Monday, March 28, 2011

कॉरपोरेट दलाली और इस दलाली में क्या फर्क है?

चूंकि बड़ी संख्या में पत्रकारों को कॉरपोरेट या राजनैतिक दलाली में कुछ गलत नहीं लगता, इसलिए जीवन के बाकी क्षेत्रों में भी दलाली सम्मानजनक कर्म का रूप ले ले तो आश्चर्य नहीं। अमेरिका के एक पुरस्कृत खेल पत्रकार ने वेश्यावृत्ति की दलाली का काम इसलिए शुरू किया कि उसके संस्थान ने उसका वेतन कम कर दिया था। अखबारों की गिरती आमदनी के कारण उसका वेतन कम किया गया था। 

अमेरिका के मैनचेस्टर, न्यू हैम्पशर के केविन प्रोवेंचर को सेलम, मैसाच्यूसेट्स की एक अदालत ने ढाई साल की कैद की सजा दी है। ये सज्जन न्यू हैम्पशर और मैसाच्यूसेट्स में वेश्यावृत्ति का कारोबार चलाते थे। इन्होंने अपना अपराध स्वीकार करते हुए कहा, डाउनटर्न के कारण अखबार ने मेरा वेतन कम कर दिया था। उसकी भरपाई के लिए यह काम कर रहा था। इस पत्रकार को न्यू हैम्पशर के सर्वश्रेष्ठ स्पोर्ट्स राइटर का पुरस्कार चार बार मिल चुका है।

एक अमेरिकी वैबसाइट में प्रकाशित खबर के अनुसार..... Provencher worked 23 years for the Manchester, N. H., Union Leader prior to his arrest in July of 2009. He is a four-time winner of the New Hampshire Sportswriter of the Year award from the National Sportscasters and Sportswriters Association.

His attorney asked the judge to sentence Provencher to probation instead of jail, saying he had no previous criminal record and only started his "side business" to make up for a reduction in his sportswriter's salary that resulted from the newspaper industry's economic woes.
But Judge Timothy Feeley said the victimization of young women he lured into prostitution required he spend time behind bars. ...... Provencher advertised his prostitution business on craigslist and other websites that feature adult sexual encounters.


पूरी खबर यहाँ पढ़ें-
यूएसए टुडे

2 comments:

  1. अभाव और ऐय्यासी की असंतुलित चाह ही सभी प्रकार के अपराध को प्रेरित करता है.....आज हमारे देश में भी जीवन जीने के मूलभूत साधन को कुछ लोगों द्वारा लूट लिए जाने से आमलोगों के लिए अभाव की शर्मनाक अवस्था है ,इसलिए सामाजिक असमानता की भयावहता को दूर कर देश में प्रशासनिक निगरानी व कार्यवाही की व्यवस्था को मजबूत करने की सख्त जरूरत है....

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  2. यह सही है कि प्राइवेट जॉब्स में पत्रकार ही सबसे गरीब होते हैं।
    कुछ दिनों से इसी विषय पर एक पोस्ट लिख रहा हूं।

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