Wednesday, October 6, 2021

कोयले की किल्लत, बिजली संकट का अंदेशा

 


खबर है कि देश में केवल चार दिन के कोयले का स्टॉक बचा है, जिसकी वजह से बिजली उत्पादन में गिरावट आने का अंदेशा है। हाल के वर्षों में ऐसा संकट देखा नहीं गया है। अगस्त के महीने में बिजलीघरों में औसतन 13 दिन के कोयला का स्टॉक था, जो अब चार दिन का रह गया है। सरकार का निर्देश है कि बिजलीघरों के पास कम से कम 14 दिन का कोयला रहना चाहिए। गत 4 अक्तूबर को देश के 16 बिजलीघरों के पास एक दिन का स्टॉक भी नहीं बचा था। इन 16 बिजलीघरों की क्षमता 17,475 मेगावॉट की है। इनके अलावा 45 बिजलीघरों के पास, केवल दो दिन का कोयला था। इनकी क्षमता 59,790 मेगावॉट है।

बिजली-उत्पादन करने वाले आधे से अधिक बिजलीघरों को सावधान कर दिया गया है। बिजली मंत्री आरके सिंह का कहना है कि हम नहीं कह सकते कि अगले पांच-छह महीने में राहत मिलेगी या नहीं। हाँ इतना स्पष्ट है कि पिछले एक सप्ताह से हालात बेहद खराब हैं। देश में 40 से 50 गीगावॉट (एक गीगावॉट में 1000 मेगावॉट होते हैं) बिजली का उत्पादन करने वाले ताप बिजलीघरों अब केवल तीन दिन का स्टॉक बचा है।

 देश में कोयले से बिजली उत्पादन क्षमता 203 गीगावॉट है। इसमें से 70 फीसदी बिजली कोयले से पैदा होती है। अगले कुछ साल में देश में बिजली की मांग काफी बढ़ने वाली है। कई केंद्रीय मंत्रालय इस वक्त कोल इंडिया और एनटीपीसी के साथ मिलकर कोयला खदानों का उत्पादन बढ़ाने के उपायों पर विचार कर रहे हैं। फिलहाल कोयला खनन कंपनियां उन्हीं कंपनियों को पहले कोयला देंगी, जिन्होंने बकाये का भुगतान कर दिया है।

बिजली संकट के पीछे एक वजह कोरोना भी है जिसके कारण दफ्तर के काम से लेकर अन्य काम घर से ही निपटाए जा रहे थे और लोगों ने इस दौरान बिजली का काफी इस्तेमाल किया। दूसरे हर घर को बिजली देने का लक्ष्य भी एक कारण है। ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार 2019 में अगस्त-सितंबर महीने में बिजली की कुल खपत 10 हजार 660 करोड़ यूनिट  प्रति महीना थी। अब 2021 में बढ़कर यह 12 हजार 420 करोड़ यूनिट प्रति महीने है। 

भारी बारिश के कारण खदानों में पानी भर जाने की वजह से कोयले की निकासी नहीं हो पा रही है। जिन बिजलीघरों में कोयले का स्टॉक कम रह गया है वहां उत्पादन घटा दिया गया है ताकि इकाइयां पूरी तरह बंद करने की नौबत न आए। यूपी में बिजली के उत्पादन में तकरीबन 2000 मेगावॉट की कमी हुई है। अधिकारियों का कहना है कि चूंकि अभी मांग बहुत ज्यादा नहीं है इसलिए स्थिति नियंत्रण में है। लेकिन, नवरात्रि के साथ शुरू हो रहे त्यौहारी सीजन में मांग बढ़ेगी।  

2021 के अगस्त-सितंबर महीने में कोयले की खपत 2019 के मुकाबले 18 फीसदी तक बढ़ गई है। भारत के पास बहुत बड़ा कोयला का भंडार है, लेकिन खपत बढ़ने से इसपर बुरा प्रभाव पड़ा है। इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों से भी भारत कोयले का आयात करता है। इस बीच कोयले की कीमत में तिगुनी वृद्धि भी हुई है।

हाल में खबरें हैं कि चीन के कई प्रांतों में कोयले की कमी के कारण औद्योगिक उत्पादन में भारी गिरावट आई है। देश के बीस से ज्यादा प्रान्तों में जबर्दस्त कटौती चल रही है। शॉपिंग मॉल्स, सिनेमा घरों, बार आदि को अपने काम के घंटे कम करने और हीटिंग सिस्टम को बंद करने का निर्देश दिया गया। यह संकट खासतौर से जियांग्सू, झेजियांग और ग्वांग्डोंग में सबसे ज्यादा है, जो औद्योगिक क्षेत्र हैं।

चीनी अर्थव्यवस्था का करीब एक तिहाई योगदान इन क्षेत्रों से आता है। एक तरफ औद्योगिक माँग है और दूसरी तरफ कोयले और गैस की कीमतें चढ़ रही हैं। जलवायु परिवर्तन के सिलसिले में चीन ने बड़े वैश्विक लक्ष्यों को स्वीकार कर लिया है, और सन 2060 तक कार्बन न्यूट्रैलिटी का वायदा किया है। उत्सर्जन के लिए सरकार ने जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं, उन्हें देखते हुए कोयले पर आधारित बिजलीघरों पर अवलम्बन कम किया जा रहा है। फरवरी में बीजिंग में विंटर ओलिम्पिक खेल आने वाले हैं। राष्ट्रपति शी चिनफिंग चाहते हैं कि उस दौरान आसमान नीला दिखाई पड़े। ताकि दुनिया को लगे कि हम जलवायु-संरक्षण में भी सबसे आगे हैं।

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