Saturday, January 2, 2021

सुपर कंप्यूटरों की दुनिया में भारत का प्रवेश


नवंबर में घोषित सुपर कंप्यूटरों की टॉप 500 सूची में भारत के दो सुपर कंप्यूटरों के नाम भी शामिल हैं। राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग अभियान (एनएसएम) के तहत निर्मित ‘परम सिद्धि एआई’ को विश्व के 500 सबसे शक्तिशाली कंप्यूटरों की सूची में 63 वां स्थान प्राप्त हुआ है। दूसरे सुपर कंप्यूटर मिहिर को 146वाँ स्थान मिला है। परम सिद्धि की क्षमता है 5.267 पेट फ्लॉप्स और मिहिर की 2.8। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव आशुतोष शर्मा ने कहा कि सुपर कंप्यूटर के क्षेत्र में भारत भी दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण देशों मे शामिल हो गया है।

सुपर कंप्यूटर क्या होता है?

सुपर कंप्यूटर सामान्य कंप्यूटर की तुलना में असाधारण तेजी से काम करने वाले कंप्यूटरों को कहते हैं। इन कंप्यूटरों के काम करने की गति को फ्लोटिंग पॉइंट ऑपरेशंस पर सेकेंड (फ्लॉप्स) के आधार पर तय किया जाता है, जबकि सामान्य कंप्यूटरों की गति मिलियन इंस्ट्रक्शंस पर सेकेंड (एमआईपीएस) से तय होती है। सुपर कंप्यूटरों में हजारों, लाखों प्रोसेसर लगे होते हैं, जो एक सेकेंड में खरबों गणनाएं कर सकते हैं। आधुनिक परिभाषा के अनुसार, वे कंप्यूटर, जो 500 मेगाफ्लॉप की क्षमता से कार्य कर सकते हैं, सुपर कंप्यूटर कहलाते है। मीट्रिक प्रणाली में किलो, मेगा, गीगा, टेरा, पेटा, एक्ज़ा और ज़ीटा  पूर्व प्रत्यय मेगा दस लाख की संख्या को व्यक्त करता है। जैसे मेगावॉट। इस तकनीक में तेजी से विकास हो रहा है।

हर साल नवंबर में जारी होने वाली टॉप 500 सूची से पता लगता है कि दुनिया का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर कौन सा है। इस साल जारी हुई 56वीं सूची में नंबर एक पर जापान का सुपर कंप्यूटर फुगाकू है, जिसकी क्षमता 442 पेटा फ्लॉप्स की है। दूसरे स्थान पर अमेरिका के दो कंप्यूटर हैं, जिनकी क्षमता क्रमशः 148.8 और 94.6 पेटा फ्लॉप्स की है। चीन का सुपर कंप्यूटर सनवे ताएहूलाइट चौथे स्थान पर है, जिसकी क्षमता 93 पेटा फ्लॉप्स है। दो साल पहले यह तीसरे स्थान पर था। टॉप 100 की सूची में चीन के केवल तीन कंप्यूटर हैं, जबकि उसे इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण शक्ति माना जाता है। टॉप 500 में चीन के 212, अमेरिका के 113 और जापान के 34 सुपर कंप्यूटर हैं। कंप्यूटरों की कुल क्षमता के लिहाज से अमेरिका के पास 668.7 पेटा फ्लॉप्स, जापान के पास 593.7 और चीन के पास भी 593.7 पेटा फ्लॉप्स क्षमता है।

