Tuesday, June 26, 2012

जामे जमशेदः 180 साल पुराना अखबार


जामे जमशेद एशिया का दूसरा सबसे पुराना अखबार है जो आज भी प्रकाशित हो रहा है। विजय दत्त श्रीधर लिखित भारतीय पत्रकारिता कोश के अनुसार 1832 में मुम्बई से पारसी समाज के मुख पत्र के रूप में इसका प्रकाशन शुरू हुआ था। इस हिसाब से इसे इस साल 180 साल हो गए। इसके सम्पादक प्रकाशक पेस्तनजी माणिकजी मोतीवाला थे। यह साप्ताहिक था और 1853 में इसे दैनिक कर दिया गया।


मुंबई से सन 1822 में गुजराती भाषा में समाचार पत्र ' बम्बई समाचार ' का प्रकाशन प्रारंभ हुआ और वर्तमान में यह भारत में नियमित प्रकाशित होने वाला सबसे पुराना समाचार पत्र है। यह अखबार आज मुम्बई समाचार के नाम से निकल रहा है। 



ये दोनों अखबार गुजराती में हैं और निरंतर निकल रहे हैं। बम्बई समाचार के 190 और जामे जमशेद के 180 साल हो गए हैं। हिन्दी का पहला अखबार 1826 में निकला और एक साल बाद ही बन्द हो गया। हिन्दी पढ़ने और बोलने वालों की संख्या भारत में सबसे ज्यादा है, पर आज भी देश में सबसे ज्यादा मुद्रित प्रतियों वाला अखबार हिन्दी में नहीं है। हाल में इंडियन रीडरशिप सर्वे की 2012 की पहली तिमाही की रपट में जागरण को देश में सबसे बड़ी पाठक संख्या वाला अखबार माना गया, पर इस तथ्य से यह पता नहीं लगता कि सबसे ज्यादा वितरित अखबार भी है। पाठक सर्वे के तमाम दोष हैं। उनपर अभी बात करने का समय नहीं है। इस वक्त इतना याद दिलाना है कि गुजराती पाठकों ने दो अखबारों को बचाकर रखा है जो दो सौ साल पूरे करने वाले हैं। 


जामे जमशेद पारसी समुदाय का अखबार है और आज भी इसमें मूलतः पारसी समुदाय से जुड़ी सामग्री होती है। कोई पारसी परिवार लंदन में हो या वॉशिंगटन में जामे जमशेद मंगाकर ज़रूर पढ़ता है। यह व्यापारी समुदाय की बातों को भी प्रकाशित करता है। गुजराती भाषी व्यापारियों में दाऊदी बोहरा समुदाय के लोगों की संख्या भी काफी बड़ी है। इसकी सम्पादक हैं शरनाज़ इंजीनियर जो इसके पहले आफ्टरनून डिस्पैच एंड कूरियर से जुड़ी रहीं। हाल में डेकन हैरल्ड ने शरनाज़ का इंटरव्यू छापा जिससे अनेक रोचक बातों पर रोशनी पड़ी। फारसी में जामे जमशेद का अर्थ होता है प्याला जिसमें भविष्य दिखाई पड़ता है। 


डेकन हैरल्ड में पूरा इंटरव्यू पढ़ें

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1 comment:

  1. इतने समय तक निभाये रखना कितना कठिन हो रहा है..

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