एक अरसे से मीडिया की सुर्खियों से कोविड-19 गायब था, पर अब दो वजहों से उसने फिर से सिर उठाया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि कोरोना के कारण दुनिया में क़रीब डेढ़ करोड़ लोगों की मौत हुई है, जबकि सरकारी आँकड़ों के अनुसार करीब 62 लाख लोगों की मृत्यु हुई है। हालांकि ज्यादातर देशों को लेकर यह बात कही गई है, पर खासतौर से भारत की संख्या को लेकर विवाद है। डब्लूएचओ का कहना है कि भारत में कोरोना से 47 लाख लोगों की मौत हुई है, जबकि सरकारी आँकड़ों के अनुसार यह संख्या करीब सवा पाँच लाख है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार मौतों की संख्या को लेकर
जहाँ संशय है, उनमें भारत के साथ रूस, इंडोनेशिया,
अमेरिका, ब्राजील, मैक्सिको
और पेरू जैसे देश शामिल है। बहरहाल अब बहस जन्म और मृत्यु के आँकड़ों को दर्ज करने
की व्यवस्था को लेकर है। साथ ही इस बात को रेखांकित भी करते हैं कि भविष्य में
किसी भी महामारी का सामना करने के लिए किस तरह की तैयारी होनी चाहिए।
खतरा आगे है
इस बीच माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के संस्थापक बिल
गेट्स की एक पुस्तिका ने भी दुनिया का ध्यान खींचा है, जिसमें कहा गया है कि
दुनिया ने अभी कोरोना महामारी के सबसे बुरे दौर का सामना नहीं किया है। डेल्टा और
ओमिक्रॉन से भी ज्यादा संक्रामक और जानलेवा कोरोना वेरिएंट के आने का खतरा बना हुआ
है। स्थिति से पहले से निपटने के लिए उन्होंने वैश्विक निगरानी बढ़ाने की जरूरत पर
जोर दिया है। उन्होंने यह चेतावनी अपनी एक नई किताब में दी है, जिसका शीर्षक है, ‘हाउ टू प्रिवेंट द नेक्स्ट पैंडेमिक।’ यह किताब कोविड महामारी से सीखे गए सबक के आधार पर अगली महामारी को
रोकने के तरीकों की बात करती है।
बिल गेट्स का उद्देश्य डराना नहीं, बल्कि इस
दिशा में विचार करने की शुरुआत करने का है। काफी लोगों को लग रहा है कि हालात ‘सामान्य’ हो गए हैं, पर ऐसा
सोचना गलत है। हमें अब सोचना यह चाहिए कि अगले हमले या हमलों को किस तरह से रोका
जाए। अभी तक हमने कोविड के सबसे बुरे दौर का सामना
नहीं किया है। अभी जो हुआ है, वह औसत से 5 प्रतिशत से
ज्यादा नहीं था।
उनका सुझाव है कि एक अरब डॉलर के निवेश के साथ ‘ग्लोबल एपिडेमिक रेस्पांस एंड मोबिलाइज़ेशन (जर्म) टीम’ बनाई जानी चाहिए। इस एजेंसी का संचालन विश्व स्वास्थ्य
संगठन करे। उनकी इस सलाह पर विशेषज्ञों ने कहा है कि ब्यूरोक्रेसी की एक नई परत
तैयार करने के बजाय डब्लूएचओ को ही पुष्ट करने की जरूरत है। वस्तुतः वैश्विक
स्वास्थ्य-रक्षा का कार्यक्रम ताकतवर देशों का अखाड़ा बना हुआ है। सन 2020 में
अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुदान में कटौती कर दी। उसके बाद 2021 में
चीन ने कोविड-19 के स्रोत की गहराई से जाँच में अड़ंगा लगा दिया।
वैक्सीन-सफलता
बावजूद इन नकारात्मक
बातों के इस महामारी का एक अनुभव है कि दुनिया पहले के मुकाबले ज्यादा तेजी से
वैक्सीन तैयार कर सकती है। महामारी शुरू होने के एक साल के भीतर वैक्सीन बन गईं और
करीब-करीब पूरी दुनिया तक पहुँच गईं। हालांकि गरीब और अमीर देशों में उनके वितरण
की समस्या भी उजागर हुई, पर इसमें दो राय नहीं कि खासतौर से ‘मैसेंजर आरएनए (एमआरएनए)’ के कारण अब
छह महीने में वैक्सीन बन सकती है।
बिल गेट्स ही नहीं दूसरे विशेषज्ञ भी मानते हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनने और हाथ धोने जैसे एहतियात कदम उपयोगी हैं, पर स्कूलों को बंद करना सही रणनीति नहीं है। बच्चों पर बीमारी का असर कम होता है। सस्ते मास्क बनाएं और सब मास्क पहनें इस पर जोर होना चाहिए। सब मास्क पहनेंगे, तो बीमारी फौरन रुकेगी। बीमारी के विस्तार को देखते हुए कांटैक्ट ट्रेसिंग जैसी कोशिशें फेल होती हैं। गेट्स पिछले कुछ वर्षों से महामारी को लेकर चेतावनी जारी करते रहे हैं। 2015 में उन्होंने पहली बार सार्वजनिक रूप से आगाह किया था कि ‘दुनिया अगली महामारी के लिए तैयार नहीं है।’
सन 2019 में प्रकाशित किताब ‘द पैंडेमिक सेंचुरी’ में मार्क
होनिग्सबॉम ने बीसवीं सदी की नौ महामारियों का उल्लेख करते हुए लिखा है कि आज के
वैश्विक परिवहन, जलवायु परिवर्तन और मानवीय व्यवहार को देखते हुए विषाणुओं के
प्रसार को रोकना बहुत कठिन काम है। यह किताब जब आई थी, तब तक कोविड-19 का नाम नहीं
था, पर इस किताब का एक संस्करण 2020 में फौरन निकाला गया, जिसमें एक अध्याय
कोविड-19 का जोड़ा गया।
कोविड-19 ने मनुष्य
जाति के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिए थे, पर यूक्रेन की लड़ाई का आमुख भी इसी
दौरान लिखा गया। रूस-चीन गठजोड़ और दूसरे शीतयुद्ध की कहानी भी इसी दौर में लिखी
गई। ऐसा तब हुआ है, जब महामारी के कारण दुनिया की अर्थव्यवस्था को करीब-करीब साढ़े
आठ ट्रिलियन डॉलर की चोट लग चुकी है और यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया में
खाद्य-संकट पैदा हो गया है। दुनिया के सामने प्रकृति के साथ संतुलन बनाने की
चुनौती है, तो आपसी रिश्तों को साधने का जोखिम है। गेट्स की पुस्तक एक्टिविस्ट के
नजरिए से लिखी गई है, पर लगता है कि वैश्विक राजनीति सब पर भारी पड़ेगी।
जी sir, आपने हमें बिलकुल सही बात याद दिलाई है कि covid पूरी तरह हमसे अलग हुआ नहीं। और Bill Gates साहब इस मामले में बहोत ही सही बात कह रहे हैं।
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