भारत में विकास

सन 2015 से भारत ‘नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम)’ के अंतर्गत देश में सुपरकंप्यूटरों की श्रृंखला तैयार करने में जुटा है। मिशन के पहले चरण भारत ने बाहर से उपकरणों का आयात कर देश में सुपरकंप्यूटर बनाने की शुरुआत की। वर्ष 2022 तक देश के 75 संस्थानों को सुपरकंप्यूटर से जोड़ने की मुहिम के अंतर्गत पहले सुपरकंप्यूटर ‘परम शिवाय’ (गणना क्षमता 837 टेरा फ्लॉप्स) को वर्ष 2019 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बीएचयू, वाराणसी में स्थापित किया गया। इसके बाद, 1.66 पेटा फ्लॉप्स और 797 टेरा फ्लॉप्स के दो और सुपरकंप्यूटर क्रमशः आईआईटी खड़गपुर और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), पुणे में स्थापित किए गए। मिशन के दूसरे चरण में देश में सुपरकंप्यूटर नेटवर्क की गति को 16 पेटा फ्लॉप्स तक पहुँचाने का लक्ष्य है, जो तीसरे चरण (जनवरी 2021) में बढ़कर 45 पेटा फ्लॉप्स तक पहुँच जाएगा। दूसरे चरण में अप्रैल, 2021 तक आठ और संस्थानों को सुपर कंप्यूटिंग क्षमताओं से लैस करने की तैयारी अपने महत्वपूर्ण चरण में है।

सुपरकंप्यूटरों की शुरूआत साठ के दशक से मानी जा सकती है। अमेरिका के कंट्रोल डेटा कॉरपोरेशन के इंजीनियर सेमूर क्रे ने सबसे पहले सुपर कंप्यूटर बनाया। बाद में क्रे ने अपनी कम्पनी क्रे रिसर्च बना ली। यह कम्पनी सुपर कंप्यूटर बनाने के क्षेत्र में एक दौर तक सबसे आगे थी। आज भी क्रे के अलावा आईबीएम और ह्यूलेट एंड पैकर्ड इस क्षेत्र में शीर्ष कम्पनियाँ हैं। पर पिछले दस साल में जापान और चीन इस मामले में काफी तेजी से आगे बढ़े हैं। जून 2010 में जारी दुनिया के 500 सुपर कम्प्यूटरों की सूची में चीन का कम्प्यूटर दूसरे नम्बर पर था। पहले दस में दो चीनी कम्प्यूटर थे। जापान का एक भी कंप्यूटर इस सूची में नहीं था। पर जून 2011 की सूची में जापान का कंप्यूटर सूची में सबसे ऊपर था। जापान के इस कंप्यूटर की गति 8.2 पेटा फ्लॉप्स थी। यह एक सेकेंड में आठ क्वाड्रीबिलियन गणनाएं कर सकता है। एक क्वाड्रीबिलियन का अर्थ है 1 के आगे पन्द्रह शून्य। इसे और आसानी से समझना है तो समझें कि हम जो सामान्य पीसी देखते हैं वैसे दस लाख पीसी एक साथ काम पर लगा दिए जाएं तो इस कंप्यूटर के बराबर होंगे।

1980 के अंतिम दशक में भारत को अमेरिका ने क्रे सुपर कंप्यूटर देने से इनकार कर दिया था। वह एक ऐसा दौर था, जब भारत और चीन में तकनीकी क्रांति की शुरुआत हो चुकी थी। सुपर कंप्यूटर के उपयोग से रॉकेट प्रक्षेपण, परमाणु विस्फोट के समय गणनाओं में आसानी हो जाती है, इसलिए भी अमेरिका के मन में भय था कि कहीं इसके द्वारा भारत अपने नाभिकीय ऊर्जा प्रसार कार्यक्रम को एक नया रूप न दे दे। भारतीय वैज्ञानिकों ने सी-डेक परम-8000 कंप्यूटर बनाकर अपनी क्षमताओं का एहसास करा दिया। 1988 में रूस ने भारत को सुपर कंप्यूटर देने की बात कही थी। लेकिन हार्डवेयर सही न होने के कारण रूस के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। भारत ने सुपर कंप्यूटर बनाने के बाद परम 8000 जर्मनी, यूके और रूस को दिया। दुनिया के 500 सुपरकंप्यूटरों की नवीनतम सूची में चार भारत में हैं। भारत ने शुरू में टेरा फ्लॉप क्षमता के सुपर कंप्यूटर बनाए थे, और अब पेटा फ्लॉप्स क्षमता के सुपर कंप्यूटर बनाए जा रहे हैं।

 

1 comment:

  1. हिंदी में सुपर कंप्यूटर के ऊपर आपने इतनी अच्छी रचना पोस्ट की है इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। हिंदी में इस तरह की जानकारियों का अभाव है और आपकी इस रचना का बहुत-बहुत स्वागत है

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