भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार को 80 सदस्यों
वाली नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की है, जिसमें वरुण गांधी समेत कुल पाँच नेताओं की छुट्टी कर दी गई है।
जिन पाँच नेताओं को राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति में नहीं रखा गया है, उनमें चौधरी
वीरेंद्र सिंह, वरुण गांधी, मेनका
गांधी, एसएस अहलूवालिया और सुब्रमण्यम स्वामी के नाम
शामिल हैं। अटकलें हैं कि वरुण गांधी शायद कांग्रेस में शामिल होंगे। फिलहाल यह
अटकल ही है और इस सम्भावना से जुड़े अनेक किन्तु-परन्तु हैं।
सरकार की आलोचना
वरुण गांधी और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेन्द्र
दोनों कृषि आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना करते रहे हैं। चौधरी पिछले साल
हरियाणा के रोहतक जिले में एक विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे। सुब्रह्मण्यम
स्वामी भी एक अरसे से सरकार की आलोचना कर रहे हं।
लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर वरुण गांधी ने यूपी
और केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले ट्वीट किए थे। गुरुवार को
उन्होंने लखीमपुर खीरी में किसानों के विरोध वाले स्थल का एक वीडियो ट्वीट किया,
जिसमें कृषि कानूनों का विरोध कर रहे लोगों के ऊपर से एक कार गुजरती
हुई नजर आ रहा है। उन्होंने वीडियो ट्वीट करते हुए गुरुवार को लिखा था कहा कि
निर्दोष किसानों का खून बहाने वालों का न्याय करना होगा।
लखीमपुर कांड
उन्होंने ट्वीट में लिखा था, 'यह वीडियो बिल्कुल शीशे की तरह साफ है। प्रदर्शनकारियों की हत्या करके
उनको चुप नहीं करा सकते हैं। निर्दोष किसानों का खून बहाने की घटना के लिए
जवाबदेही तय करनी होगी। हर किसान के दिमाग में उग्रता और निर्दयता की भावना घर करे
इसके पहले उन्हें न्याय दिलाना होगा। वरुण गांधी पीलीभीत से सांसद हैं। लखीमपुर और
पीलीभीत दोनों क्षेत्रों में सिख वोटर भी बड़ी संख्या में हैं। वरुण गांधी के बागी
तेवर लखीमपुर खीरी हिंसा से पहले भी दिखाई दिए। वरुण गांधी ने गन्ने का रेट 400
रुपये घोषित करने की मांग की। इसके लिए वरुण ने सीएम योगी को खत भी लिखा था। वरुण
ने 12 सितंबर को भी किसानों के मुद्दे उठाते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ को खत लिखा
था। तब वरुण ने भूमि-पुत्रों की बात सुनते की अपील करते हुए पत्र में 7 पॉइंट लिखे
थे। वरुण गांधी ने इसमें गन्ना के दाम, बकाया भुगतान,
धान की खरीदारी समेत 7 मुद्दों को उठाया था। 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर
में हुई महापंचायत में वरुण गांधी ने किसानों का समर्थन कर सरकार को असहज महसूस
कराया था।
वरुण की नाराजगी
प्रेक्षकों के अनुसार, अपनी
और मां मेनका गांधी की लगातार उपेक्षा से वरुण गांधी खासे नाराज हैं और यही वजह से
पार्टी लाइन से अलग जाकर बयानबाज़ी कर रहे हैं। इस बार मोदी सरकार के कैबिनेट
विस्तार में वरुण गांधी की भी चर्चा हो रही थी, लेकिन उन्हें शामिल नहीं किया गया।
इसके अलावा अगले साल होने वाले यूपी चुनाव में भी वरुण गांधी को कोई महत्वपूर्ण
जिम्मेदारी नहीं दी गई।
