Wednesday, May 26, 2021

सवाल है वायरस कहाँ से आया?


कोविड-19 वायरस के वैश्विक-प्रसार का डेढ़ साल पूरा होने के बाद यह चर्चा फिर से शुरू हो गई है कि कहीं यह वायरस चीन के वुहान की किसी प्रयोगशाला से तो सायास या अनायास लीक नहीं हुआ था? हाल में अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जरनल की एक रिपोर्ट ने इस चर्चा को तेज कर दिया है और अब वहाँ का मुख्यधारा का मीडिया भी इस सवाल को उठा रहा है. जबकि पिछले साल यही मीडिया इन खबरों में दिलचस्पी नहीं ले रहा था।

अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्री ने डब्लूएचओ से कहा है कि इस मामले की जाँच पारदर्शिता के साथ करें। अखबार ने अमेरिकी इंटेलिजेंस के सूत्रों का हवाला देते हुए कहा है कि सन 2019 के नवंबर में संक्रमण की शुरूआत होने के पहले वुहान प्रयोगशाला के तीन शोधकर्ताओं की अस्पताल में चिकित्सा की गई थी। यह खबर विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक महत्वपूर्ण बैठक के ठीक पहले आई है। इस बैठक में वायरस के स्रोत की जाँच के अगले कदम के बारे में फैसला किया जाएगा।

चीन का कहना है सब झूठ है

दूसरी तरफ चीन ने कोरोना संक्रमण की शुरुआत से पहले अपने वुहान शहर में तीन शोधकर्ताओं के बीमार होकर अस्पताल जाने की ख़बर को चीन ने 'पूरी तरह झूठ' क़रार दिया है। इसके पहले रविवार को 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने अमेरिकी ख़ुफ़िया रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा था कि वुहान लैब के तीन शोधकर्ता साल 2019 के नवंबर महीने में किसी ऐसी बीमारी से जूझ रहे थे जिसके "लक्षण कोविड-19 और आम सर्दी-जुकाम दोनों से मेल खाते थे।" अब दुनिया के संजीदा विशेषज्ञों ने कहा है कि कोई अनुमान लगाने से बेहतर होगा कि इस मामले की ठीक से जाँच की जाए। अमेरिकी राष्ट्रपति के स्वास्थ्य सलाहकार एंटनी फाउची का भी यह सुझाव है।

चीन शुरू से ही ऐसे दावों को ग़लत बताता रहा है कि यह वायरस उसकी किसी प्रयोगशाला से लीक होकर आम लोगों के बीच फैला है। चीन ने पहली बार 31 दिसंबर, 2019 को विश्व स्वास्थ्य संगठन को जानकारी दी थी कि वुहान में निमोनिया के केस अचानक बढ़ गए हैं। इसके बाद कोरोना वायरस की पहचान हुई और देखते ही देखते यह पूरी दुनिया में फैल गया। अब तक 34 लाख से ज़्यादा लोगों की जान इस वायरस के कारण जा चुकी है।

सोमवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजियान ने कहा, "वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरॉलॉजी ने 23 मार्च को बयान जारी किया था। उस बयान के मुताबिक़ वहाँ पर 30 दिसंबर, 2019 से पहले कोविड-19 का कोई मामला सामने नहीं आया था और अभी तक यहाँ का कोई भी स्टाफ या छात्र संक्रमित नहीं हुआ है।" उन्होंने कहा, "इसी साल जनवरी में चीन और डब्ल्यूएचओ की संयुक्त टीम ने कई संस्थानों का दौरा किया जिनमें वुहान सेंटर फ़ॉर डिजीज कंट्रोल और वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरॉलॉजी भी शामिल थे।" बायोसेफ़्टी प्रयोगशालाओं का दौरा करके वहाँ के विशेषज्ञों से खुलकर बात की गई।

लिजियान से फिर पूछा गया कि क्या वे इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि नवंबर 2019 मे वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरॉलॉजी के तीन सदस्य बीमार होकर अस्पताल गए थे या नहीं। इस पर उन्होंने कहा, "मैंने वुहान इंस्टीट्यूट के बयान के आधार पर चीन का पक्ष स्पष्ट कर दिया है। इसलिए जिस रिपोर्ट में इंस्टीट्यूट के तीन सदस्यों के बीमार होने की ख़बर है, वह पूरी तरह झूठी है।"

वॉलस्ट्रीट जरनल की रिपोर्ट

वॉलस्ट्रीट जर्नल के अनुसार अमेरिकी ख़ुफ़िया रिपोर्ट में वुहान लैब के बीमार शोधकर्ताओं की संख्या, उनके बीमार पड़ने के समय और अस्पताल जाने से जुड़ी विस्तृत जानकारियाँ हैं। पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक टीम महामारी से जुड़े तथ्यों का पता लगाने के लिए वुहान गई थी। डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि यह साबित करने के लिए पर्याप्त तथ्य नहीं है कि कोरोना वायरस वुहान की लैब से दुनिया भर में फैला। चीन पर जाँच में विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम को पूरा सहयोग न देने और वुहान लैब से जुड़ी जानकारियाँ छिपाने के आरोप भी लगते रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस को 'चीनी वायरस'और 'वुहान वायरस' कहा करते थे और चीन ने इस पर कड़ी आपत्ति ज़ाहिर की थी।

