Sunday, June 11, 2017
शाह ने जानबूझकर कहा गांधी को 'चतुर बनिया'
Friday, June 9, 2017
‘टेरर फंडिंग’ की वैश्विक परिभाषा भी हो
नेशनल
इनवेस्टिगेशन एजेंसी ने पिछले कुछ दिनों में कश्मीर, दिल्ली और हरियाणा में 40 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी करके टेरर
फंडिंग के कुछ सूत्रों को जोड़ने की कोशिश की है. हाल में एक स्टिंग ऑपरेशन से यह
बात उजागर हुई थी कि कश्मीर की घाटी में हुर्रियत के नेताओं के अलावा दूसरे समूहों
को पाकिस्तान से पैसा मिल रहा है. इन छापों में नकदी, सोना और विदेशी मुद्रा के
अलावा कुछ ऐसे दस्तावेज भी मिले हैं, जिनसे पता लगता है कि आतंकी नेटवर्क हमारी
जानकारी के मुकाबले कहीं ज्यादा बड़ा है.
एनआईए
ने कुछ बैंक खातों को फ़्रीज़ कराया है और कुछ लॉकरों को सील. यह छापेमारी ऐसे दौर
में हुई है जब आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था द फाइनैंशल एक्शन
टास्क फोर्स इस सिलसिले में जाँच कर रही है. हमें इस संस्था के सामने सप्रमाण जाना
चाहिए. पिछले
कई साल से संयुक्त राष्ट्र में ‘कांप्रिहैंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म’ को
लेकर विमर्श चल रहा है, पर टेररिज्म की परिभाषा को लेकर सारा मामला अटका हुआ है.
जब तक ऐसी संधि नहीं होगी, हम साबित नहीं कर पाएंगे कि कश्मीरी आंदोलन का चरित्र
क्या है.
Sunday, June 4, 2017
मोदी-डिप्लोमेसी का राउंड-2
भारतीय डिप्लोमेसी के संदर्भ में कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाएं तेजी से घटित
हुईं हैं और कुछ होने वाली हैं, जिन पर हमें ध्यान देना चाहिए। डोनाल्ड ट्रंप ने
जलवायु परिवर्तन की पेरिस-संधि से अमेरिका के हटने की घोषणा करके वैश्विक राजनीति
में तमाम लहरें पैदा कर दी हैं। भारत के नजरिए से अमेरिका के इस संधि से हटने के
मुकाबले ज्यादा महत्वपूर्ण है ट्रंप का भारत को कोसना। यह बात अब प्रधान मंत्री की
इसी महीने होने वाली अमेरिका यात्रा का एक बड़ा मुद्दा होगी।
नरेन्द्र मोदी इन दिनों विदेश यात्रा पर हैं। इस यात्रा में वे ऐसे देशों
से मिल रहे हैं, जो आने वाले समय में वैश्विक नेतृत्व से अमेरिका के हटने के बाद
उसकी जगह लेंगे। इनमें जर्मनी और फ्रांस मुख्य हैं। रूस और चीन काफी करीब आ चुके
हैं। भारत ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का विरोध तो किया ही है चीन की ‘वन बेल्ट, वन रोड’ पहल का भी विरोध किया
है। इस सिलसिले में हुए शिखर सम्मेलन का
बहिष्कार करके भारत ने बर्र के छत्ते में हाथ भी डाल दिया है।
पशु-क्रूरता बनाम मांसाहार
राजनीति
के चक्रव्यूह में घिरी सरकारी अधिसूचना
पर्यावरण
मंत्रालय ने पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम के तहत जो अधिसूचना जारी की है, उसके
निहितार्थ से या तो सरकार परिचित नहीं थी, या वह विरोध की परवाह किए बगैर वह अपने
सांस्कृतिक एजेंडा को सख्ती से लागू करना चाहती है। अधिसूचना की पृष्ठभूमि को
देखते हुए लगता नहीं कि सरकार का इरादा देशभर में पशु-वध पर रोक लगाने का
है। सांविधानिक दृष्टि से वह ऐसा कर भी नहीं सकती। यह राज्य-विषय है। केन्द्र सरकार घुमाकर फैसला क्यों
करेगी? अलबत्ता इस फैसले ने विरोधी दलों के
हौसलों को बढ़ाया है। वामपंथी तबके ने बीफ-फेस्ट वगैरह शुरू करके इसे एक दूसरा
मोड़ दे दिया है। इससे हमारे सामाजिक जीवन में टकराव पैदा हो रहा है।
Wednesday, May 31, 2017
कश्मीर को बचाए रखने में सेना की भूमिका भी है
जनरल बिपिन रावत के तीखे तेवरों का संदेश क्या है? मेजर गोगोई की पहल को क्या हम मानवाधिकार
उल्लंघन के दायरे में रखते हैं? क्या जनरल
रावत का कश्मीरी आंदोलनकारियों को हथियार उठाने की चुनौती देना उचित है? उन्होंने क्यों कहा कि कश्मीरी पत्थर की जगह
गोली चलाएं तो बेहतर है? तब हम वो
करेंगे जो करना चाहते हैं। उन्होंने क्यों कहा कि लोगों में सेना का डर खत्म होने
पर देश का विनाश हो जाता है? उनके स्वर राजनेता
जैसे हैं या उनसे सैनिक का गुस्सा टपक रहा है?
कश्मीर केवल राजनीतिक समस्या नहीं है, उसका सामरिक आयाम
भी है। हथियारबंद लोगों का सामना सेना ही करती है और कर रही है। वहाँ के राजनीतिक
हालात सेना ने नहीं बिगाड़े। जनरल रावत को तीन सीनियर अफसरों पर तरजीह देकर
सेनाध्यक्ष बनाया गया था। तब रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा था कि यह नियुक्ति
बहुत सोच समझ कर की गई है। नियुक्ति के परिणाम सामने आ रहे हैं। सेना ने दक्षिण कश्मीर के आतंक पीड़ित
इलाकों में कॉम्बिंग ऑपरेशन चला रखा है। पिछले दो हफ्तों में उसे सफलताएं भी मिली
हैं।
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