सुदीर्घ अनिश्चय के बाद
कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को राजनीति के सक्रिय मैदान में उतारने का फैसला कर
लिया है। प्रियंका अभी तक निष्क्रिय नहीं थीं, पर पूरी तरह मैदान में कभी उतर कर
नहीं आईं। अभी यह साफ नहीं है कि वे केवल उत्तर प्रदेश में सक्रिय होंगी या दूसरे
प्रदेशों में भी जाएंगी। उत्तर प्रदेश का चुनाव कांग्रेस के लिए बड़ा मैदान जीतने का
मौका देने वाला नहीं है। वह दूसरी बार चुनाव-पूर्व गठबंधन के साथ उतर रही है। यह
गठबंधन भी बराबरी का नहीं है। गठबंधन की जीत हुई भी तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
बनेंगे। कांग्रेस के लिए इतनी ही संतोष की बात होगी। और उससे बड़ा संतोष तब होगा,
जब उसके विधायकों की संख्या 50 पार कर जाए। बाकी सब बोनस।
Saturday, January 28, 2017
Friday, January 27, 2017
जल्लीकट्टू बनाम आधुनिकता
तमिलनाडु में जल्लीकट्टू आंदोलन ने
कई तरह के सवाल खड़े किए हैं. पहला सवाल आधुनिकता और परंपरा के द्वंद्व का है.
उससे ज्यादा बड़ा सवाल सांविधानिक मर्यादा का है. मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के
बावजूद राज्य सरकार ने अध्यादेश लाने की पहल की. इसके पहले जनवरी 2016 में केंद्र
सरकार ने कुछ पाबंदियों के साथ जल्लीकट्टू के खेल को जारी रखने की एक अधिसूचना
जारी की थी. अदालत ने उस अधिसूचना को न केवल स्थगित किया, बल्कि केंद्र सरकार से अपनी
नाराजगी भी जाहिर की थी.
हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के...
आज के दोष कल दूर होंगे
संयोग है कि इस
साल के गणतंत्र दिवस के आसपास राष्ट्रीय महत्व की दो परिघटनाएं और हो रही हैं।
पहली है विमुद्रीकरण की प्रक्रिया, जो दुनिया में पहली बार अपने किस्म की सबसे
बड़ी गतिविधि है। यह ऐसी गतिविधि है, जिसने प्रत्यक्ष या परोक्ष देश के प्रायः
हरेक नागरिक को छुआ है, भले ही वह बच्चा हो या बूढ़ा। इस अनुभव से हम अभी गुजर ही
रहे हैं। इसके निहितार्थ क्या हैं, इसमें हमने क्या खोया या क्या पाया, यह इस लेख
का विषय नहीं है। यहाँ केवल इतना रेखांकित करने की इच्छा है कि हम जो कुछ भी करते
हैं, वह दुनिया की सबसे बड़ी गतिविधि होती है, क्योंकि हम दुनिया के सबसे बड़े
लोकतंत्र हैं।
बेशक चीन की
आबादी हमसे ज्यादा है, पर वहाँ लोकतंत्र नहीं है। लोकतंत्र के अच्छे और खराब
अनुभवों से हम गुजर रहे हैं। लोकतंत्र के पास यदि वैश्विक समस्याओं का समाधान है
तो वह भारत से ही निकलेगा, अमेरिका, यूरोप या चीन से नहीं। क्योंकि इतिहास के एक
खास मोड़ पर हमने लोकतंत्र को अपने लिए अपनाया और खुद को गणतंत्र घोषित किया।
गणतंत्र माने जनता का शासन। यह राजतंत्र नहीं है और न किसी किस्म की तानाशाही।
भारत एक माने में और महत्वपूर्ण है। दुनिया की सबसे बड़ी विविधता इस देश में ही
है। संसार के सारे धर्म, भाषाएं, प्रजातियाँ और संस्कृतियाँ भारत में हैं। इस
विशाल विविधता को किस तरह एकता के धागे से बाँधकर रखा जा सकता है, यह भी हमें
दिखाना है और हम दिखा रहे हैं।
Monday, January 23, 2017
गणतंत्र दिवस के बहाने...
पिछले कुछ समय से
तमिलनाडु के जल्लीकट्टू आयोजन पर लगी अदालती रोक के विरोध में आंदोलन चल रहा था. विरोध इतना
तेज था कि वहाँ की पूरी सरकारी-राजनीतिक व्यवस्था इसके समर्थन में आ गई. अंततः केंद्र
सरकार ने राज्य के अध्यादेश को स्वीकृति दी और जल्लीकट्टू मनाए जाने का रास्ता साफ
हो गया. जनमत के आगे व्यवस्था को झुकना पड़ा. गणतंत्र दिवस के कुछ दिन पहले संयोग से
कुछ ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जिनका रिश्ता हमारे लोकतंत्र की बुनियादी धारणाओं से
है. हमें उनपर विचार करना चाहिए.
Sunday, January 22, 2017
असमंजस में कांग्रेस
जिस तरह पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए मध्यावधि जनादेश का काम
करेंगे उसी तरह वे कांग्रेस को भी अपनी ताकत को तोलने का मौका देंगे। सन 2014 के
बाद से उसकी लोकप्रियता में लगातार गिरावट आई है। यह पहला मौका है जब पार्टी को सकारात्मकता
दिखाई पड़ती है। उसे पंजाब में अपनी वापसी, उत्तराखंड में फिर से अपनी सरकार और
उत्तर प्रदेश में सुधार की संभावना नजर आ रही है। गोवा में भी उसे अपनी स्थिति को
सुधारने का मौका नजर आता है। पर उसके चारों सपने टूट भी सकते हैं। जिसका मतलब होगा
कि 2019 के सपनों की छुट्टी। रसातल में जाना सुनिश्चित।
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