Tuesday, May 9, 2023

इमरान की गिरफ्तारी से पाकिस्तान में अराजकता की लहर आने का खतरा

 


पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद देश में अराजकता की लहर फैलने का अंदेशा पैदा हो गया है। इमरान की तहरीके इंसाफ पार्टी के नेता महमूद कुरैशी ने देशवासियों से कहा है कि वे सड़कों पर उतर आएं। खैबर-पख्तूनख्वा के कुछ शहरों, कराची और लाहौर सहित दूसरे कुछ शहरों से हिंसा और आगज़नी की खबरें हैं।

देशभर में मोबाइल ब्रॉडबैंड सेवा स्थगित कर दी गई है। सरकार का दावा है कि हालात काबू में हैं, पर अगले कुछ दिनों में स्थिति स्पष्ट होगी। ज़ाहिर है कि जब देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है, इस प्रकार की अस्थिरता खतरनाक है।

इस्लामाबाद पुलिस के मुताबिक़ साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान को नेशनल एकाउंटेबलिटी ब्यूरो (नैब) ने अल-क़ादिर ट्रस्ट केस में गिरफ़्तार किया है। देश में भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराधों की पकड़-धकड़ के लिए नैब एक स्वायत्त और संवैधानिक संस्था है।

नैब ने भी इस सिलसिले में बयान जारी करते हुए बताया है कि उन्हें नैब ऑर्डिनेंस और क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया गया है। नैब ने कहा है, नैब हैडक्वॉर्टर रावलपिंडी ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को अल क़ादिर ट्रस्ट में कदाचार करने के जुर्म में हिरासत में लिया है।

अदालत से उठाया

चूकि यह गिरफ्तारी इस्लामाबाद हाईकोर्ट के अहाते से हुई है, इसलिए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आमिर फ़ारूक़ ने नैब के डायरेक्टर जनरल और प्रॉसीक्यूटर जनरल को अदालत में पेश होने का हुक्म दिया। इस लिहाज़ से यह मसला संवैधानिक संस्थाओं के बीच टकराव का कारण भी बनेगा। बहरहाल बाद में अदालत ने इस गिरफ्तारी को वैध बताया

गिरफ्तारी पुलिस ने नहीं की है, बल्कि अर्धसैनिक बल रेंजर्स ने की है। इससे लगता है कि इस गिरफ्तारी में सेना की सहमति भी है। पुलिस का कहना है कि इमरान खान को इस अदालत से बार-बार बुलावा आया, पर वे हाजिर नहीं हुए, इसलिए उन्हें गिरफ्तार करके पेश किया जाएगा।

सेना पर आरोप

सोमवार को सेना की जनसंपर्क शाखा आईएसपीआर ने एक बयान में कहा था कि एक हाज़िर सैनिक अफ़सर के ख़िलाफ़ इमरान ख़ान के बे-बुनियाद इल्ज़ामात पर इदारा 'क़ानूनी कार्रवाई का हक़ रखता है। एक अरसे से आईएसआई के डीजी डीजीसी मेजर जनरल फ़ैसल नसीर पर इमरान खान हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा रहे हैं। आईएसपीआर के बयान के बाद मंगलवार की सुबह इल्ज़ाम दोहराते हुए फिर कहा कि जब भी तहक़ीक़ात होंगी, साबित करूँगा कि यही वह आदमी है।

इमरान खान येन-केन प्रकारेण गिरफ्तारी से बचते रहे हैं। पिछले बुधवार 3 मई को इस्लामाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आमिर फ़ारूक़ ने कहा था कि इमरान खान अदालत में पेश होने से लगातार बच रहे हैं। वे 4 मई को पेश नहीं हुए, तो नौ मामलों में उन्हें मिली अंतरिम जमानत रद्द कर दी जाएगी।  

इमरान खान दो मामलों में ज़मानत के लिए मंगलवार को अदालत में आए थे कि रेंजर उन्हें उठा कर ले गए। वे आए किसी और मामले में थे, पर गिरफ्तारी किसी दूसरे मामले में हो गई।

अदालत ने बचाया

इमरान खान पर सौ से ज्यादा मुकदमे कायम हो चुके हैं। इन मुकदमों के कारण वे विक्टिम कार्ड भी खेल रहे हैं। दूसरे उन्होंने धार्मिक जुम्लों का भी जमकर इस्तेमाल किया है। इन सब कारणों से उनकी लोकप्रियता बढ़ी है। यह राजनीतिक लड़ाई ऐसी शक्ल ले चुकी है, जिसमें सेना और अदालतें दोनों लपेटे में आ गई हैं।

