Thursday, May 20, 2021

अमेरिका ने लड़ाई रोकने के लिए इसराइल और हमस दोनों पर दबाव बनाया

 

इसराइली बमबारी के बाद गज़ा का एक शहरी इलाका

वॉल स्ट्रीट जरनल के अनुसार जो बाइडेन प्रशासन और पश्चिम एशिया में उसके सहयोगी देश इसराइल और फलस्तीनी उग्रवादी ग्रुप हमस पर संघर्ष रोकने के लिए दबाव बना रहे हैं। इस संघर्ष में नागरिकों की हो रही मौतें चिंता का सबसे बड़ा कारण है।

राष्ट्रपति बाइडेन ने बुधवार को इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू से फोन पर बात की और इस बात की उम्मीद जाहिर की कि फौरन फौजी कार्रवाई कम की जाएगी, ताकि संघर्ष-विराम का रास्ता खुल सके। अमेरिका ने अपने सम्पर्कों के मार्फत हमस के पास भी यह संदेश भिजवाया है।

इसराइली मीडिया के अनुसार नेतन्याहू ने जवाब में कहा कि हम तब तक कार्रवाई जारी रखने के लिए कृत-संकल्प हैं जब तक कि इसराइली नागरिकों की शांति और सुरक्षा सुनिश्चित न हो जाए। नेतन्याहू ने इससे पहले दावा किया था कि इस बार उनकी कार्रवाई से हमस को ऐसे झटके मिले हैं, जिसकी उसे उम्मीद नहीं थी और वो वर्षों पीछे चले गए हैं।

बीबीसी के अनुसार फ़लस्तीनी चरमपंथी गुट हमस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि इसराइल और गज़ा के चरमपंथियों के बीच एक या दो दिन में युद्धविराम हो सकता है। हमस की राजनीतिक शाखा के नेता मूसा अबू मार्ज़ूक ने लेबनॉन के अल-मयादीन टीवी पर कहा, "मुझे लगता है कि दोनों पक्षों के बीच संघर्षविराम कराने के प्रयास कामयाब रहेंगे।" उन्होंने कहा,"मुझे आशा है कि एक-दो दिन के भीतर संघर्षविराम हो सकता है, और यह आपसी सहमति से होगा"। हमस नेता का बयान ऐसे समय आया है जब दोनों पक्षों पर संघर्ष-विराम के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है।

सुरक्षा-परिषद बयान अमेरिका ने रोका

अमेरिका, इसराइल का क़रीबी सहयोगी है और उसने अभी तक संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के साझा बयान का लगातार विरोध किया है। बुधवार को भी उसने फ़्रांस का एक प्रस्ताव यह कहकर पास नहीं होने दिया कि इससे "लड़ाई कम करवाने के प्रयास कमज़ोर हो सकते हैं"। फ़्रांस ने यह प्रस्ताव मिस्र और जॉर्डन के साथ मिलकर रखा था। संयुक्त राष्ट्र में फ़लस्तीनी प्रतिनिधि रियाद मंसूर ने सुरक्षा परिषद से एकजुट होकर कोई पक्ष नहीं लेने को "शर्मनाक" बताया है.

गज़ा पट्टी पर हमस का नियंत्रण है। अमेरिका उसे आतंकवादी गुट मानता है, इसलिए उसके साथ सम्पर्क के लिए उसे अनौपचारिक माध्यमों का सहारा लेना पड़ता है। उधर मिस्र और कतर भी हमस के नेताओं पर दबाव बना रहे हैं।

पिछले एक हफ्ते में जो बाइडेन ने नेतन्याहू से चौथी बार फोन पर बात की है। उधर इसराइल और हमस दोनों पक्ष अंतरराष्ट्रीय अपीलों की अनदेखी कर रहे हैं। दोनों मानते हैं कि पहले दूसरा पक्ष लड़ाई खत्म करे। नेतन्याहू ने वीडियो-रिकॉर्डेड एक बयान में कहा है कि हम इस अभियान को तभी रोकेंगे, जब नागरिकों की हिफाजत और शांति-स्थापना का हमारा लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा।

प्रधानमंत्री नेतन्याहू, रक्षामंत्री बेनी गांज़ और सेना-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अवीव कोहावी इस विषय पर विमर्श कर रहे हैं कि उनकी कार्रवाई से हमस का उस सीमा तक नुकसान हुआ है या नहीं कि वह भविष्य में हमले करने की दुस्साहस न करे।

