करीब दो दशक की लंबी कानूनी
लड़ाई के बाद थलसेना में महिलाओं को बराबरी का हक मिलने का रास्ता साफ हो गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसले में कहा कि उन सभी महिला अफसरों को तीन
महीने के अंदर सेना में स्थायी कमीशन दिया जाए,
जो इस विकल्प को
चुनना चाहती हैं. इसका लाभ सेना की 10 शाखाओं में काम कर रही महिलाओं को मिलेगा.
अदालत ने केंद्र की उस दलील को निराशाजनक बताया, जिसमें महिलाओं
को कमांड पोस्टिंग न देने के पीछे शारीरिक क्षमताओं और सामाजिक मानदंडों का हवाला
दिया गया था.
अभी तक सेना में 14
साल तक शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) में सेवा दे चुके पुरुष अफसरों को ही स्थायी
कमीशन का विकल्प मिल रहा था, महिलाओं को यह हासिल नहीं
था. वायुसेना और नौसेना में महिला अफसरों को पहले से स्थायी कमीशन मिल रहा है. यह
केस पहली बार सन 2003 में दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल किया गया था और
2010 में हाईकोर्ट ने महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाया था, पर उस आदेश का पालन नहीं किया गया और उसे सुप्रीम कोर्ट में
चुनौती दी गई थी.