Tuesday, December 13, 2022

तवांग की झड़प पर रक्षामंत्री का संसद में वक्तव्य


अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीन और भारत के सैनिकों की झड़प पर लोकसभा में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार का पक्ष रखा है. उन्होंने कहा, ''नौ दिसंबर 2022 को तवांग सेक्टर के यांग्त्से में पीएलए ने एकतरफ़ा कार्रवाई कर यथास्थिति बदलने की कोशिश की. लेकिन भारतीय सेना उन्हें रोका और इस दौरान हाथापाई हुई और चीनी सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. इसमें किसी भी सैनिक की मौत नहीं हुई है. चीनी पक्ष से एक फ्लैग मीटिंग हुई और उनसे यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा. मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि सरकार सीमा की सुरक्षा के लिए कोई समझौता नहीं करेगी.''

उन्होंने कहा, "चीनी सैनिकों ने नौ दिसंबर 2022 को तवांग सेक्टर के यांग्त्से इलाक़े में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफ़ा रूप से बदलने का प्रयास किया. चीन के इस प्रयास का हमारी सेना ने दृढ़ता के साथ सामना किया.

इस तनातनी में हाथापाई हुई. भारतीय सेना ने बहादुरी से चीनी सैनिकों को हमारे इलाक़े में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें उनकी पोस्ट पर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया. इस झड़प में दोनों ओर के कुछ सैनिकों को चोटें आईं.''

समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, चीन ने कहा है कि भारत से लगी सरहद पर हालात स्थिर हैं. चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने वांग वेनबिन ने कहा कि भारत से सैन्य और राजनयिक स्तर पर बात चल रही है. अलबत्ता भारत में रक्षामंत्री के वक्तव्य के पहले ही इस मसले ने राजनीतिक रंग पकड़ लिया था. संसद के दोनों सदनों में विरोधी दलों ने आक्रोश व्यक्त किया. वे इस विषय पर संसद में चर्चा की माँग कर रहे थे. लोकसभा में कांग्रेस ने सदन से बहिर्गमन भी किया.

चीनी सैनिकों के साथ झड़प की ख़बरों पर कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए ढुलमुल रवैया छोड़ने को कहा है. कांग्रेस ने ट्वीट किया, "अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प की ख़बर है. वक्त आ गया है कि सरकार ढुलमुल रवैया छोड़कर सख्त लहजे में चीन को समझाए कि उसकी यह हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी."

एआईएमआईएम चीफ़ और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से सवाल किया इतने दिनों तक झड़प के बारे में सूचना क्यों छिपाए रखी जबकि संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. उन्होंने लिखा, "अरुणाचल प्रदेश से आ रही ख़बरें चिंताजनक हैं. भारत और चीन के सैनिकों के बीच बड़ी झड़प हुई और सरकार ने देश को कई दिनों तक अंधेरे में रखा. जब शीतकालीन सत्र चल रहा है तो संसद को इस बारे में क्यों नहीं बताया गया?"

कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने कहा है कि मोदी सरकार अपनी राजनीतिक छवि को बचाने के लिए मामले को दबाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने ट्वीट किया, "भारतीय सेना के शौर्य पर हमें गर्व है. सीमा पर चीन की हरकतें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं. पिछले दो साल से हम बार-बार सरकार को जगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार केवल अपनी राजनीतिक छवि को बचाने के लिए इस मामले को दबाने में लगी है. इससे चीन का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है."

जयराम रमेश ने यह भी कहा कि देश से बड़ा कोई नहीं है लेकिन मोदी जी अपनी छवि बचाने के लिए देश को ख़तरे में डाल रहे हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि उत्तरी लद्दाख में घुसपैठ स्थानीय करने की कोशिश में चीन ने डेपसांग में एलएसी की सीमा में 15-18 किलोमीटर अंदर 200 स्थायी शैल्टर बना दिए पर सरकार चुप रही.

चीनी सैनिकों को चोटें

गत 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुए टकराव ने देशभर का ध्यान खींचा है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, बीजेपी सांसद तापिर गाओ ने कहा है कि 'उन्हें जानकारी मिली है कि भारतीय सैनिकों को कुछ चोटें आई हैं, लेकिन पीएलए के सैनिकों को काफ़ी ज़्यादा चोटें आई हैं.'

अरुणाचल पूर्व लोकसभा सीट से संसद सदस्य गाओ ने कहा, "मैं कहना चाहता हूं मैकमोहन लाइन पर इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति भारत और चीन के रिश्ते ख़राब करेगी. मैं व्यक्तिगत तौर पर पीएलए के कदमों की निंदा करता हूं. भारतीय सैनिक एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे और चीन इस तरह की कितनी भी हरकतें करे, हमारे सैनिक पर्याप्त जवाब देंगे."

इससे पहले रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर पत्रकारों को बेहद सावधानी से लिखा एक संदेश भेजा था जिसमें बताया गया था कि दोनों पक्षों को "मामूली चोटें" आई हैं. इस संदेश में लिखा गया है कि 'नौ दिसंबर को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीनी सेना) के सैनिक तवांग सेक्टर में एलएसी के संपर्क में आए थे जिसे भारतीय सैनिकों ने पुरज़ोर तरीके से चुनौती दी. इस वजह से दोनों पक्षों के सैनिकों को हल्की चोटें आई हैं.'

इसके बाद दोनों पक्ष तुरंत पीछे हट गए. कुछ समय बाद भारतीय सेना के स्थानीय कमांडर ने अपने चीनी समकक्ष के साथ शांति स्थापित करने के लिए तय नियमों के तहत फ़्लैग मीटिंग की. इस अधिकारी ने अपने संदेश में ये भी बताया है कि 'अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी पर कुछ निश्चित जगहों को लेकर दोनों पक्षों के बीच स्पष्टता की कमी है, इन इलाकों में दोनों पक्ष अपने-अपने दावों के मुताबिक़ गश्त करते हैं. साल 2006 के बाद से यही देखा जा रहा है.'

भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है जिसे लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा कहा जाता है. इसमें से 1,346 किलोमीटर का हिस्सा पूर्वी क्षेत्र में आता है. पूर्वी लद्दाख में मई 2020 के बाद से भारतीय और चीनी सैनिक कई बार सीमा पर आमने-सामने आ चुके हैं.

इस सिलसिले में कुछ बातें ध्यान खींचती हैं. अभी तक भारत-चीन टकराव ज्यादातर पश्चिमी सेक्टर पर हो रहा था. अब पूर्वी सेक्टर से भी यह खबर आई है. भारतीय सैनिक सूत्रों के अनुसार टकराव के समय पीएलए 600 सैनिक मौजूद थे. इसका मतलब है कि 1. यह मामूली टकराव नहीं था और 2. ऐसे समय में जब दोनों देशों के रिश्ते नाज़ुक दौर से गुज़र रहे हैं, चीन ने भड़काने वाली कार्रवाई की है. 

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