर चोट करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने हाल में पश्चिम बंगाल का दौरा किया था और वहां प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं की राय लेकर नेतृत्व को इससे अवगत कराया था। इसके बाद नेतृत्व ने गठबंधन करने को हरी झंडी दी है। इसके पहले 2016 के विधानसभा चुनाव में भी वाम दल और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़े थे। ये दोनों दल केरल में एक दूसरे मुख्य विरोधी हैं।

पिछले अक्तूबर में सीपीएम की सेंट्रल कमेटी ने फैसला किया था कि पार्टी और वाम मोर्चा का पश्चिम बंगाल में चुनाव समझौता होगा। हम तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे। राज्य की राजनीति में इन दोनों पार्टियों के सामने अपने अस्तित्व को बचाए रखने का संकट है।

नवंबर में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने अधीर रंजन चौधरी और राज्य के कुछ अन्य नेताओं के साथ ऑनलाइन बातचीत में कहा था कि अंतरिम अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से स्वीकृति मिलने के बाद पार्टी वाममोर्चा के साथ सीट-शेयरिंग पर बात करेगी। हालांकि दोनों के बीच 2016 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनावों के पहले सीटों के बँटवारे को लेकर बातचीत बहुत अच्छी नहीं रही थी। जहाँ तक सीटें जीतने का सवाल है, कांग्रेस की स्थिति बेहतर रही थी, क्योंकि उत्तरी बंगाल के कुछ इलाकों में पार्टी के पक्ष में अच्छे वोट पड़ते हैं।

वाममोर्चा 2019 के लोकसभा चुनाव में बंगाल की 42 में से एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हुआ था। उसके प्रत्याशियों की 39 सीटों पर जमानत जब्त हुई थी। कांग्रेस को दो सीटें मिलीं थीं और 38 स्थानों पर उसके प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी। बीजेपी को 18 और तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं।

सन 2016 के विधानसभा चुनाव में वाममोर्चा और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था। कांग्रेस और वाममोर्चे को कुल 294 में से 76 पर विजय मिली। इनमें कांग्रेस की 44 और वाममोर्चे की 32 सीटें थीं। दोनों दलों को कुल मिलाकर 38 फीसदी वोट मिले थे, जिनमें से 26 फीसदी वाममोर्चे के थे और 12 फीसदी कांग्रेस के।

पिछले महीने राहुल गांधी के साथ बैठक में राज्य के कांग्रेस कार्यकर्ता वाममोर्चा के साथ गठबंधन के पक्ष में थे। बिहार में पार्टी को झटका लगने के बाद बंगाल पर फैसला कुछ समय के लिए टल गया था। बिहार में कांग्रेस और वाममोर्चे का गठबंधन राजद के साथ था। उस गठबंधन में कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन भी शामिल थी। माले के नेता दीपांकर भट्टाचार्य मानते रहे हैं कि हमारी लड़ाई बीजेपी से है, तृणमूल से नहीं।

बंगाल के चुनाव में माले लिबरेशन का रुख क्या होगा, इसे देखना है। हाल के संकेतों से लगता है कि यह पार्टी कांग्रेस-माकपा गठबंधन में शामिल होना चाहेगी। बहरहाल कांग्रेस  चिंता इस बात की है कि 2019 के चुनाव में बंगाल में उसका वोट-शेयर 6.29 प्रतिशत रह गया, जबकि बीजेपी का वोट-शेयर 40 फीसदी हो गया। तृणमूल कांग्रेस को 43 फीसदी वोट मिले। 


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