कोरोना वायरस ने एक बार फिर यूरोप में कहर मचाना शुरू कर दिया है। ज्यादातर देशों ने कोविड-पाबंदियों को सख्ती से लागू करना शुरू किया है, जिनका विरोध हो रहा है। पाबंदियों का विरोध ही नहीं वैक्सीनेशन का विरोध भी हो रहा है। ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में 40,000 ऐसे लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया है, जिन्होंने टीके नहीं लगवाए। उधर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यूरोप और मध्य एशिया के 53 देशों को चेतावनी दी है कि इन दो इलाकों में कोविड-19 से फरवरी तक पाँच लाख मौतें हो सकती हैं। संक्रमण की वजह से हो रही मौतों में से करीब आधी यूरोप के देशों में हैं। यूरोप में एक हफ्ते में 20 लाख से ज्यादा नए केस मिल रहे हैं।
टीके की अनिवार्यता
इस लहर की भयावहता को देखते हुए संभवतः ऑस्ट्रिया
अगले साल फरवरी से पहला देश बनेगा, जहाँ टीका लगवाना कानूनन अनिवार्य किया जा सकता
है। शुक्रवार 19 नवंबर को सरकार ने इस आशय की घोषणा की। इस घोषणा के बाद राजधानी
वियना में हजारों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के यूरोप
में रीजनल डायरेक्टर डॉ हैंस क्लूग का कहना है कि कानूनन वैक्सीनेशन को अनिवार्य
बनाना अंतिम उपाय होना चाहिए। अलबत्ता इस विषय पर समाज में व्यापक विचार-विमर्श
होना चाहिए।
डॉ क्लूग का कहना है कि मास्क पहनने से संक्रमण
को काफी हद तक रोका जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सर्दी का मौसम, टीकाकरण में
कमी और बहुत तेजी से फैलने वाले डेल्टा वेरिएंट की उपस्थिति के कारण यूरोप पर खतरा
बढ़ा है। यूरोप और मध्य एशिया के देशों में अब तक करीब 14 लाख लोगों की मौतें इस
महामारी से हो चुकी हैं। अब यूरोप और मध्य एशिया के देशों में सर्दी शुरू होने के
कारण बीमारी के बढ़ने का अंदेशा पैदा हो गया है। पूर्वी यूरोप के देशों में हालात
खासतौर से ज्यादा खराब हैं। रोमानिया, एस्तोनिया, लात्विया और लिथुआनिया जैसे
देशों में स्थिति खराब है।
लॉकडाउन
ऑस्ट्रिया ने सोमवार 22 नवंबर से देशव्यापी लॉकडाउन
लगाया गया। लॉकडाउन अधिकतम 20 दिन तक चलेगा, हालांकि
10 दिन के बाद इसपर पुनर्विचार किया जाएगा। इस दौरान लोगों के अनावश्यक रूप से
बाहर जाने पर रोक होगी, रेस्तरां तथा ज्यादातर दुकानें बंद
रहेंगी और बड़े आयोजन रद्द रहेंगे। स्कूल और ‘डे-केयर सेंट’ खुले तो रहेंगे,
लेकिन अभिभावकों को बच्चों को घर पर रखने की सलाह दी गई है।
इससे एक दिन पहले, रविवार
को मध्य वियना के बाजारों में भीड़ उमड़ पड़ी। यह भीड़ लॉकडाउन से पहले जरूरत की
चीजों और क्रिसमस की खरीदारी के लिए भी थी। लोगों के मन में भविष्य को लेकर
अनिश्चय है। देश के चांसलर अलेक्जेंडर शालेनबर्ग ने शुक्रवार को लॉकडाउन की घोषणा
की थी। तब उन्होंने यह भी कहा था कि अगले वर्ष एक फरवरी से यहां लोगों के लिए
टीकाकरण अनिवार्य किया जा सकता है।
ऑस्ट्रिया ने शुरू में केवल उन लोगों के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की शुरुआत की थी, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है, लेकिन संक्रमण के मामले बढ़ने पर सरकार ने सभी के लिए इसे लागू कर दिया। दो सबसे ज्यादा प्रभावित प्रांत, सॉल्ज़बर्ग और ऊपरी ऑस्ट्रिया ने कहा कि वे अपने यहां लॉकडाउन की शुरुआत करेंगे, जिससे सरकार पर राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा करने का दबाव बढ़ेगा। नए प्रतिबंधों की घोषणा और अगले साल टीकों को अनिवार्य बनाने की योजना के बाद 10 हजार से ज्यादा लोगों ने ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में भी विरोध प्रदर्शन किया।
