Saturday, August 12, 2023

नागरिक हैं ‘भारत के भाग्य विधाता’


आज़ादी के सपने-03

अगस्त का यह महीना चालीस के दशक की तीन तारीखों के लिए खासतौर से याद किया जाता है. सन 1942 की 9 अगस्त से शुरू हुआ ‘अंग्रेजो, भारत छोड़ो’ आंदोलन 15 अगस्त 1947 को अपनी तार्किक परिणति पर पहुँचा था. भारत आज़ाद हुआ.

1942 से 1947 के बीच 1945 के अगस्त की दो तारीखें मानवता के इतिहास की क्रूरतम घटनाओं के लिए याद की जाती हैं. 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर एटम बम गिराया गया. फिर भी जापान ने हार नहीं मानी तो 9 अगस्त को नगासाकी शहर पर बम गिराया गया.

इन दो बमों ने विश्व युद्ध रोक दिया. इस साल दुनिया उस बमबारी की 78वीं सालगिरह मना रही है. इन दो घटनाओं ने वैश्विक नागरिक-समुदाय के सामने कई सवाल खड़े किए थे. राष्ट्रों के हित क्या नागरिकों के हित भी होते हैं?

नागरिकों की ताकत

जापान के नागरिकों को श्रेय जाता है कि उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध की पराजय और विध्वंस का सामना करते हुए पिछले 77 साल में एक नए देश की रचना कर दी. वह दुनिया की तीसरे नम्बर की अर्थव्यवस्था है. भले ही चीन उससे बड़ी अर्थव्यवस्था है, पर तकनीकी गुणवत्ता में चीन उसके करीब नहीं हैं.

भारत और जापान की संसदें दो तरह के अनुभवों से गुजर रही हैं. जापान की संसद पिछले 76 साल के इतिहास का सबसे लंबा विमर्श कर रही है, वहीं हमारी संसद में शोर है. यह राजनीति है और इसकी ताली भी दो हाथ से बजती है. एक नेता की, दूसरी जनता की.

शोर ही सही, पर क्या हमारे विमर्श में गम्भीरता है? क्या हम भविष्य को लेकर सचेत हैं? हम माने कौन? देश के संविधान की उद्देशिका का पहला वाक्य है: ‘हम, भारत के लोग…और अंतिम वाक्य है: ‘,अपनी संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतदद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं.’  कौन हैं भारत के वे लोग, जिन्होंने संविधान को आत्मार्पितकिया है?

भारत भाग्य विधाता

रघुवीर सहाय की कविता है:- राष्ट्रगीत में भला कौन वह/ भारत भाग्य विधाता है/ फटा सुथन्ना पहने जिसका/ गुन हरचरना गाता है. कविता की अंतिम पंक्तियाँ हैं:- कौन-कौन है वह जन-गण-मन/ अधिनायक वह महाबली/ डरा हुआ मन बेमन जिसका/ बाजा रोज़ बजाता है.

वह भारत भाग्य विधाता इस देश की जनता है. क्या उसे जागी हुई जनता कहना चाहिए? जागने का मतलब आवेश और तैश नहीं है. अभी हम या तो खामोशी देखते हैं या भावावेश. दोनों ही गलत हैं. सही क्या है, यह सोचने का समय आज है. आप सोचें कि 9 और 15 अगस्त की दो क्रांतियों का क्या हुआ.

15 अगस्त, 1947 को जवाहर लाल नेहरू ने कहा, ‘इतिहास के प्रारंभ से ही भारत ने अपनी अनंत खोज आरंभ की थी. अनगिनत सदियां उसके उद्यम, अपार सफलताओं और असफलताओं से भरी हैं…हम आज दुर्भाग्य की एक अवधि पूरी करते हैं. आज भारत ने अपने आप को फिर पहचाना है.’

इस भाषण के दो साल बाद 25 नवंबर, 1949 को संविधान सभा में भीमराव आंबेडकर ने कहा, ‘राजनीतिक लोकतंत्र तबतक विफल है, जबतक उसके आधार में सामाजिक लोकतंत्र नहीं हो.’ इस सामाजिक-लोकतंत्र के केंद्र में है भारतीय जनता, जो जागती है, तो बहुत कुछ बदल जाता है.

Friday, August 11, 2023

ग्रामीण-विकास और खेती की चुनौतियाँ


 आज़ादी के सपने-02

भारत सरकार ने गत 20 जुलाई को चावल के निर्यात को लेकर एक बड़ा फैसला किया. गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई. भारत के इस फ़ैसले के पीछे कारण है आने वाले त्योहार के मौसम में बढ़ने वाली घरेलू माँग और क़ीमतों पर नियंत्रण रखना.