12 इसरायली मरे

इसराइल का कहना है कि यह लड़ाई 10 मई को रॉकेट प्रहार करके हमस ने शुरू की है। तब से अब तक हमस ने 4,000 से ज्यादा रॉकेट और मिसाइल इसराइल पर छोड़े हैं। इससे 12 लोगों की मौत हुई है, जिनमें एक बच्चा भी है। हमस का कहना है कि इसराइल ने अल अक्सा मस्जिद और पूर्वी यरूशलम में दमनात्मक कार्रवाई करके इस टकराव की शुरूआत की है।

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय कार्यों से जुड़े दफ्तर का कहना है कि हमारे पास जो पुष्ट जानकारी है, उसके अनुसार टकराव शुरू होने के बाद से अब तक गज़ा पट्टी में 219 फलस्तीनी, जिनमें 63 बच्चे हैं, इस दौरान मारे गए हैं। संरा राहत कार्य एजेंसी का कहना है कि हजारों लोग बेघरबार हो गए हैं।

मई के पहले हफ्ते में पूर्वी यरूशलम के शेख जर्राह इलाके में इसराइली अधिकारियों ने कुछ फलस्तीनी परिवारों को उनके घरों से निकालने की कार्रवाई की थी। इसके विरोध में प्रदर्शन हुए थे। प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए इसराइली पुलिस ने अल अक्सा मस्जिद में प्रवेश किया था। पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने उसपर पत्थर और बारूदी गोले फेंके थे। इसके बाद हमस ने इसराइल पर रॉकेटों का वार किया था।

हमस का आरोप है कि इसराइली वायुसेना ने गज़ा के नागरिक ठिकानों पर हमले किए हैं, जबकि इसराइल कहता है कि हमस ने नागरिकों की आड़ में अपने सैनिक-उपकरणों को तैनात कर रखा है।

लेबनॉन से भी रॉकेट चले

बुधवार को खबर थी कि दक्षिण लेबनॉन से भी इसराइल पर रॉकेट मारे गए। इसके जबाव में इसराइल ने दक्षिण लेबनॉन के उन ठिकानों पर गोलाबारी की, जहाँ से रॉकेट छोड़े गए थे। लेबनॉन में ईरान समर्थित और इसराइल के कट्टर दुश्मन उग्रवादी संगठन हिज़बुल्ला का प्रभाव है। अलबत्ता बुधवार की इस घटना पर हिज़बुल्ला ने कोई टिप्पणी नहीं की है।

मिस्र की सेना के समर्थन से चलने वाली सरकार के हमस के साथ रिश्ते हैं। काहिरा सरकार ने इस बीच गज़ा में मानवीय सहायता भेजी है, जिसमें एम्बुलेंस और चिकित्सा सामग्री शामिल है। इसके अलावा अपनी सीमा पर एक सड़क को भी खेला है, ताकि घायल फलस्तीनियों को इलाज के लिए मिस्र लाया जा सके। गत मंगलवार को मिस्र सरकार ने कहा था कि गज़ा पट्टी पर पुनर्निर्माण के लिए हम 50 करोड़ डॉलर की सहायता देंगे।

उधर दोहा में हमस के राजनीतिक ब्यूरो के प्रमुख खालेद मशाल ने तुर्की के मीडिया हाउस टीआरटी से एक भेंट में कहा कि हम तभी संघर्ष-विराम करेंगे, जब इसराइल हमारी शर्तें मानेगा। इन शर्तों में एक है कि वह चालू सैनिक-भियान बंद करे, दूसरे मस्जिद अल अक्सा परिसर में मुसलमानों के प्रवेश की स्वतंत्रता दे। उन्होंने कहा कि यरूशलम में प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए फलस्तीनियों को भी रिहा किया जाए।

एक इसराइली पुलिस धिकारी ने बताया कि अल अक्सा मस्जिद में मुसलमानों के प्रवेश और नमाज पढ़ने पर लगी अस्थायी पाबंदी पहले ही उठा ली गई है। इस दौरान गिरफ्तार किए गए कुछ प्रदर्शनकारी रिहा भी किए गए हैं। पर ये बातें हमस की किसी माँग को देखते हुए नहीं हुई हैं।

उधर अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेटिक पार्टी के अलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कॉर्टेज, मार्क पोकैन और रशीदा तालिब ने एक प्रस्ताव पेश किया कि फलस्तीनी नागरिकों की मौत को देखते हुए इसराइल को 73.5 करोड़ डॉलर के हथियारों की बिक्री रोक दी जाए। इस प्रस्ताव पर मतदान होने की सम्भावना नहीं है, क्योंकि इसे डेमोक्रेटिक पार्टी के नेतृत्व का समर्थन हासिल नहीं है। दोनों सदनों के सदस्यों तथा कमेटियों का कहना है कि यह बिक्री पहले ही स्वीकृत की जा चुकी है और इसपर दुबारा विचार की जरूरत नहीं है।

 

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