कोविड-19 को लेकर दो तरह के परिदृश्य हमारे सामने हैं। दूसरी लहर के भयानक हाहाकार के बाद कम से कम भारत में स्थितियाँ सुधरती हुई लग रही हैं। देश के काफी राज्यों में जन-जीवन अपेक्षाकृत सामान्य हो चला है, स्कूल-कॉलेज खुलने लगे हैं, सरकारी दफ्तरों में काम होने लगा है, बाजार, मॉल और सिनेमाघर तक खुलने लगे हैं। पर तस्वीर का दूसरा पहलू भी है। महामारी कहीं गई नहीं है, वह अभी हमारे बीच है। उसके कई वेरिएंट विचरण कर रहे हैं। पिछले दो साल में यह सबसे नाज़ुक मौका है। अब हम उसे दबोच सकते हैं और बीमारी भी हमें दबोच सकती है। खासतौर से भारत में इस वक्त सबसे ज्यादा सजग रहने की जरूरत है।
48 लाख से ज्यादा मौतें
दुनिया भर में कुल केस इस हफ्ते 23 करोड़ 90
लाख के आसपास पहुँच चुके हैं। एक करोड़ 80 लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं, जिनमें
से करीब 83 हजार गम्भीर स्थिति में हैं। 48 लाख 70 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी
हैं। भारत में कुल मामले तीन करोड़ 40 लाख के आसपास हैं और कुल मौतें साढ़े चार
लाख से ज्यादा हो चुकी हैं। 12 अक्तूबर की सुबह तक देश में कुल 3 करोड़, 39 लाख, 84 हजार से ज्यादा केस हो चुके हैं।
इनमें एक्टिव मरीजों की संख्या 2,07,937 थी।
दुनिया में भारत दूसरे नम्बर पर है। सिर्फ
अमेरिका में ही भारत से ज्यादा मामले हैं। वहां कोरोना संक्रमणों की संख्या चार
करोड़ से ऊपर है मौतों की संख्या सात लाख से ऊपर। ब्राजील में दो करोड़ के ऊपर केस
हुए हैं और इससे हुई मौतों की संख्या 6 लाख से ज्यादा है। इन तीनों देशों में
दुनिया के आधे से ज्यादा कोरोना मरीज हैं। यूके में 79 लाख, रूस
में 75 लाख, तुर्की में 72 और फ्रांस में 70 लाख मामले
सामने आए हैं। यह लम्बी सूची है।
भारत में महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित
राज्य है, जहाँ कुल मामले 65 लाख से ज्यादा हैं। वहाँ पूरे देश की एक चौथाई यानी एक
लाख से ज्यादा मौतें हुई हैं। केरल में 48 लाख से ज्यादा, कर्नाटक में 29, तमिलनाडु
में 26 लाख, आन्ध्र प्रदेश में 20 लाख, उत्तर प्रदेश में 17 लाख, पश्चिम बंगाल 15
लाख और दिल्ली में 14 लाख से ऊपर मामले आ चुके हैं।
त्योहारों का मौका
भारत और खासतौर से उत्तर भारत में, यह सबसे नाज़ुक समय है। लड़कों पर भीड़ बढ़ गई है। त्योहारों के कारण अब जनवरी के पहले हफ्ते तक हमें खासतौर से सावधान रहने की जरूरत है। इस दौरान कई लम्बे वीकेंड आएंगे। कई दिन की छुट्टियाँ पड़ेंगी। पिछले दो साल से लोग अपने घरों में कैद हैं। ऐसे में लोग घूमने के लिए निकल पड़ते हैं। इस साल भी संयम बरतें। विशेषज्ञों का कहना है कि पर्यटकों की संख्या में वृद्धि और सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक या धार्मिक सभाओं के कारण जनसंख्या के घनत्व में अचानक वृद्धि से कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ सकते है।
नवरात्रि का दौर निकल गया है। अच्छा रहा, कोई
विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा। अभी दीपावली है, फिर क्रिसमस और उसके बाद नया साल।
आनन्द, उल्लास और खुशियों के इस मौके पर एहतियात बनाकर रखें। हालांकि अभी तीसरी
