पाँच राज्यों
के चुनाव परिणामों के कारण नरेन्द्र मोदी और भाजपा की बढ़ी हुई ताकत का पहला संकेत
इस साल राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चुनाव में दिखाई पड़ेगा. अगले साल राज्यसभा
के चुनाव से स्थितियों में और बड़ा गुणात्मक बदलाव आएगा. इस साल 25 जुलाई को प्रणब
मुखर्जी का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. राष्ट्रपति चुनाव की रस्साकशी कई मानों में
रोचक और निर्णायक होगी.
Monday, March 20, 2017
Sunday, March 19, 2017
बैसाखियों पर कांग्रेस
गोवा और मणिपुर में कांग्रेस से भाजपा में आए विधायकों को पुरस्कार मिले हैं।
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भी मिलेंगे। दिग्विजय सिंह इसे खरीदना कहते हैं, पर
भारतीय राजनीति में यह प्रक्रिया लम्बे अरसे से चल रही है। संयोग से कांग्रेस
पार्टी ही इसकी प्रणेता है। देश की राजनीति के ज्यादातर मुहावरे उसके नाम हैं।
गोवा में कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका गोवा फॉरवर्ड पार्टी ने दिया है। उसके तीन
विधायक भाजपा सरकार के मंत्री बन गए हैं। तीनों कांग्रेस से आए हैं। तीनों के
खिलाफ कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी खड़े नहीं किए थे, क्योंकि उसे लगता था कि चुनाव
के बाद ये लोग काम आएंगे। ऐसा नहीं हुआ। यह बात केवल गोवा में ही नहीं देशभर में
कांग्रेस की दुर्दशा को रेखांकित करती है।
Wednesday, March 15, 2017
चुनौती पूँजी निवेश की
पाँच राज्यों के विधानसभा चुनावों में अपेक्षित सफलता पाने के बावजूद सरकार के
सामने अब सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक होगी. हाल में केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन
(सीएसओ) ने जब अर्थ-व्यवस्था के नवीनतम आँकड़े जारी किए तब कुछ लोगों की
प्रतिक्रिया थी कि आँकड़ों में हेरे-फेर है. वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने अक्टूबर-दिसंबर
तिमाही के लिए 7 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर को ‘चौंकाने वाला’ बताया. इससे पिछली तिमाही में यह दर 7.4 प्रतिशत थी.
एजेंसी को उम्मीद है कि भारत की जीडीपी वृद्धि 2016-17 में 7.1 प्रतिशत रहेगी जो
2017-18 और 2018-19 दोनों वित्त वर्ष में बढ़कर 7.7 प्रतिशत तक हो जाएगी.
Sunday, March 12, 2017
भाजपा की बदली भाग्य-रेखा
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी की असाधारण जीत के कारणों का विश्लेषण अभी लम्बे समय तक चलेगा, पर एक बात साफ है कि विरोधी दलों ने यह समझने की कोशिश नहीं की है कि ऐसा हो क्यों रहा है। वे शुद्ध रूप से जातीय और साम्प्रदायिक जोड़-तोड़ के भीतर समस्या का समाधान देख रहे हैं। वे नहीं समझ पा रहे हैं कि वे जिसे समाधान समझ रहे हैं, वह उनकी समस्या है।
इस जीत का अनुमान नरेन्द्र मोदी को था या नहीं था, कहना मुश्किल है, पर यह
अनुमान से कहीं बड़ी है। नरेन्द्र मोदी बहुत बड़े ब्रांड के रूप में उभरे हैं। यह
देश मजबूत, दृढ़ और तेजी से फैसला करने वाले नेता को पसंद करता है। जो नेता इस
रास्ते पर चलना चाहता है उसके लिए रास्ते भी बना देता है। ऐसा इंदिरा गांधी के साथ
हुआ और अब मोदी के साथ हो रहा है। सामान्य वोटर यह मानता है कि कोई काम कर सकता है
तो वह मोदी है।
मोदी के आगमन के दस साल पहले से कांग्रेस पार्टी ने देश के प्रधानमंत्री पद को निरीह और अशक्त बनाकर अपनी राह में जो काँटे बोए थे, वे उसे अनंत काल तक परेशान करेंगे। बहरहाल मोदी के नेतृत्व पर भारी विश्वास के जोखिम भी हैं, पर उन्हें उभरने में वक्त लगेगा। फिलहाल उनकी यह जीत गुजरात और हिमाचल में होने वाले चुनाव के संदर्भ में पार्टी के आत्मविश्वास को बढ़ाएगी। अब जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में भी भाजपा की ताकत बढ़ गई है। सबसे बड़ी बात 2019 के चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश ने अपना दरवाजा भाजपा के लिए खोल दिया है।
Monday, March 6, 2017
लोकतंत्र का भ्रमजाल
पिछले हफ्ते देश के आर्थिक विकास के तिमाही परिणाम आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी ने कहा कि अर्थव्यवस्था को सुधारने के मामले में हारवर्ड वालों को ‘हार्ड वर्क’ वालों ने पछाड़ दिया. मोदी ने जीडीपी के ताजा आंकड़ों के
हवाले से बताया कि नोटबंदी के बावजूद अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी नहीं पड़ी. एक
तरफ वे हैं जो हारवर्ड की बात करते हैं और दूसरी तरफ यह गरीब का बेटा है जो हार्ड
वर्क से देश की अर्थव्यवस्था बदलने में लगा है.
मोदी ने यह बात चुनाव सभा में कही. उनके भाषणों में नाटकीयता होती है. वोटर को
नाटकीयता पसंद भी आती है. पर चुनाव नाटक नहीं है. चुनाव से जुड़ा विमर्श असलियत को
सामने नहीं लाता, बल्कि भरमाता है. चिंता की बात है कि चुनाव के प्रति वोटर की नकारात्मकता
बढ़ी है. उसे जीडीपी के आँकड़ों को पढ़ना नहीं आता. राजनीति की जिम्मेदारी है कि उसका
मतलब समझाए.
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