पहली नजर में
निर्मला सीतारमण का बजट अर्थव्यवस्था की जड़ता और निराशा को दूर करने का प्रयास
करता नजर आता है। इसमें जीडीपी की सुस्ती तोड़ने के सभी फॉर्मूलों को एकसाथ लागू
करने की कोशिश की गई है। इसमें उपभोक्ता की क्रय शक्ति को बढ़ाने, बाजार में
उपलब्ध की माँग बढ़ाने, कारोबारियों को निवेश बढ़ाने और आयात तथा निर्यात दोनों की
माँग बढ़ाने का प्रयास है। सरकार चाहती है कि ‘मेक इन इंडिया’ के साथ-साथ ‘असेम्बल इन इंडिया’ की अवधारणा को अपना संबल
बनाया जाए। विदेशी माल खरीदें और मूल्य-वर्धन कर उसका निर्यात करें। यह उम्मीदों
भरा बजट है, फिर भी सवाल अपनी जगह है कि तब शेयर बाजार ने डुबकी क्यों लगाई? शायद शेयर बाजार की दिलचस्पी रियलिटी और
विनिर्माण सेक्टर के सिलसिले में बड़ी घोषणाओं तक सीमित थी।
बजट का सकारात्मक
प्रभाव होगा, तो सोमवार के बाद शेयर बाजार में भी बदलाव नजर आने लगेगा। बजट को दो
नजरियों से देखना चाहिए। एक, सामान्य आर्थिक गतिविधियों और नीतियों के संदर्भ में
और दूसरे अर्थव्यवस्था के दीर्घकालीन स्वास्थ्य को पुष्ट करने में इसके योगदान के
नजरिए से। छह महीनों से देश में आर्थिक संवृद्धि को लेकर बहस है। पिछली दो
तिमाहियों में जीडीपी के आंकड़ों में तेज गिरावट है। अब इस बजट में अगले साल
जीडीपी की निवल (नॉमिनल) संवृद्धि 10 फीसदी होने का अनुमान है। आर्थिक समीक्षा में
सकल संवृद्धि 6 से 6.5 फीसदी होने का अनुमान बताया गया है। वापसी हुई, तो मतलब
होगा कि सरकार नैया को मँझधार से बाहर निकालने में कामयाब हुई है।
सरकार अपना पैसा
खर्च करके भी माँग बढ़ा सकती है, पर फिस्कल रेस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट
कानून उसे घाटा बढ़ाने से रोकता है। सरकार राजकोषीय घाटे को 3.8 पर रोकने में सफल
हुई, तो मतलब होगा कि वह सफल रही। फिलहाल सरकार की जिम्मेदारी है कि वह लोगों के
मन में आशा का संचार करे। वित्तमंत्री ने स्पष्ट किया कि मैं नागरिकों की क्रय
शक्ति और आय बढ़ाने के लिए यह बजट पेश कर रही हूँ।
बजट में आर्थिक
स्थिरता पर जोर है। इस साल 60 लाख नए आयकर रिटर्न फाइल हुए है। जीएसटी के कारण ढुलाई सेक्टर में कुशलता आई है।
राजस्व भी बढ़ रहा है। ग्राहकों को भी जीएसटी के कारण एक लाख करोड़ रुपये का फायदा
हुआ है और एक औसत परिवार अपने बजट का 4 फीसदी तक बचा पा रहा है। वित्तमंत्री ने बड़ी
घोषणाएं करके संकेत दिया है कि सरकार देश की आर्थिक समस्याओं का समाधान करने की
पुरजोर कोशिश कर रही है। इस बजट में उन्होंने कोई सेक्टर नहीं छोड़ा।
वित्तमंत्री ने इंफ्रास्ट्रक्चर
और कृषि में निवेश घोषणाएं की हैं, साथ ही आय के नए तरीके भी खोजने का प्रयास किया
है। मध्य वर्ग और ग्रामीण उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ाने के नए तरीके खोजे गए
हैं, ताकि वे खर्च करें और उपभोक्ता वस्तुओं का माँग बढ़े। करदाताओं और कम्पनियों
को परेशान न किया जाए, इसके लिए कम्पनी कानून में बदलाव होगा, वहीं टैक्स-पेयर
चार्टर बनाने की घोषणा भी की गई है।
सरकार ने धनार्जन
को उचित मानते हुए कारोबारियों को संतुष्ट करने की कोशिश की है। खर्च बढ़ाने के
बावजूद सरकार ने अगले वित्तवर्ष में राजस्व घाटे को जीडीपी के 3.8 फीसदी तक रखने