मार्च के महीने में जब पुलिस ने इमरान खान के लाहौर स्थित निवास की घेराबंदी की थी, तब अदालत ने ही उन्हें गिरफ्तारी से बचाया था। इसपर सूचना मंत्री मरियम औरंगज़ेब ने अदालतों पर तंज़ कसते हुए कहा था कि इमरान की गिरफ्तारी के लिए गई पुलिस गैर-हथियारबंद थी, फिर भी गिलगित बल्तिस्तान फ़ोर्स को इस्तेमाल करते हुए पंजाब पुलिस और रेंजरों को ज़ख़्मी किया गया।

इस्लामाबाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस से ख़िताब करते हुए उन्होंने कहा, अगर इमरान ख़ान को पहले वारंट जारी कर के बाद में रिलीफ़ ही देना है तो पुलिस वालों के सर ना फुड़वाएं। ये नहीं हो सकता कि एक तरफ़ पुलिस अदालत के अहकामात की तामील के लिए जाए और दूसरी जानिब इमरान को अदालतों से ही छूट मिलती रहे।

उन्होंने यह भी कहा कि अदालतें अगर उनके पहले के अपराधों पर गिरफ़्तारी के आदेश जारी करतीं, तो सूरते-हाल यहां तक ना पहुँचती। अगर अब अदालत से इमरान ख़ान के वारंट-गिरफ़्तारी को मंसूख़ किया गया, या उसमें ढील दी गई, तो अदालतों को ऐसा ही रिलीफ़ पाकिस्तान के हर शहरी को देना होगा।

अल-क़ादिर ट्रस्ट

इमरान ख़ान ने अल क़ादिर यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट के लिए 26 दिसंबर 2019 को अल क़ादिर ट्रस्ट पंजीकृत कराया था। इस ट्रस्ट के दो ही ट्रस्टी हैं। एक इमरान ख़ान और दूसरी उनकी पत्नी बुशरा बीबी। इमरान ख़ान ने अपनी कैबिनेट के बहरिया टाउन से जुड़े फ़ैसले के कुछ दिन बाद ही ये ट्रस्ट रजिस्टर कराया था।

आरोप है कि बहरिया टाउन प्रोजेक्ट ने यूनिवर्सिटी के लिए दान दिया। इमरान ख़ान पर आरोप है कि उन्होंने बहरिया टाउन के चेयरमैन मलिक रियाज़ हुसेन और उनके परिवार को फायदा पहुँचाया था। अल क़ादिर ट्रस्ट को मिले दान की जांच अब पाकिस्तान का नेशनल एकाउंटेबलिटी ब्यूरो (नैब) कर रहा है।

इसके पहले अक्तूबर 2022 में तोशाखाना मामले में देश का चुनाव आयोग इमरान ख़ान को अगले पांच साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर चुका है। चुनाव आयोग ने कहा था कि इमरान ख़ान ने सत्ता में रहते हुए तोशाखाना से जो तोहफ़े लिए थे, उसके बारे में अधिकारियों को सही जानकारी नहीं दी।

आरोप है कि इमरान ख़ान ने प्रधानमंत्री रहते हुए तोशाखाना के महंगे गिफ़्ट, घड़ियाँ अपने फ़ायदे के लिए बेची थीं। तोशाखाना में देश के शासनाध्यक्षों, मंत्रियों, नौकरशाहों, सांसदों वगैरह को विदेशी सरकारों या अफ़सरों की ओर से मिले महंगे तोहफ़े रखे जाते हैं। यहाँ रखी हुई चीज़ों को कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद ही बेचा जा सकता है।

तोहफ़े की क़ीमत 30 हज़ार रुपये से कम है तो उसे व्यक्ति अपने पास रख सकता है। यदि उसकी कीमत 30 हजार से ज़्यादा है तो उस क़ीमत का 50 प्रतिशत जमा करके उसे ख़रीदा जा सकता है। साल 2020 से पहले सामान की असल क़ीमत का सिर्फ़ 20 प्रतिशत ही जमा करना पड़ता था।

इमरान ख़ान पर एक महिला जज के अपमान का भी मामला है। अगस्त 2022 में इमरान ख़ान के क़रीबी सहयोगी शहबाज़ को देशद्रोह के मामले में गिरफ़्तार किया गया था। इमरान ख़ान ने शहबाज़ को प्रताड़ित किए जाने के आरोप लगाए थे।

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