Wednesday, June 9, 2010

ये चीनी बच्चे हिन्दी क्यों पढ़ रहे हैं?



मैने 21 मई की अपनी पोस्ट में एक सवाल पूछा था कि कल हमें चीनी भाषा में काम मिलेगा तो हम चीनी सीखंगे? जवाब है ज़रूर सीखेंगे। सीखना भी चाहिए। और जिस अंग्रेज़ी के हम मुरीद हैं, उसका महत्व भी हमारा पेट भरने से है। हमारे काम की न हो तो हम उसे भी नहीं पूछेंगे। अलबत्ता कुछ रिश्ते पैसे के नहीं स्वाभिमान के होते हैं। माँ गरीब हो तब भी माँ रहती है। हमें अपनी भाषा के बारे में भी कुछ करना चाहिए।

बहरहाल 21 मई की पोस्ट मैने गूगल के एक विज्ञापन के हवाले से शुरू की है। इस पोस्ट में भी गूगल विज्ञापन का हवाला है। इसमें चीनी लोग हिन्दी पढ़ते नज़र आते हैं। इकोनॉमिस्ट का यह प्रोमो रोचक है। हिन्दी काम देगी तो हिन्दी पढ़ेंगे। सच यह है कि पेट पालना है तो कुछ न कुछ सीखना होगा। बदलाव को समझिए। पर इस विज्ञापन को कोई आसानी से स्वीकार नहीं करेगा। न तो हिन्दी इतनी महत्वपूर्ण हुई है और न चीनी लोग हमारे यहाँ रोज़गार के लिए इतने उतावले हैं। यह तो इकोनॉमिस्ट मैग्ज़ीन को भारत में बेचने के लिए बना प्रोमो है। अलबत्ता इस प्रोमो पर बहस पढ़ना चाहते हैं तो यू ट्यूब पर जाएं। बड़ा मज़ा आएगा। 

5 comments:

  1. Anonymous8:13 PM

    दरअसल,सच तो ये है कि चीनी हिंदी नहीं अंग्रेज़ी सीख रहे हैं क्यूंकि सिर्फ़ यही एक चीज़ है जिसमें हम उनसे आगे हैं। रहा सवाल इकॉनॉमिस्ट का तो बेहतरीन पत्रिका बेहतरीन विज्ञापन परोस रही है...विज्ञापन का जो काम होता है उसे अंजाम दे रही है यानी हमें झूठमूठ ख़ुश होने का बहाना दे रही है

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  2. आपका यह कहना कि "हिन्दी काम देगी तो जरूर पढ़ेंगे" अपूर्ण है। होना यह चाहिये कि हिन्दी हमारी मातृभाषा है, हमारे देश के संस्कृति की वाहिका है; स्वाभिमान की पहचान है - यह काम नहीं देगी तो भी इसे पढ़ेंगे।

    बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में जब हिन्दी का आन्दोलन शुरू हुआ था तो श्रद्धानन्द जी ने घाटा उठाकार भी उर्दू के अखबार बन्द करके हिन्दी (देवनागरी) के अखबार चालू किये थे। बहुत से उदाहरण हैं।

    अंग्रेजी के प्रति हमारी नीति होनी चाहिये कि यदि इसके सीखने से रोजगार आदि मिलते हैं तो इसको सीखेंगे। किन्तु उसके बाद हिन्दी की ही सेवा करेंगे। हिन्दी के ही विकास की कामना करेंगे। अंग्रेजी को यहाँ से हटाना है - यह कभी नहीं भूलेंगे।

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  3. दरअसल चीनी धोखेवाज होते हैं और भारत की पूरी की पूरी अर्थव्यवस्था इस वक्त धोखेबाजी और ठगी पे चल रही है और यह बात चीनियों को पता है इसलिए इसमें अपना जुगाड़ के लिए हिंदी पढ़ रहें हैं |

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  4. अनुनाद जी से सहमत..पूरी बात कह दी उन्होंने.

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  5. bilkul sahi sir. hindi hamari mata hai aur hame ise padhna hi chahiye. ant me apni mata hi kam deti hai. hame sari bhasaon ka gyan hona chahiye par apne bhasa ki bat hi kuchh aur hai.

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