Tuesday, August 10, 2021

कहाँ से मिल रही है तालिबान को मदद?

9 अगस्त तक अफगानिस्तान में तालिबान बढ़त की स्थिति

अमेरिकी सेना की वापसी की तारीख़ की घोषणा के बाद से ही अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान लड़ाकों और सरकारी सैनिकों के बीच संघर्ष तेज़ हो गया था, लेकिन बीते कुछ हफ़्तों में जिस गति से तालिबान आगे बढ़ रहे हैं उससे अफ़ग़ानिस्तान के भीतर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या तालिबान को मिल रही जीत के पीछे किसी बाहरी ताक़त का हाथ हैतालिबान को इतनी तेजी से मिल रही सफलता के बावजूद पश्चिमी पर्यवेक्षकों का कहना है कि इससे यह निष्कर्ष नहीं निकाल लेना चाहिए कि उनकी निर्णायक जीत हो जाएगी। वे कहते हैं कि इंतजार कीजिए, हालात बदलेंगे।


 
अफ़ग़ानिस्तान हमेशा से ही कहता रहा है कि तालिबान को पाकिस्तान की शह है और वह इसका इस्तेमाल अपने रणनीतिक फ़ायदे के लिए करता है। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन लगातार कह रहे हैं कि अफगानिस्तान का समाधान आपसी बातचीत और समझौते से होगा, पर तालिबान के इरादों को देखते हुए लगता नहीं कि उनकी दिलचस्पी अफगान सरकार से कोई समझौता करने में है।

बीबीसी ने 9 अगस्त तक का जो नक्शा जारी किया है, उसे देखते हुए लगता है कि पिछले दो महीने में तालिबान ने जितनी बढ़त बनाई है, उतनी पिछले 20 साल में नहीं बनाई थी। कहाँ से उन्हें मिल रहे हैं हथियार? कहाँ से आ रहे हैं वहाँ लड़ने वाले सिपाही?

अफगान सेना हालांकि आतंकियों से लोहा ले रही है, जिसमें अमेरिका भी लगातार उनकी मदद कर रहा है, पर कहानी उतनी अच्छी नहीं है, जितनी होनी चाहिए। खबर है कि अफगान सेना के जवानों को सोमवार (9 अगस्त) रात बड़ी कामयाबी मिली। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हवाई हमले में 85 तालिबानी आतंकवादियों को मार गिराया और मंगलवार को भी अभियान जारी था।

अफ़ग़ानिस्तानी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता फवाद अमान ने मंगलवार (10 अगस्त)) को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने लिखा, ”सोमवार रात सैयद करम और अहमद अबाद जिलों और पक्तिका प्रांत राजधानी के आसपास के इलाकों पर हवाई हमला किया गया, जिसमें 85 तालिबानी आतंकवादी मारे गए।”

उन्होंने इसके बाद एक और ट्वीट​ किया, ”अमेरिकी वायुसेना ने मंगलवार को कपिसा प्रांत के निजरब जिले में तालिबानी आतंकियों के गढ़ों को निशाना बनाया। इसमें दो पाकिस्तानियों सहित 12 तालिबानी मारे गए। हवाई हमले में उनका एक टैंक और एक वाहन भी नष्ट हो गया है।”

दूसरे देशों की सीमा पर स्थिति

अफगानिस्तान के चौथे सबसे बड़े शहर मजार-ए-शरीफ के ज्यादातर हिस्सों पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है। इन स्थितियों को देखते हुए भारत सरकार ने अपने नागरिकों को देश छोड़ने को कहा है। भारतीय नागरिकों को शहर से बाहर निकालने के लिए मंगलवार की शाम को एक फ्लाइट निकली है। सरकार ने कहा है कि भारतीय नागरिक उससे अफगानिस्तान छोड़ सकते हैं। फ्लाइट के लिए वॉट्सएप पर जरूरी जानकारी भेजनी होगी।

मजार-ए-शरीफ अफगानिस्तान का वह शहर है जहां अंतिम भारतीय वाणिज्य दूतावास काम कर रहा था। पिछले एक महीने में ऐसा दूसरी बार हो रहा है जब अफगानिस्तान के दूतावास से राजनयिकों को भारत वापस बुलाया जा रहा है। इससे पहले 11 जुलाई को कंधार दूतावास से राजनयिकों को बुला लिया गया था।

तालिबान ने पिछले चार दिनों में छह प्रांतों की राजधानियों पर कब्जा कर लिया है। इसके बाद तालिबान ने ऐलान किया कि हम अब देश के उत्तर में स्थित सबसे बड़े शहर मजार-ए-शरीफ की ओर रूख कर रहे हैं। तालिबान की इस घोषणा के बाद भारत सरकार ने वहां रह रहे भारतीयों को निकालने का फैसला किया। तालिबान का आतंक इतना है कि राजधानी काबुल भी सुरक्षित नहीं है। काबुल में पिछले बुधवार को तालिबान के आत्मघाती लड़ाकों ने रक्षामंत्री के घर को निशाना बनाया था।

 

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