प्रधानमंत्री के साथ कश्मीरी नेताओं की करीब तीन घंटे तक चली वार्ता सम्पन्न हो गई है। हालांकि अभी सरकारी ब्रीफिंग नहीं हुई है, पर बातचीत से बाहर निकले कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने बताया कि बातचीत ने हमारी तरफ से पाँच बातें रखी गईं। राज्य का दर्जा जल्द बहाल हो, विधान सभा चुनाव कराए जाएं, कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी हो, सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए और स्थायी निवास को बनाए रखा जाए।
जम्मू-कश्मीर अपनी
पार्टी के नेता अल्ताफ बुखारी ने बैठक के बाद कहा, बातचीत बड़े अच्छे माहौल में हुई।
प्रधानमंत्री ने सभी नेताओं के मुद्दे सुने। पीएम ने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया
पूरी होने के बाद चुनाव को लेकर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। गुलाम नबी ने बताया कि
बैठक में सभी नेताओं को किसी भी विषय पर, कितना भी बोलने की छूट थी। पहले प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने
अपनी बात रखी।
आजाद के मुताबिक,
सरकार ने कोविड को चुनावों में देरी की
वजह बताया। बैठक में शामिल बीजेपी नेता कवींद्र गुप्ता ने बताया कि पीडीपी (पीपुल्स
डेमोक्रेटिक पार्टी) की नेता महबूबा मुफ्ती ने बैठक के दौरान पाकिस्तान
का नाम लिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ व्यापार जारी रहना चाहिए।
उधर सरकारी सूत्रों का कहना है कि हम सभी मसलों पर विचार-विमर्श के लिए तैयार हैं। फिलहाल हम चुनाव क्षेत्रों के परिसीमन का काम पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि चुनाव कराए जा सकें। परिसीमन का काम पूरा होने के बाद जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराए जाएंगे। गृहमंत्री ने कहा कि पूरी प्रक्रिया के तहत पूर्ण राज्य का दर्जा भी बहाल किया जाएगा।
पीएम मोदी ने बैठक
में कहा कि जम्मू-कश्मीर में एक भी मौत तकलीफदेह है और यह हम सबकी जिम्मेदारी है
कि युवाओं की रक्षा करें। समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी
कि प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि 'हम लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।'
उन्होंने सभी से परिसीमन की प्रक्रिया
में भाग लेने को कहा। हमें आश्वासन दिया गया है कि यह चुनावों का रोडमैप है। पीएम
ने यह भी कहा कि हम राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
बैठक में यह चर्चा
हुई है कि परिसीमन के बाद चुनाव कराए जाएं जिसपर अधिकतर लोगों ने सहमति जताई। फारूक
अब्दुल्ला सहित नेशनल कांफ्रेंस के तीन सांसदों ने, जिन्होंने परिसीमन आयोग की बैठकों का
बहिष्कार किया था, संकेत
दिया है कि अगर आयोग के अध्यक्ष उनकी चिंताओं को दूर करते हैं तो वे कार्यवाही में
शामिल होंगे। एक मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। नेशनल कांफ्रेंस और अन्य
पार्टियों ने 5 अगस्त के फैसले और परिसीमन की कवायद को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
दी है।
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