खटास के पीछे एक नहीं बल्कि कई वजहें हैं लेकिन
इसकी शुरुआत 2013 में मानी जाती है। तब वरुण बीजेपी के पश्चिम बंगाल प्रभारी थे।
लोकसभा चुनाव से पहले कोलकाता के परेड ग्राउंड तत्कालीन पीएम पद के उम्मीदवार
नरेंद्र मोदी ने रैली की थी। रैली का पूरा प्रबंध वरुण गांधी ने ही संभाला था।
बीजेपी इसे अच्छी रैली मान रही थी, लेकिन वरुण ने अगले दिन अखबार में बयान दे दिया
कि रैली विफल रही। बताती हैं कि यहीं से बीजेपी और वरुण गांधी के रिश्ते में दरार
पैदा हो गई।
वरुण का वह बयान पार्टी नेताओं को नागवार गुजरा
और धीरे-धीरे उन्हें साइडलाइन कर दिया गया। 2014 लोकसभा चुनाव में वरुण सुलतानपुर
से जरूर जीते, लेकिन कैबिनेट पद नहीं मिला। 2015 में अमित शाह ने राष्ट्रीय
अध्यक्ष बनते ही वरुण गांधी को राष्ट्रीय महासचिव पद से हटाया। वरुण की जगह कैलाश
विजयवर्गीय को महासचिव और बंगाल प्रभारी की कमान सौंप दी गई।
नई कार्यकारिणी
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और
एमएम जोशी शामिल हैं। पार्टी के केंद्रीय निर्णय लेने वाले इस निकाय में 50 विशेष
और 179 स्थायी आमंत्रित सदस्य शामिल हैं। इसमें बीजेपी शासित राज्यों के
मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, विधानसभाओं
के नेता और प्रदेश इकाई अध्यक्ष शामिल हैं।
पार्टी के संविधान के अनुसार, समिति पार्टी की सभी इकाइयों और संगठनों के कार्यों को पूरा करने के
लिए नियम बनाती है और पार्टी फंड के रखरखाव के लिए नियम तैयार करती है, जिनका ऑडिट और सालाना अनुमोदन किया जाना है। समिति के पास अन्य सभी
इकाइयों और संगठनों को अधिकार देने करने, नियम बनाने,
चुनाव कराने और विवादों के निपटारे के लिए व्यवस्था बनाने का भी
अधिकार है।
सिंधिया शामिल
80 सदस्यीय सूची में शामिल नए चेहरों में मध्य
प्रदेश बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं, दिल्ली से एस जयशंकर और मीनाक्षी लेखी हैं हिमाचल प्रदेश से अनुराग
ठाकुर और ओडिशा से अश्विनी वैष्णव शामिल किए गए हैं। अभिनेता से राजनेता बने मिथुन
चक्रवर्ती और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी, जो
तृणमूल कांग्रेस छोड़कर पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे,
को भी समिति में शामिल किया गया है। खुशबू सुंदर को तमिलनाडु से
विशेष आमंत्रितों की सूची में शामिल किया गया है, जो
कि कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुईं हैं।
जहाँ पार्टी उत्तर प्रदेश में चुनाव के लिए
पूरी शिद्दत से जुटी है, इस सूची में सिद्धार्थ नाथ सिंह, विनय कटियार और कल्याण
सिंह के पुत्र राजवीर सिंह का नाम नहीं है। अलबत्ता लोध समुदाय से बीएल वर्मा का
नाम इस सूची में है। अस्सी सदस्यों की सूची में 12 नाम उत्तर प्रदेश से हैं। इनमें
महेंद्र नाथ पांडेय, स्मृति ईरानी, ब्रजेश
पाठक, अनिल जैन, संजीव
बालियान, राजनाथ सिंह, संतोष
गंगवार और स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम भी जुड़ गया है। विशेष आमंत्रित सदस्यों में
भी छह नाम उत्तर प्रदेश से हैं। कार्यकारिणी की पहली बैठक नवम्बर में दिल्ली में
होगी।
थाली और बैंगन|
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