Sunday, April 10, 2011

विज्ञापनों में झलकता रंग-रंगीला देश



पिछले एक साल में टी-ट्वेंटी वर्ल्ड कप, विश्व कप फुटबॉल, कॉमनवैल्थ गेम्स और विश्व कप क्रिकेट की तुलना करें तो क्रिकेट सबसे भारी बैठेगा। कवरेज के लिहाज से, दर्शकों की संख्या और कमाई के लिहाज से भी। चूंकि टीम चैम्पियन हो गई है इसलिए इस विश्व कप से बनी लहरें दूर तक जाएंगी। सोने पे सुहागा आईपीएल करीब है। विश्व कप के फाइनल और सेमी फाइनल मैच मीडिया के लिहाज से तमाम बातों के लिए याद किए जाएंगे, पर सबसे खास बात थी, इन दोनों मैचों में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर लगी पाबंदी।


सेमी फाइनल में ही आईसीसी ने मीडिया का एक्रेडिटेशन खत्म कर दिया था। भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को व्यावसायिक कार्यक्रमों की कवरेज की गम्भीरता का अनुमान है। पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया में ट्राई सीरीज के फोटोग्राफों के प्रकाशन को लेकर विवाद खड़ा हो चुका है। इसके साथ ही भारत में आईपीएल की कवरेज को लेकर भी विवाद रहा है। विश्व कप के मोहाली में हुए मैच के पहले सूचना-प्रसारण मंत्रालय को हस्तेक्षेप करना पड़ा, पर उसके बावजूद चंद चैनलों को ही कवरेज की इजाजत मिल पाई। फाइनल में ऐसा नहीं हुआ। इसका सबक यह है कि मीडिया को उन सीमाओं को समझना पड़ेगा, जो ऐसे कार्यक्रमों से जुड़ी हैं, जो सरकारी नहीं हैं।

बजा के चुटकी धूल चटा दे
बहरहाल यह विश्व कप कुछ रोचक टीवी कॉमर्शियलों के लिए याद रखा जाएगा। आईसीसी का जियो खिलाड़ी वाहे-वाहे, बजा के चुटकी धूल चटा दे, गुत्थी-गुत्थम दे घुमाके। रोजमर्रा के मुहावरों को रोचक विजुअल्स के साथ इसे शंकर महादेवन ने बड़े रोचक ढंग से गाया है। कॉमनवैल्थ गेम्स के एआर रहमान के गाने के मुकाबले यह ज्यादा फिट रहा। नाइके का बैनिश द एक्सक्यूज़ेज़, ब्लीड ब्लू अपेक्षाकृत सोबर और शालीन, पर प्रभाव शाली था। वर्ल्ड कप की जीत के बाद हू वांट्स टु स्टॉप युनाइटेड बाई ब्लू बनाया है जो अपने विजुअल्स के कारण खासा प्रभावशाली है। पर हीरो होंडा के धक-धक गो, इंडिया गो का जवाब नहीं। एक ज़माने में मिले सुर मेरा तुम्हारा जैसा इसका असर है।

सुब्रमनियम, अल्मुनियम
विश्व कप के दौरान रोचक विज्ञापनों में स्पाइस मोबाइल का ये गोट नहीं मूवी है, अब सारा संसार मूवी है काफी ध्यान खींचता रहा। स्पाइस मोबाइल इनोवेशन पर खासा ध्यान देते हैं। उनका दावा है कि इस मोबाइल में स्क्रीन पर मूवी दिखाने का प्रोजेक्टर है। रोचकता में फैवीकॉल का वह विज्ञापन भी कम नहीं है, जिसमें ट्रक ड्राइवर अपनी नई-नवेली को घुमाने ले गया तो साइकिल वाला पीछे लग गया। ऐसा ही रोचक है जब लैला को करना था इम्प्रेस, मजनू ने खाई मिंट-ओ-फ्रेश। और क्रैक जैक का वह विज्ञापन टेस्ट का डबल रोल, जो खोलेगा एक नेता की पोल। नेता की या सास की पोल खोलने वाले ये विज्ञापन भारतीय मन को सीधे छूते हैं। नोकिया का 32 जीबी मेमरी वाले फोन का एंट्री ऐसी हो कि सब रिकॉर्ड करें भी ध्यान खींचता है। या एफएम रेडियो का प्रसारण करने वाला ओनिडा मोबाइल। इसी तरह का रोचक विज्ञापन है ओरियंड का पीएसपीओ।   