का वायदा किया है। यह वायदा पूरा होगा या नहीं, यह अगले साल ही पता लगेगा। अलबत्ता
सरकार पूरे हौसले के साथ मैदान में उतरी है। वित्तमंत्री ने जो बड़ी घोषणाएं की
हैं, उनमें जीवन बीमा निगम और रेलवे के आंशिक निजीकरण से जुड़े फैसले हैं। आयकर और
कम्पनी कर ढाँचे में व्यापक सुधार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने की घोषणा की गई
है। जीएसटी के और सरलीकरण का वायदा है। सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों को बढ़ावा
देने के लिए पाँच करोड़ तक के कारोबारियों को लेखा परीक्षा से छूट देने की घोषणा
की है।
वित्तमंत्री ने
कृषि क्षेत्र के लिए भी कई तरह की घोषणाएं की हैं। इसके तहत जिन 16 एक्शन पॉइंट का
एलान किया है, उनमें 15 लाख करोड़ के कृषि ऋण उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। कृषि,
सिंचाई और ग्रामीण विकास पर सरकार ने 2।83 लाख करोड़ खर्च करने का फैसला किया है।
कृषि उत्पाद की बेहतर मार्केटिंग और निर्यात के लिए राज्य ‘एक उत्पाद, एक जिला’ पर फोकस करेंगे। नागरिक उड्डयन में
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रूटों पर ‘कृषि उड़ान’ सेवा की शुरुआत करने का भी
प्रस्ताव है। ऐसा ही प्रयास ‘किसान रेल’ का है।
प्रधानमंत्री
किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान के तहत सोलर पंप लगाने में सहायता दी जाएगी।
योजना के तहत किसान अपनी बंजर जमीन पर सौर ऊर्जा की इकाई स्थापित कर पाएंगे। पानी
की किल्लत से जूझ रहे 100 जिलों के लिए व्यापक उपाय प्रस्तावित किए गए हैं। सरकार
ने अगले साल दुग्ध उत्पादन को 10.8 करोड़ टन तक लाने का विश्वास व्यक्त किया है।
सरकार ने मध्य
वर्ग को खुश करने का पूरा प्रयास किया है। बैंक जमा बीमा संरक्षण एक लाख से बढ़ाकर
5 लाख रुपये तक करने की अनुमति दी है। वर्तमान में बैंक के डूबने की स्थिति में
ग्राहक को अधिकतम एक लाख रुपये का बीमा दिया जा ता है। आयकर टैक्स रेट कम करने की
घोषणा की है। इसमें भी एक वैकल्पिक व्यवस्था और दी गई है। अब पाँच लाख से 7.5 लाख
तक की सालाना आय वाले व्यक्तियों को 20 के स्थान पर 10 फीसदी टैक्स देना होगा। इस
स्कीम में छूट को त्यागने वालों के लिए भी विकल्प होगा।
स्वास्थ्य सेवाओं
पर 69,000 करोड़ रुपये और शिक्षा तथा प्रशिक्षण पर 99,300 करोड़ के व्यय की
घोषणाएं भी मध्य वर्ग को आकर्षित करती हैं। भारतीय शिक्षा संस्थानों में विदेशी
छात्रों को आकर्षित करने के लिए इंडसैट योजना शुरू करने की पेशकश भी की गई है।
डिजिटल इंडिया और कौशल विकास कार्यक्रमों का इस साल और बढ़ावा देने का इरादा है।
परिवहन के इंफ्रास्ट्रक्चर पर 1।7 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का
महत्वाकांक्षी कार्यक्रम घोषित किया गया है। पीपीपी मॉडल पर पाँच स्मार्ट शहर
विकसित करने की घोषणा की गई है। इस वित्त वर्ष में उड़ान योजना के तहत 100 नए हवाई
अड्डे बनाने की घोषणा भी महत्वपूर्ण है। पिछले दो वर्षों में इस योजना के तहत 50
हवाई अड्डों का विकास किया गया है। इसके तहत छोटे शहर हवाई सेवाओं से जुड़े हैं।
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