Wednesday, June 17, 2020

आज के अखबार

भारत-चीन सीमा पर टकराव का ऐसा मौका करीब 45 साल बाद आया है. इस टकराव के राजनीतिक और सामरिक निहितार्थ हैं, पर हमारे अखबारों ने इस खबर को किस प्रकार प्रकाशित किया है, यह देखना उपयोगी होगा. एक और ध्यान देने वाली बात है कि भारत के सभी महत्वपूर्ण अखबारों में यह खबर पहले सफे पर लीड के रूप में है, जबकि चीन के अखबारों में पहले पेज पर भी नहीं है. चीन के सबसे बड़े अखबार 'रन मन रिपाओ' (पीपुल्स डेली) में यह खबर है ही नहीं, जबकि ग्लोबल टाइम्स के चीनी संस्करण में पेज 16 पर एक कोने में है. भारतीय अखबारों में सबसे अलग किस्म की कवरेज कोलकाता के टेलीग्राफ में है, जिसने सरकार पर कटाक्ष किय़ा है. टेलीग्राफ अब अपने कटाक्षों के लिए इतना प्रसिद्ध हो चुका है कि उसपर ज्यादा ध्यान नहीं जाता. अलबत्ता यह विचार का विषय जरूर है. किसी दूसरे अवसर पर मैं इस बारे में अपना विचार जरूर लिखूँगा. यों आज ज्यादातर अखबारों ने तथ्यों को ही पेश किया है और शीर्षक में अपनी टिप्पणी से बचे हैं. केवल भास्कर में 'पीठ पर वार' जैसी अभिव्यक्ति है. बहरहाल अखबारों पर नजर डालें. 























1 comment:

  1. उनको भी खबर नहींं है शायद
    जिनकी खबर बस खबर होती है।

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