Thursday, June 25, 2020

इमरान खान की नजर में शहीद हैं ओसामा बिन लादेन


आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले अल-कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने 'शहीद' करार दिया है। उन्होंने गुरुवार 25 जून को यह बात तब कही, जब एक दिन पहले ही अमेरिका सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने में कोताही की है। इमरान खान ने लादेन को शहीद साबित करने वाला बयान देश की संसद में दिया है। खान ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ जंग में अमेरिका का साथ नहीं देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अमेरिकी फ़ोर्सेज़ ने पाकिस्तान में घुसकर लादेन को 'शहीद' कर दिया और पाकिस्तान को बताया भी नहीं। इसके बाद पूरी दुनिया पाकिस्तान की ही बेइज्जती करने लगी। इमरान के इस बयान की उनके ही देश में निंदा हो रही है।

खान ने कहा कि पाकिस्तान ने अमेरिका की आतंकवाद के खिलाफ जंग में अपने 70 हजार लोगों को खो दिया। जो पाकिस्तान देश से बाहर थे, इस घटना की वजह से उन्हें जिल्लत का सामना करना पड़ा। 2010 के बाद पाकिस्तान में ड्रोन अटैक हुए और सरकार ने सिर्फ निंदा की। उन्होंने कहा कि जब अमेरिका के एडमिरल मलन से पूछा गया कि पाकिस्तान पर ड्रोन हमले क्यों किए जा रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि सरकार की इजाजत से यह कार्रवाई की जा रही है।


इसके पहले काउंटर टेररिज्म पर 24 जून को जारी हुई अमेरिकी सरकार की 2019 की रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे पाकिस्तान ने अपनी सीमाओं में आतंकियों को पाल कर ना केवल भारत को बल्कि अफगानिस्तान को भी निशाने पर रखा। अफगानिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने वाले अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे गुटों के पाकिस्तान में होने की खबरें हैं. वहीं भारत को लेकर लिखा है कि उसे "जम्मू और कश्मीर, पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों और केंद्रीय भारत के कुछ हिस्सों में कई आतंकवादी हमले सहने पड़े।" रिपोर्ट में कहा गया है कि "भारत अपनी सीमाओं के भीतर होने वाली आतंकी गतिविधियों का पता लगाने और उन्हें हर तरह से रोकने के लिए लगातार दबाव बनाता आया है।”


अमेरिकी रिपोर्ट में उल्लेख है कि अमेरिकी और भारत आपस में आतंकवाद-रोधी सहयोग को लगातार बढ़ाते रहे हैं। वहीं पाकिस्तान के बारे में लिखा है कि उसने "2019 में आतंकवादियों को मिलने वाले धन की सप्लाई रोकने के कुछ कदम उठाए थे और फरवरी हमले के बाद से भारत को निशाना बनाने वाले आतंकी गुटों पर भी पाबंदियां लगाई थीं।" फरवरी 2019 में भारत के तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य में भारतीय सेना के एक दस्ते पर बड़ा जानलेवा हमला हुआ था जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित गुट जैश ए मुहम्मद ने ली थी।

इस साल फरवरी में हुई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में भी पाकिस्तान को साफ-साफ कह दिया गया था कि आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने की उसकी "सारी समय-सीमाएं” बीत गई हैं। पाकिस्तान को कहा गया कि अगर उसने जून 2020 तक आतंकियों को आर्थिक मदद मुहैया कराने वालों को दंडित नहीं किया तो पाकिस्तान के खिलाफ ऐसे निर्णय लिए जा सकते हैं जिससे उसे वित्तीय परेशानियां झेलनी पड़ेंगी।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनवरी 2018 में पाकिस्तान को मिलती आ रही अमेरिकी मदद राशि को रोकने की घोषणा कर दी थी और पूरे 2019 में भी स्थिति ऐसी ही बनी रही। अब नई रिपोर्ट में उस पर आरोप लगाए गए हैं कि आतंकवाद से लड़ने के लिए पाकिस्तान ने पर्याप्त कदम नहीं उठाए जैसे कि "ना तो दूसरे जाने माने आतंकियों जैसे जैश के संस्थापक और यूएन द्वारा आतंकवादी घोषित किए जा चुके मसूद अज़हर के खिलाफ कार्रवाई की और ना ही 2008 मुंबई हमलों के 'प्रोजेक्ट मैनेजर' साजिद मीर के खिलाफ, जबकि ये दोनों ही पाकिस्तान में आजाद बताए जाते हैं।"

रिपोर्ट में पाकिस्तान को इस बात के लिए श्रेय भी दिया गया है कि उसने अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में कुछ सकारात्मक सहयोग प्रदान किया, लेकिन इस बात पर असंतोष व्यक्त किया है कि पाकिस्तान की "सरकार और सेना ने देश भर में फैले आतंकियों के सुरक्षित ठिकानों को मिटाने के लिए लगातार काम नहीं किया। अमेरिकी कांग्रेस की 'कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म 2019' में कहा गया कि पाकिस्तान "प्रशासन ने कुछ आतंकी संगठनों और व्यक्तियों को देश में आजादी से अपना काम करने दिया और उनके खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं की।"

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