गुरुवार की शाम पाकिस्तान में सिंध के सहवान कस्बे की लाल
शाहबाज कलंदर दरगाह पर आतंकी हमला हुआ, जिसमें 88 लोगों के मरने और करीब 200 को
घायल होने की खबर है। इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट
ने ली है। इस्लामिक स्टेट ने इससे पहले नवम्बर में बलूचिस्तान में एक सूफी दरगाह पर
हुए हमले की जिम्मेदारी भी ली थी। पाकिस्तान में इस्लामिक स्टेट की गतिविधियाँ
बढ़ती जा रहीं है। हालांकि उसका अपना संगठन वहाँ नहीं है, पर लश्करे-झंगवी जैसे
स्थानीय गिरोहों की मदद से वह अपनी जड़ें जमाने में कामयाब हो रहा है।
Monday, February 20, 2017
आप अपराधी हैं तो राजनीति में आपका स्वागत है
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के दो फैसले देश में राजनीति और अपराध के रिश्तों पर रोशनी डालते हैं. इनमें एक है पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को सीवान जेल से हटाकर दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखने का फैसला. शहाबुद्दीन पर 45 मामलों में विचार चल रहा है और 10 मामलों में उन्हें दोषी पाया गया है. इन सारे मामलों को तार्किक परिणति तक पहुँचते-पहुँचते कितना समय लगेगा, कहना मुश्किल है. फिर भी संतोष की बात है कि देश की उच्चतम अदालत ऐसे मामलों में पहल ले रही है.
हाल में जिस दूसरे मामले ने ध्यान खींचा, वह है तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता और उनके कुछ सहयोगियों की आय का मामला. इस फैसले के बाद तमिलनाडु की राजनीति में उथल-पुथल है. भारत में राजनीति और अपराध के बीच गहरे रिश्ते हैं. अक्सर अपराधों से जुड़े नेता अपने इलाकों में खासे लोकप्रिय होते हैं और चुनावों की जीत या हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसीलिए उनका महत्व बना रहता है. आरजेडी के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन अपने समर्थकों व विरोधियों के बीच रॉबिनहुड के रूप में जाने जाते थे. कहते हैं कि एक दौर में सीवान में कानून का राज नहीं, शहाबुद्दीन का शासन चलता था.
हाल में जिस दूसरे मामले ने ध्यान खींचा, वह है तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता और उनके कुछ सहयोगियों की आय का मामला. इस फैसले के बाद तमिलनाडु की राजनीति में उथल-पुथल है. भारत में राजनीति और अपराध के बीच गहरे रिश्ते हैं. अक्सर अपराधों से जुड़े नेता अपने इलाकों में खासे लोकप्रिय होते हैं और चुनावों की जीत या हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसीलिए उनका महत्व बना रहता है. आरजेडी के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन अपने समर्थकों व विरोधियों के बीच रॉबिनहुड के रूप में जाने जाते थे. कहते हैं कि एक दौर में सीवान में कानून का राज नहीं, शहाबुद्दीन का शासन चलता था.
Sunday, February 19, 2017
अम्मा से चिनम्मा उर्फ किस्सा चेन्नई
तमिलनाडु
के सत्ता-संघर्ष में बारह मसाले की चटनी का स्वाद आ रहा है। देश की लोकतांत्रिक
व्यवस्था सामंती तौर-तरीकों के माया-जाल में घिर गई है, यह साफ नजर आ रहा है। व्यक्ति
पूजा और चाटुकारिता के सारे प्रतिमान तमिलनाडु की राजनीति में टूटते रहे हैं। शनिवार को शशिकला खेमे के ई पलनीसामी की सरकार ने विश्वासमत जरूर हासिल कर लिया है, पर ओ पन्नीरसेल्वम को जनता की हमदर्दी हासिल हुई है। कहानी अभी जारी है।
‘अम्मा
से चिनम्मा’ की यह कहानी रोमांचक मोड़ों से भरी है। हर किस्म
की नाटकीयता इसमें शामिल है। दरबारी साजिशों और षड्यंत्रों का तड़का भी। गिरफ्तारी
के पहले वीके शशिकला ने अम्मा की समाधि पर जाकर जिस अंदाज में अपने दाएं हाथ को
जमीन पर मारा था उससे यह भी पता लगा कि जयललिता से उन्होंने और कुछ सीखा हो या न
सीखा हो, अभिनय जरूर सीखा है।
Tuesday, February 14, 2017
Chronology Of Jayalalitha DA case
Below is a detailed timeline of the case starting from Jayalalithaa’s first term as Chief Minister in 1991.
The Beginning
June 24, 1991 to May 13, 1996: Jayalalithaa’s first term as Chief Minister.
July 1, 1991 to April 30, 1996: Period during which offence was allegedly committed.
June 14, 1996: Subramanian Swamy lodges FIR before Principal Sessions Judge, Madras under s. 200 Cr.P.C.
June 21, 1996: Judge directs Letika Saran, a senior IPS officer to investigate and submit a report within 2 months.
September 2, 1996: Madras High Court directs Director of Vigilance and Anti-Corruption, Madras to investigate after Jayalalithaa challenges the order of Principal Sessions Judge.
September 18, 1996: IG files charge sheet against Jayalalithaa.
Sunday, February 12, 2017
राजनीति तुर्की-ब-तुर्की
मुहावरा है
तुर्की-ब-तुर्की। जिस अंदाज में बोलेंगे, जवाब उसी अंदाज में मिलेगा। शब्द
अमर्यादित नहीं हैं तो उनपर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। साथ ही राजनीति के मैदान में
उतरे हैं तो खाल मोटी करनी होगी। किसी पर हमला करें तो जवाब सुनने के लिए तैयार भी
रहना चाहिए। लोकसभा और राज्यसभा में प्रधानमंत्री के हाल के भाषण को लेकर कांग्रेस
पार्टी ने मर्यादा के सवाल खड़े किए हैं। देर से ही सही मर्यादा का सवाल आया है, पर
यह तब जब मनमोहन सिंह पर मोदी ने चुटकी ली।
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