प्रतिष्ठित विज्ञान-सम्पादक निकोलस वेड का कहना है कि इस सिलसिले में चीन सरकार लगातार प्रचार कर रही है। हमें उसपर विश्वास नहीं करना चाहिए। उन्होंने फॉक्स न्यूज के कार्यक्रम लाइफ, लिबर्टी एंड लेविन कार्यक्रम में कहा कि हम अभी नहीं जानते कि वायरस का स्रोत क्या था। हमें इस मामले को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए, पर यह एक वैज्ञानिक तथ्य का पता लगाने से भी जुड़ा है। वेड ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ (एनआईएच) को लेकर भी सवाल खड़े किए और कहा कि उसकी जिम्मेदारी है कि वह वायरस के उद्गम का सावधानी से पता लगाए साथ ही वुहान की प्रयोगशाला की फंडिंग से जुड़ी जानकारी भी दे।

इस सिलसिले में अब एक आरोप यह लगाया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में अमेरिका भी शामिल था। इस बहस ने जाने-अनजाने राजनीति रंग पकड़ लिया है। हालांकि वैज्ञानिक इस वायरस को प्राकृतिक मानते हैं, पर ऐसे वैज्ञानिक भी हैं, जो मानते हैं कि प्रयोगशाला में ऐसे वायरस तैयार करने की युक्तियों पर काम करना सम्भव है, जो प्रकृति में नहीं हैं। पिछले साल तक इस बात पर करीब-करीब आम सहमति थी कि कोविड-19 का वायरस चमगादड़ में प्राकृतिक रूप से विकसित हुआ, पर बीच में किसी जीव के माध्यम से मनुष्यों के शरीर में आ गया। इसे गेन ऑफ फंक्शन रिसर्च कहा जा रहा है। अब यह सवाल किया जा रहा है कि क्या वुहान की प्रयोगशाला में इस वायरस को रखा गया था, जो किसी तरह से लीक हो गया। इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।

इस संदर्भ में अमेरिका के पॉइंटर इंस्टीट्यूट की वैबसाइट पॉलिटिफैक्ट ने बहुत विस्तार से पड़ताल की है। इसे दुनिया के सबसे विश्वसनीय फैक्ट-चेकर के रूप जाना जाता है। इसने जो आलेख प्रकाशित किया है, उसके जो स्रोत-संदर्भ दिए हैं, वे इस प्रकार हैं:

Our Sources

Senate Health, Education, Labor, and Pensions Committee, hearing video (1:11:50), May 11, 2021

Email, Sen. Rand Paul communications director Kelsey Cooper, May 12, 2021

Poynter, "Dr. Anthony Fauci calls Sen. Rand Paul’s claim that NIH funded risky virus research at Wuhan lab ‘preposterous,’" May 11, 2021

PolitiFact, "New evidence ties COVID-19 creation to research funded by Fauci," Feb. 8, 2021

Medium.com, "Origin of Covid — Following the Clues," May 2, 2021

Daily Caller, "US Grant To Wuhan Lab To Enhance Bat-Based Coronaviruses Was Never Scrutinized By HHS Review Board, NIH Says," April 4, 2021

Twitter, video (11:20) of PolitiFact interview of Dr. Anthony Fauci, May 11, 2021

Email, University of North Carolina spokesperson Shantell Kirkendoll, May 17, 2021

Email, Dr. David Relman, the Thomas C. and Joan M. Merigan professor in medicine, and professor of microbiology & immunology, and senior fellow at the Freeman Spogli Institute for International Studies at Stanford University; and chief of infectious diseases at the Veterans Affairs Palo Alto Health Care System in Palo Alto, Calif., May 12, 2021

Email, Alina Chan, Postdoctoral Fellow at the Broad Institute, May 15, 2021

Science, "Investigate the origins of COVID-19," May 14, 2021

Email, Kevin Esvelt, assistant professor at the MIT Media Lab, Feb. 4, 2021

Email, Nikolai Petrovsky, director of endocrinology at Flinders Medical Centre and professor of medicine at Flinders University, Adelaide, Australia; vice-president and secretary-general of the International Immunomics Society, May 13, 2021

Email, Robert Garry, professor of microbiology and immunology at Tulane University School of Medicine, May 13, 2021

Email, Joel Wertheim, evolutionary biologist at the University of California, San Diego, May 13, 2021

Email, Richard Ebright, Board of Governors professor of chemistry and chemical biology at Rutgers University, May 12, 2021

Twitter thread, Kristian G. Andersen, professor in immunology and microbiology at Scripps Research Institute, May 9, 2021

Email, Dr. Daniel Lucey, senior scholar with O’Neill Institute for National and Global Health Law at the Georgetown University Law Center and adjunct professor of medicine-infectious diseases at Georgetown University Medical Center, May 13, 2021

The Lancet, "Clinical features of patients infected with 2019 novel coronavirus in Wuhan, China," Jan. 24, 2020

Newsweek, "The Wuhan Lab and the Virus: The Dr. Fauci, Rand Paul Debate Fact-Checked and Explained," May 14, 2021

Boston Magazine, "Could COVID-19 Have Escaped from a Lab?", Sept. 9, 2020

New York Magazine, "The Lab-Leak Hypothesis: For decades, scientists have been hot-wiring viruses in hopes of preventing a pandemic, not causing one. But what if …?", Jan. 4, 2021

MIT Technology Review, "Did the coronavirus leak from a lab? These scientists say we shouldn’t rule it out," March 18, 2021

MIT Technology Review, "Top researchers are calling for a real investigation into the origin of covid-19," May 13, 2021

Independent Science News, "An Interview with Richard Ebright: The WHO Investigation Members Were ‘participants in disinformation,’" March 24, 2021

 

 

2 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27-05-2021को चर्चा – 4,078 में दिया गया है।
    आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद सहित
    दिलबागसिंह विर्क

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  2. अभी तक तो सब कयास लगा रहे हैं और राजीनीतिक पार्टियाँ अपना हित साध रही हैं। एक निष्पक्ष जाँच के परिणामों का इंतजार रहेगा।

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