भारत के इस फैसले से दुनिया भर के खाद्य बाज़ार में चावल के दाम बढ़ने की आशंका है. भारत आज दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है. चावल के वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी 42 प्रतिशत है. विश्व व्यापार में साढ़े चार करोड़ टन चावल की बिक्री होती है, जिसमें 2.2 करोड़ टन भारतीय चावल होता है.

आत्मनिर्भर भारत

निर्यात-प्रतिबंधों का दुनिया की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा, वह विचार का अलग विषय है. हमें केवल इस बात को रेखांकित करना है कि खाद्यान्न के मामले में अब हम आत्मनिर्भर हैं. भारत 140 से अधिक देशों को चावल निर्यात करता है.

इस परिस्थिति की तुलना करें साठ के दशक से जब भारत को विदेशी खाद्य सहायता पर निर्भर रहना पड़ा था. पीएल-480 समझौते के तहत, भारत ने अमेरिका से गेहूं का आयात किया. उसके तहत ऐसे गेहूँ को स्वीकार करना पड़ा, जो जानवरों को खिलाने लायक था.

भारत के प्राण उसके गाँवों में बसते हैं. देश का विकास तभी होगा, जब गाँवों का विकास होगा. गाँवों के साथ भारतीय खेती का वास्ता है. कृषि और ग्रामीण विकास के भारतीय कार्यक्रमों की लंबी कहानी है. इसमें पंचायती-राज और 73वें संविधान संशोधन की भी भूमिका है.

पंचायती राज

जनवरी 2019 तक की जानकारी के अनुसार देश में 630 जिला पंचायतें, 6614 ब्लॉक पंचायतें और 2,53,163 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें 30 लाख से अधिक पंचायत प्रतिनिधि हैं. इनके पास कुछ वित्तीय अधिकार भी हैं. 2021-26 की अवधि के लिए बने 15वें वित्त आयोग ने ग्रामीण निकायों के लिए 2,36,805 करोड़ की धनराशि के आबंटन की सिफारिश की है.

Thursday, August 10, 2023

एक नज़र करवट बदलते पाकिस्तान पर

पाकिस्तान से आई चार खबरों ने इस हफ्ते ध्यान खींचा है. पहली है पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशाखाना मामले में मिली तीन तीन साल की कैद की सज़ा, गिरफ्तारी पाँच साल तक चुनाव लड़ने पर रोक. प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ की घोषणा कि नेशनल असेंबली 9 अगस्त को भंग कर दी जाएगी. इन दो खबरों से पहले शहबाज़ शरीफ का भारत से बातचीत की पहल से जुड़ा एक और बयान, तीसरी खबर है.

चौथी खबर राजनीति के बजाय, खेल के मैदान से है. पाकिस्तान सरकार ने इस साल भारत में अक्तूबर-नवंबर में हो रही एकदिनी क्रिकेट की विश्वकप प्रतियोगिता में अपनी टीम को भेजने की अनुमति दे दी है. इन दिनों चेन्नई में हो रही हॉकी की एशिया चैंपियन ट्रॉफी प्रतियोगिता में भी पाकिस्तान की टीम खेल रही है. खेल की खबरें भी बदलाव का संदेश दे रही हैं. सरकार ने जाते-जाते क्रिकेट का फैसला कुछ सोचकर किया है.    

नेशनल असेंबली को अपने समय से तीन दिन पहले भंग करने का मतलब है कि अब चुनाव 9 नवंबर तक कराने होंगे. संसद अपना कार्यकाल पूरा करती, तो नियमानुसार 12 अक्तूबर तक कराने होते. सरकार चुनाव कराने के लिए थोड़ा ज्यादा समय चाहती है.

इमरान गिरफ्तार

सनसनी के लिहाज से ज्यादा बड़ी खबर है इमरान खान को दी गई तीन साल की सज़ा. लगता यह है कि उनकी गति नवाज़ शरीफ जैसी होने वाली है. उन्हें चुनाव की राजनीति से बाहर किया जा रहा है. वे सेना की मदद से बढ़े थे और सेना ही उन्हें निपटा रही है. अलबत्ता उनकी पार्टी तहरीके इंसाफ पाकिस्तान की लोकप्रियता में कमी दिखाई पड़ती नहीं है.

हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के…

 


आज़ादी के सपने-01

वैबसाइट आवाज़ द वॉयस में 6 से 14 अगस्त, 2023 को प्रकाशित नौ लेखों की सीरीज़ का पहला लेख

पिछले साल इन्हीं दिनों जब हम अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे कर रहे थे, तब हमारे मन में स्वतंत्रता के 100वें वर्ष की योजनाएं जन्म ले रही थीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2022 को लालकिले के प्राचीर से जो भाषण दिया, उसमें भविष्य के भारत की परिकल्पना थी.

उन्होंने 2047 का खाका खींचा, जिसके लिए अगले 25 वर्षों को ‘अमृत-काल’ बताते हुए कुछ संकल्पों और कुछ संभावनाओं का जिक्र किया. एक देश जिसने अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे किए हैं, और जो 100 वर्ष की ओर बढ़ रहा है, उसकी महत्वाकांक्षाओं और इरादों को उसमें पढ़ना होगा.

उसके पहले एक नज़र उन वर्षों पर भी डालनी चाहिए, जिनसे गुज़र कर हम यहाँ तक आए हैं. 15 अगस्त, 1947 को जब हम स्वतंत्र हो रहे थे, तब हमने कुछ सपने देखे थे. पिछले 76 साल में कुछ पूरे हुए और कुछ नहीं हुए.

सपना क्या था?

उस भव्य भारतवर्ष की पुनर्स्थापना, जो कभी वास्तव में सच था. नागरिकों की खुशहाली. क्या हैं क्या हैं हमारी 76 साल की उपलब्धियाँ? और अगले 25 साल में ऐसा क्या हम कर पाएंगे, जो हमें अपने सपनों को साकार करने में मददगार बने?

भारत के नीति आयोग ने संयुक्त राष्ट्र मल्टी डायमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स (एमपीआई) के आधार पर हाल में जानकारी दी है कि मार्च 2021 को पूरे हुए पाँच वर्षों में देश में करीब 13.5 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से ऊपर आए हैं.

इसके कुछ साल परले संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल (ओपीएचआई) के आँकड़ों के अनुसार 2005-06 से 2015-16 के दौरान भारत में 27.3 करोड़ लोग गरीबी के दायरे से बाहर निकले.

हम कहाँ हैं?

नॉमिनल जीडीपी के आधार पर इस समय भारत, दुनिया की पाँचवीं और पर्चेज़िंग पावर पैरिटी (पीपीपी) के आधार पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इक्कीसवीं सदी की शुरुआत से ही देश की औसत सालाना संवृद्धि 6 से 7 फीसदी की रही है. सन 2016 में नोटबंदी और 2017 में गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू होने के कारण और 2020 से 2022 तक कोविड के कारण अर्थव्यवस्था को झटके भी लगे हैं.

Tuesday, August 8, 2023

मॉनसून-सत्र और नई रणनीतियाँ


दिल्ली सेवा-विधेयक को लोकसभा ने पास कर दिया और सोमवार 7 अगस्त वह राज्यसभा से भी पास हो गया। लोकसभा में सत्तारूढ़ दल के बहुमत को देखते हुए इसके पास होने में संदेह नहीं था। राज्यसभा में भी उसके पास होने के आसार थे, पर जिस बहुमत से वह पास हुआ है, उससे लगता है कि विरोधी गठबंधन से भी कुछ वोट उसके पक्ष में गए हैं। ऐसा तब हुआ, जब विपक्ष ने अपनी पूरी ताकत लगा दी, यहाँ तक कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ह्वील चेयर पर बैठकर वोट देने आए और शिबू सोरेन भी मौजूद रहे। मतदान के समय गैर-भाजपा पार्टियों का जो रुख रहा है, वह भविष्य की राजनीति की ओर इशारा कर रहा है। इस दौरान आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा का एक प्रस्ताव विवाद का विषय बन गया, जिसी जाँच होगी. 

आज मंगलवार से अविश्वासप्रस्ताव पर भी चर्चा होगी। 10 अगस्त को प्रधानमंत्री जब इसपर हुई बहस का उत्तर देंगे, तब देश की निगाहें बहुत सी बातों पर होंगी। पिछले साढ़े चार या साढ़े नौ साल के प्रसंग उठेंगे। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी। उनकी संसद सदस्यता भी बहाल हो गई है। वे भी अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेंगे। सत्र में अब यही हफ्ता शेष है, पर जो भी होगा वह रोचक और सनसनीखेजहोगा। बीजेपी ने लोकसभा सदस्यों को ह्विप जारी कर दिया है, जिसमें उनसे 7 से 11 अगस्‍त के बीच सदन में उपस्थित रहने और सरकार का समर्थन करने के लिए कहा गया है।