लहर नहीं आई है, पर उसके आने का माहौल न बनाएं। भारत में जनसंख्या का घनत्व
अमेरिका या दूसरे तमाम देशों से ज्यादा है। ऐसे में संक्रमण का खतरा भी ज्यादा
होता है। छुट्टियों का एक छोटा सा दौर भी संक्रमण की तेज लहर को बुलावा दे सकता
है।
आईसीएमआर के बलराम भार्गव, समीरन पांडा और संदीप मंडल और इंपीरियल कॉलेज लंदन से निमालन अरिनामिनपति ने हाल में एक गणितीय मॉडल के आधार पर ‘कोविड-19
महामारी के दौरान और भारत के अंदर जिम्मेदार यात्रा’ पर आधारित एक टिप्पणी
प्रकाशित की है। इन विशेषज्ञों ने कुछ काल्पनिक परिदृश्यों को चित्रित किया, जिसे पहली और दूसरी लहरों में हिमाचल प्रदेश जैसा दिखाने के लिए
बनाया गया। हिमाचल प्रदेश में छुट्टियों के मौसम में, जनसंख्या
में 40 प्रतिशत की वृद्धि आम है। इसे ध्यान में रखते हुए, प्रतिबंधों
का संचालन करना होगा।
अपर्याप्त सुरक्षा-कवच
शोधकर्ताओं ने कहा, ‘पर्यटकों
की संख्या में वृद्धि और सामाजिक, राजनीतिक या धार्मिक कारणों होने वाली
सामूहिक सभाओं के कारण जनसंख्या घनत्व में अचानक वृद्धि तीसरी लहर का माहौल बना
सकती है।’ ऐसे में ‘जिम्मेदार यात्रा' की योजना बनानी
चाहिए। देश में अगले कुछ दिनों में 100 करोड़ से ऊपर टीके हो जाएंगे। पर समूची
जनसंख्या के प्रतिशत और सरकारी लक्ष्य के हिसाब से अब भी हम पीछे हैं।
प्रसिद्ध वायरोलॉजिस्ट डा डब्ल्यू इयान लिपकिन
ने हाल में भारत के संदर्भ में कहा कि देश को दोबारा खोले जाने के लिए जरूरी
सुरक्षा कवच अभी तक नहीं तैयार हुआ है। वैक्सीन लेने वाली भारत की आबादी का
प्रतिशत काफी कम है। 20 फीसद से कम आबादी को डोज़ दी गई है और करीब 35 फीसद को एक
डोज़। देश में 30 फीसद आबादी 18 साल से कम उम्र वाली है, जिसके लिए स्वदेशी वैक्सीन
को अनुमति मिल गई है, पर उसके रोल-आउट में समय लगेगा। देश को सुरक्षित तरीके
से खोलने के लिए जो कवच चाहिए वह अभी देश में नहीं है।
सम्भावित तीसरी लहर से निपटने के लिए सरकार ने
एक दिन में पांच लाख तक कोविड मामलों से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के आधार
ढाँचे की तैयारी की है। मतलब यह नहीं कि इतनी संख्या में संक्रमण के मामले आएंगे।
पर आए, तो इंतजाम रखना होगा। स्कूल खुलने लगे हैं। फौरी तौर पर इसके प्रभाव पर नजर
रखनी होगी। हाल में उत्तराखंड के नैनीताल जिले में राजकीय इंटर कॉलेज, रातीघाट के
चार बच्चे कोरोना संक्रमित पाए गए। संक्रमित बच्चों के परिजनों और सम्पर्क में आए
लोगों की ट्रेसिंग की जरूरत है। यह काम हर जगह करना होगा।
लापरवाही नजर आ रही है| सजग रहने की जरुरत है | आपका आंकलन सटीक है |
ReplyDeleteत्योहारों का मौका
भारत और खासतौर से उत्तर भारत में, यह सबसे नाज़ुक समय है। लड़कों पर भीड़ बढ़ गई है। (सड़को कर लें )
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (20-10-2021) को चर्चा मंच "शरदपूर्णिमा पर्व" (चर्चा अंक-4223) पर भी होगी!
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सटीक प्रविष्टि
ReplyDeleteसटीक जानकारी
ReplyDeleteसच में सतर्कता अभी आवश्यक है
सटीक जानकारी जिज्ञासा जी ।
ReplyDeleteबहुत उपयोगी और महत्वपूर्ण जानकारियां देता समाचार ।
ReplyDeleteसाधुवाद।