भारत के कमजोर खाद्य मानक उस समय एक बार फिर सामने आ गए जब सेंटर फॉर साइंस ऐंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने ब्रैंडेड शहद में व्यापक मिलावट की बात उजागर की। शहद के तकरीबन सभी प्रमुख ब्रांड भारत में शुद्धता परीक्षण में सफल हो गए लेकिन जब उन्हीं ब्रांड को दुनिया भर में अपनाई जा रही न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) पद्धति से जांचा गया तो 13 में से केवल तीन ब्रांड ही खरे उतरे। ये परीक्षण जर्मनी की एक विशेष प्रयोगशाला में किए गए और इससे यह सच सामने आया कि कैसे मिलावट के ऐसे तरीके ईजाद किए गए हैं जो भारत में होने वाले परीक्षण में सफल हो जाते हैं। जो भी ब्रांड परीक्षण में नाकाम हुए वे सभी अपने विज्ञापनों में शुद्ध होने का दावा करते हैं लेकिन परीक्षण में पाया गया कि उनमें बड़ी मात्रा में शुगर सिरप मिलाया गया है। दिलचस्प बात यह है कि भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने माना है कि यह आम चलन में है और गत 1 अगस्त से ही निर्यात किए जाने वाले शहद के लिए एनएमआर परीक्षण अनिवार्य कर दिया गया था।
उसने आयातकों और राज्यों के खाद्य आयुक्तों को भी चेतावनी दी है कि चावल के सिरप, गन्ने से बनने वाले गोल्डन सिरप और इन्वर्ट शुगर सिरप का इस्तेमाल भी शहद में मिलावट के लिए किया जा रहा था। सीएसई की जांच से पता चला कि ये तीनों शुगर या तो इन नामों से आयात नहीं नहीं हो रहे थे या फिर इनकी मिलावट के संकेत नहीं थे। सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार चीन के निर्यातक मसलन अलीबाबा आदि शहद बनाने के लिए ब्रैंडेड फ्रक्टोस सिरप बेच रहे थे जो एफएसएसएआई 2020 के शहद मानकों को पूरा करते थे। इससे यही संकेत मिलता है कि खाद्य मानक नियामक शायद इस घोटाले से अनभिज्ञ था।