खेल हमारी ऊर्जा, हमारे विचार और सामूहिक अभियान का सबसे अच्छा उदाहरण है। एक स्वस्थ समाज खेल में भी स्वस्थ होना चाहिए। खेलों को सिर्फ मनोरंजन नहीं मानना चाहिए। वे मनोरंजन भी देते हैं। मनोरंजन की भी हमारे विकास में भूमिका है। मूलतः खेल हमें अनुशासित, आत्म विश्वासी और स्वाभिमानी बनाते हैं। समाज के पिछड़े वर्गों को भागीदारी देकर हम उन्हें खेल के मार्फत अपनी सामर्थ्य दिखाने का मौका दे सकते हैं। लड़कियों को आगे लाने मे खेल की जबर्दस्त भूमिका। आज के हिन्दुस्तान में प्रकाशित मेरा लेख इसी विषय पर केन्द्रित है।
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यू ट्यूब पर देखिए यह फिल्म जो इस धारणा को पुष्ट करती है।
vry well written. is pehloo ar jayada log dyan nahi dete hai.
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