Wednesday, June 9, 2021

जितिन प्रसाद ने भी कांग्रेस छोड़ी


उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के युवा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है। बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस मौके पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद थे। 2019 में भी कांग्रेस छोड़कर उनके बीजेपी में आने की चर्चा चली थी, पर अंतिम क्षणों में वह घोषणा रुक गई। उस वक्त खबर थी कि जितिन प्रसाद बीजेपी में शामिल होने के लिए दिल्ली रवाना हो चुके हैं। बहरहाल बाद में खबर आई कि प्रियंका गांधी ने उन्हें फोन करके मना लिया और प्रसाद रास्ते से लौट गए। अब कहा जा रहा है कि इसबार जितिन प्रसाद ने दो दिनों से अपना फोन बंद कर रखा था।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को कमजोर करने के बीजेपी के अभियान की शुरुआत हो गई है। जितिन प्रसाद ब्राह्मणों के बड़े नेता माने जाते हैं और यूपी में ब्राह्मण मतदाताओं की 10% की बड़ी हिस्सेदारी है।  जितिन प्रसाद ने बीजेपी मुख्यालय में पार्टी की सदस्यता लेने के बाद कहा कि मैंने कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल होने का फैसला बहुत सोच-समझकर लिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के नाम पर कोई राजनीतिक दल है तो वह एकमात्र बीजेपी है। उन्होंने कहा, "मैं ज्यादा बोलना नहीं चाहता हूं, मेरा काम बोलेगा। मैं बीजेपी कार्यकर्ता के रूप में 'सबका साथ, सबका विश्वास' और 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के लिए काम करूंगा।"

यूपी में महत्वपूर्ण भूमिका

पीयूष गोयल ने उन्हें बीजेपी मुख्यालय में पार्टी की सदस्यता दिलाई। उन्होंने जितिन प्रसाद को उत्तर प्रदेश का बड़ा नेता बताया और कहा कि यूपी की राजनीति में प्रसाद की बड़ी भूमिका होने वाली है। गोयल ने उत्तर प्रदेश की जनता के हित में जितिन प्रसाद के किए गए कामों का भी उल्लेख किया और कहा कि उनके आने से यूपी में बीजेपी का हाथ और मजबूत हुआ है।

जितिन प्रसाद का नाम उन 23 नेताओं में शामिल है, जिन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव और इसे और ज्यादा सजीव बनाने के लिए पत्र लिखा था। वे यूपी कांग्रेस में बड़ी जिम्मेदारी चाहते थे लेकिन उन्हें पार्टी में नजरंदाज किया जा रहा था। वे लंबे समय से ब्राह्मण समाज के हक में आवाज उठा रहे हैं। शायद नेतृत्व ने उन्हें समर्थन नहीं दिया। किस नेतृत्व ने? राहुल गांधी ने या प्रियंका ने? यूपी तो प्रियंका देखती हैं। बहरहाल जब जितिन प्रसाद ने ब्रह्म चेतना संवाद कार्यक्रम की घोषणा की तो पार्टी ने इससे किनारा कर लिया। कई नेताओं ने यह भी कहा कि वह उनका अपना निजी मसला है, इससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है।

शाहजहांपुर के रहने वाले जितिन प्रसाद के पिता स्वर्गीय जितेन्द्र प्रसाद कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। जितिन प्रसाद को कांग्रेस में साल 2001 में युवा कांग्रेस में सचिव पद की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में वे अपनी गृह सीट शाहजहांपुर से जीतकर लोकसभा पहुंचे। साल 2008 में उन्हें मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय राज्य इस्पात मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद 2009 के चुनाव में वे यूपी की धौरहरा सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे, लेकिन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा।

राहुल का करीबी

हालांकि उन्हें राहुल गांधी का करीबी माना जाता था, लेकिन, कुछ समय से वे हाशिए पर थे। हालांकि उन्होंने इसे लेकर कोई खुला विरोध नहीं किया था, पर वे लगातार अपनी नाखुशी का इजहार करते रहे थे। उनका गुस्सा तब और बढ़ गया, जब उनकी जानकारी के बिना ही शाहजहांपुर में जिला कांग्रेस अध्यक्ष बदल दिया गया। प्रसाद के साथ बीते कुछ महीनों में काम करने वाले एक लीडर ने कहा, 'उनका कहना था कि शाहजहांपुर में उन लोगों को कांग्रेस ज्यादा महत्व दे रही है, जो सपा छोड़कर आए हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए सालों तक काम करने वाले लोगों को हाशिए पर डाल दिया गया है।'

उनके पिता जितेंद्र प्रसाद वर्ष 2000 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव में बगावत करते हुए सोनिया गांधी के खिलाफ उतरे थे। अब 21 साल बाद उनके बेटे ने कांग्रेस को करारा झटका दिया है। पिछले दिनों उन्हें बंगाल चुनावों के लिए पार्टी का इंचार्ज भी बनाया गया था, लेकिन इसे उन्होंने सजा के तौर पर ही लिया था। वे पार्टी की किसी मीटिंग और कार्यक्रम में नहीं दिखे थे। इसके अलावा गठबंधन, प्रचार और मैनेजमेंट से जुड़े मामलों में भी उनकी ज्यादा राय नहीं ली गई थी। कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा कि दिल्ली में उन्होंने चुनाव प्रचार को लेकर कई बैठकें की थीं, लेकिन उनकी सारी योजनाओं पर सीनियर नेताओं ने पानी फेर दिया। उनकी ओर से दी गई किसी भी सलाह पर अमल ही नहीं किया गया।

भगदड़

हाल के वर्षों में कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेताओं की कतार लग गई है। पिछले साल ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। अप्रेल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान केरल के वरिष्ठ नेता पीसी चाको ने पार्टी छोड़ी थी। पिछले सात साल में कम से कम तीन दर्जन बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। इनमें 30 से ज्यादा ऐसे लोग हैं, जो केंद्रीय मंत्री, सांसद या प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। इनके अलावा कर्नाटक, गोवा और मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी में चले गए।

इनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं:-

1.एसएम कृष्णा

2.ज्योतिरादित्य सिंधिया

3.राव इंद्रजीत सिंह

4.नारायण दत्त तिवारी

5.नारायण राणे

6.हर्षवर्धन पाटील

7.शंकरसिंह वाघेला

8.विजय बहुगुणा

9.यशपाल आर्य

10.सतपाल महाराज

11.रीता बहुगुणा जोशी

12.जगदम्बिका पाल

13.रामदयाल उइके

14.एन बीरेन सिंह

15.प्रेमा खंडू

16.हिमंत विस्व सरमा

17.भुवनेश्वर कलीता

18.हिरण्य भूयाँ

19.संतीउसे कुजूर

20.कृष्णा तीरथ

21.राज कुमार चौहान

22.बरखा सिंह

23.टॉम वडक्कन

24.जयंती नटराजन

25.जीके वासन

26.दत्ता मेघे

27.जगमीत सिंह बरार

28.अवतार सिंह भडाना

29.रंजीत देशमुख

30.मंगत राम शर्मा

31.सुमित्रा देवी कासदेकर

32.रवि किशन

33.संजय सिंह और अमिता सिंह

34.राजकुमारी रत्ना सिंह

35.अम्मार रिजवी

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

1 comment:

  1. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व मूर्ख हैं। एक परिवार की गुलामी ले डूबेगी। बेहतरीन नेताओ की दरकिनार किया गया है जैसे पायलट और सिंधिया को मुख्यमंत्री पद ना मिलना.. सचिन पायलट भी कही न कही मौका खोज ही रहे होंगे..!

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