Friday, January 8, 2021

जीडीपी में 7.7 फीसदी के संकुचन का अग्रिम अनुमान

 


देश के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने 7 जनवरी को इस वित्त वर्ष के लिए राष्ट्रीय आय (जीडीपी) का पहला अग्रिम अनुमान (एफएई) जारी किया, जिसमें केवल कृषि को छोड़कर अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में संकुचन (कांट्रैक्शन) का अनुमान लगाया गया है। एनएसओ के मुताबिक, देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष (2020-21) में 7.7 प्रतिशत के संकुचन का अनुमान है, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 4.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। इस संकुचन के लिए कोविड-19 वैश्विक महामारी को मुख्य कारण बताया गया है।

मंत्रालय के अनुसार, '' साल 2020-21 में स्थिर मूल्य (2011-12) पर वास्तविक जीडीपी या जीडीपी 134.40 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। जबकि 31 मई 2020 को जारी 2019-20 की जीडीपी के अस्थायी अनुमान 146.66 लाख करोड़ रुपये के हैं। इस तरह 2020-21 में वास्तविक जीडीपी में अनुमानतः 7.7 प्रतिशत की गिरावट आएगी।

हरेक वित्त वर्ष में मंत्रालय जीडीपी के बारे में नियमित रूप से अपने अग्रिम अनुमान जारी करता है। यह अनुमान हर साल 7 जनवरी को जारी होता है। इस अनुमान का महत्व यह है कि केंद्र सरकार आगामी वर्ष के बजट के लिए इस अनुमान को आधार बनाती है। जैसे ही जानकारी और मिलती है, इस अनुमान में संशोधन किया जाता है। अब 26 फरवरी को मंत्रालय चालू वित्त वर्ष के लिए दूसरा अग्रिम अनुमान जारी करेगा।


जीडीपी का पहला अग्रिम अनुमान पहले सात महीनों के डेटा पर आधारित होता है। इसे अग्रिम रूप से इसलिए जारी किया जाता है, ताकि वित्त मंत्रालय के अधिकारी तथा अन्य विभाग अगले वित्त वर्ष के बजट की तैयारी में उनका उसका इस्तेमाल कर सकें। अलग-अलग सेक्टर के डेटा की जानकारी अलग-अलग संकेतकों के आधार पर होती है। जैसे कि पहले सात महीनों के औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक (आईआईपी) और निजी क्षेत्र में सूचीबद्ध कंपनियों के सितंबर तक के वित्तीय प्रदर्शन, फसल के पहले अग्रिम अनुमान, केंद्र और राज्य सरकारों के लेखा, बैंकों के जमा और ऋण, रेलवे के यात्रियों तथा माल ढुलाई से होने वाली आय, नागरिक उड्डयन की पैसेंजर और कार्गो आय, बड़े बंदरगाहों में कार्गो से आय, कॉमर्शियल वाहनों की बिक्री वगैरह के आधार पर यह सूचना एकत्र की जाती है।



दिसंबर में रिजर्व बैंक की मुद्रा नीति समिति की बैठक में वित्त वर्ष का संकुचन 7.5 फीसदी माना था। हालांकि नवंबर के बाद से अर्थव्यवस्था में फिर से संवृद्धि के लक्षण नजर आ रहे हैं, पर वास्तविक संकुचन को लेकर अभी दो-तीन तरह के अनुमान हैं। हाल में खबरें थीं कि जीएसटी के संग्रह में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है, डीलरों के पास पैसेंजर कारों की रिकॉर्ड डिलीवरी हुई है, मैन्युफैक्चरिंग परचेंज़िग इंडेक्स (पीएमआई) काफी मजबूत है। इस प्रकार अर्थव्यवस्था की रिकवरी के संकेत हैं।

भारत में कोरोनावायरस संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए मार्च 2020 के अंत में पूरे देश में लॉकडाउन घोषित किया गया था, जिसका असर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून 2020) में दिख गया। पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी का संकुचन दिखाई पड़ा था। तब भी कृषि क्षेत्र में संवृद्धि का अनुमान था। दूसरी तिमाही में संकुचन सिर्फ 7.5 फीसदी दर्ज हुआ। काफी हद तक लॉकडाउन हटने के बाद वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से हालात में सुधार आ रहा है। आर्थिक गतिविधियां काफी हद तक शुरू हो चुकी है।

एनएसओ की रिपोर्ट बताती है कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। ऐसे में चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.5 फीसदी रहने का अनुमान है। वहीं उद्योग क्षेत्र में 10.3 फीसदी और सेवा क्षेत्र में 9.8 फीसदी संकुचन का अनुमान है। खनन क्षेत्र में 12.4 फीसदी की गिरावट आएगी। वहीं, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 9.4 फीसदी और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 12.6 फीसद संकुचन होगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में व्यक्तिगत खपत -9.5 फीसदी रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 5.3 फीसदी थी। रिपोर्ट में सरकार के कुल खर्च में पिछले साल के मुकाबले इस साल कम करने का अनुमान लगाया गया है। सरकार का कुल खर्च इस साल 5.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले साल 11.8 फीसदी था। वहीं, सकल पूंजी निर्माण (ग्रॉस कैपिटल फॉर्मेशन) में 14.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान है, जिसमें पिछले साल 2.8 फीसदी की गिरावट आई थी। वहीं, देश के नॉमिनल जीडीपी में वित्त वर्ष 2020-21 में 4.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान है। देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी, प्रति व्यक्ति निजी उपभोग और निवेश का स्तर 2016-17 या उससे पहले के स्तर पर आ जाएगा।

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