जर्मनी और ब्रिटेन
जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री जेन स्पाह्न ने
स्थिति को ‘नेशनल इमर्जेंसी’ और यह भी कहा है कि एक और राष्ट्रीय
लॉकडाउन की घोषणा की जा सकती है। ब्रिटेन में सात दिनों के औसत 17 हजार से ऊपर नए
मामले सामने आने के बाद भी सरकार ने कहा है कि अभी हम लॉकडाउन की बात सोच नहीं रहे
हैं, अलबत्ता हम प्लान ‘बी’ पर काम कर
रहे हैं, जिसमें कुछ और कदम उठाए जाएंगे। फ्रांस ने पूरी
तरह वैक्सीनेटेड व्यक्तियों के लिए हैल्थ पास के रूप में एक व्यवस्था लागू की है।
इसके तहत रेस्त्रां, कैफे और अन्य सांस्कृतिक स्थलों में प्रवेश के लिए हैल्थ पास
की जरूरत होती है।
इटली में भी कोरोना संक्रमण को लेकर सख्ती कर
दी गई है। अगर कोई भी यात्री संक्रमित पाया जाता है तो ट्रेन को रोका जा सकता है।
वहीं टैक्सी ड्राइवरों के पास कोविड पासपोर्ट होने जरूरी है। जर्मनी में इस हफ्ते
से पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल या ऑफिस जाने पर रोक लगाकर कोविड को रोकने का
फैसला किया है। नीदरलैंड ने रात 8 बजे बार और रेस्तरां बंद करने के साथ आंशिक रूप
से तालाबंदी (लॉकडाउन) कर दी है।
विरोध में रैलियाँ
तमाम देशों में प्रतिबंधों में सख्ती की जा रही
है, वहीं इन प्रतिबंधों के विरोध में कई जगहों पर प्रदर्शन हो रहे हैं। पुलिस और
प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी शुरू हो गई है। रविवार 21 नवंबर को बेल्जियम की राजधानी
ब्रसेल्स में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने पानी की बौछारें मारी। प्रदर्शनकारियों
ने पुलिस पर पत्थर, पटाखे और धुएं के बम फेंके। रविवार को ब्रसेल्स
में रैली के दौरान करीब 35 हजार लोग शामिल हुए। प्रदर्शनकारी तख्ती लिए हुए थे जिनपर
लिखा था, अत्याचार जब कानून बन जाता है, तब विद्रोह
कर्तव्य बन जाता है। बेल्जियम ने मास्क के इस्तेमाल से लेकर वर्क फ्रॉम होम पर
फोकस करने को कहा है। बेल्जियम के पड़ोसी देश नीदरलैंड में भी प्रतिबंधों के विरोध
में प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई।
बूस्टर की वकालत
उधर जर्मनी में संक्रमण ने पिछले पांच महीनों
का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। जर्मनी
के रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि टीका नहीं लगवाने वालों और
टीके की केवल एक खुराक लेने वालों को संक्रमण से सर्वाधिक खतरा है। जर्मनी के
स्वास्थ्य मंत्री ने देश में कोविड-19 के खिलाफ लोगों
को अधिक प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने वाली बूस्टर खुराक वाले टीकाकरण अभियान को
तेज करने की वकालत की है। इसके साथ ही उन्होंने देश में जांच की संख्या बढ़ाने पर
भी जोर दिया है।
रूस को छोड़ यूरोप के काफी देश अपनी करीब दो
तिहाई आबादी को पूरी तरह से वैक्सीनेट कर चुके हैं। रूस में वैक्सीनेशन का स्तर कम
है। देश की साढ़े 14 करोड़ की आबादी में से करीब 40 फीसदी आबादी को पूरी तरह टीके
लगे हैं। यह स्थिति तब है, जब रूस ने दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले महीनों
पहले टीका बना लिया था। रूस में अब उन लोगों को सार्वजनिक परिवहन सेवाओं का
इस्तेमाल करने से रोका जा रहा है, जिन्हें टीका नहीं लगा है। वहाँ कोरोना से हो
रही मौतें सार्वकालिक ऊँचाई पर हैं। यह संख्या 1,254 तक पहुँच चुकी है।
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