सहवाग का ऊपर कट
पेप्सी और कोका कोला के कैम्पेन हमेशा ध्यान खींचते रहे हैं। कोका कोला ने इस बार बर्र.....ओपन हैप्पीनेस नाम से जो विज्ञापन दिया वह रोचक है, पर उसकी कोई बड़ी सीरीज नहीं दी। पेप्सी ने चेंज द गेम या बदल दे गेम के तहत भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के स्टार खिलाड़ियों के अजब गजब अंदाज में तैयारियों के विज्ञापन रोचक बनाए हैं। सहवाग का ऊपर कट ऊपर से आने का, नीचे दबाने का, पीछे उठाने का हा.., हा...हा...हा या भज्जी का उंगली में टिंगली रोचक है। ऐसा ही है धोनी का हैलीकॉप्टर शॉट।

दुनिया का सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्किट

पार्ले ने भारत में किसी मल्टी नेशनल कम्पनी को बढ़त नहीं लेने दी। कोका कोला को थम्स अप के नेटवर्क के सहारे ही देश में जगह मिली। पार्ले जी ने इस बार कुछ पुरानी यादों के साथ जोड़कर मार्मिक विज्ञापन दिए। नैनो का विज्ञापन भी ऐसा ही है। कभी हमारा बजाज और गोदरेज स्टोरवैल के विज्ञापन भी ऐसे होते थे। फिल्मी कलाकारों में अमिताभ बच्चन का जेन शॉर्ट कट मोबाइल ने ध्यान खींचा।  शाहरुख के नवरत्न तेल-पाउडर से ज्यादा रोचक हैं तो पैलवान लड़कियों वाली क्रीम लगा रहा है? और देहाती लड़कियों का हाय हैंडसम करना।  

टीवी विज्ञापनों में इन रोचक विज्ञापनों के बीच सरकारी विज्ञापन भी देखने को मिले। खासतौर से जागो ग्राहक जोगा सीरीज़ के विज्ञापन सबसे रोचक थे। लगता है भारत के सेंट्रल एक्साइज विभाग के पास पब्लिसिटी के लिए काफी पैसा है। उन्होंने विजेन्द्र कुमार को ठीक चुना, पर इन विज्ञापनों को रोचक और ज्ञानवर्धक बनाया जा सकता था। एलआईसी के विज्ञापन के साथ भी यही बात है।  

इंडिया के वर्ल्ड चैम्पियन बनने के पहले जितने मीडिया कैम्पेन थे उनकी जगह बहुत जल्द नए कैम्पेन लेने जा रहे हैं। सबसे पहले आया है नाइके का युनाइटेड बाई व्लू। इसमें छत पर खड़ा एक खिलाड़ी शॉट लगाता है और क्रिकेट के विजुअल्स एक-दूसरे से मिलते जाते हैं। नाइके के विज्ञापनों में अपने ब्रांड को बेहद हल्के ढंग से सबसे आखिर में पेश किया जाता है। जस्ट डू इट। पर एक देश का क्रिकेट के प्रति लगाव उनके विज्ञापनों से बखूबी व्यक्त होता है। इधर रिवाइटल ने युवराज सिंह को लेकर नए विज्ञापन बनाए हैं। रिवाइटल ने अपने विज्ञापन व्यय को दुगना कर दिया है। विश्व कप में युवराज ने अपनी छवि सुधार कर इस विज्ञापन को सफल बना दिया है।

एक ज़माना था जब विज्ञापनों की भाषा अंग्रेजी होती थी। पर अब स्थिति उल्टी हो चुकी है। कभी थम्स अप टेस्ट द थंडर होता था, जो थम्स अप तूफानी ठंडा हो गया। पेप्सी ने तो पेप्सी आहा के साथ ही भारत के मार्केट में प्रवेश किया। डिटर्जेंट पाउडरों के विज्ञापनों ने मधय वर्गीय स्त्रियों को मॉडल बनाया। कोका कोला ने आमिर खान के बहाने देश के जन-जीवन की सैर कर ली। विश्व कप के बहाने हमारे विज्ञापन शुद्ध देशी मुहावरों को खोज पा रहे हैं, यह संतोष की बात है।  

ऑलराउंडर टुडे में प्रकाशित

3 comments:

  1. बहुत खूब अच्छा वर्णन किये हैं | क्रिकेट के माध्यम से देश का पैसा लुटा जा रहा है |
    आपके ब्लॉग पे आया, दिल को छु देनेवाली शब्दों का इस्तेमाल कियें हैं आप |

    बहुत ही बढ़िया पोस्ट है
    बहुत बहुत धन्यवाद|

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  2. अच्छा लगा पढ़कर....रोचक.

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