बारिश कम हो तो परेशानी और ज्यादा हो तो और ज्यादा परेशानी। आज के भास्कर के पहले सफे पर एक पिलर के सहारे लटके एक युवक की तस्वीर है, जो तेज बहते पानी के बीच फँसा है। इन दिनों ऐसे दृश्य देश भर से देखने को मिल रहे हैं। मोबाइल फोनों में लगे कैमरों ने अब ऐसी खबरें लेना आसान बना दिया है। राजस्थान पत्रिका ने जयपुर के महिला कॉलेजों में चल रहे छात्रसंघ चुनाव में सोशल मीडिया की बढ़ती भूमिका पर रोचक फीचर छापा है। ऐसी ही कुछ और तस्वीरें दूसरे अखबारों में हैं। एक रोचक खबर बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्र और रतन टाटा के बीच शाब्दिक जिरह को लेकर है। रतन टाटा ने एक रोज पहले कहा था कि मैं दो साल बाद कोलकाता आया हूँ और मुझे राजरहाट इलाके में औद्योगिक विकास नजर नहीं आया। इस पर अमित मित्र ने कहा कि टाटा का दिमाग फिर गया है। सिंगुर मामले के कारण नैनो परियोजना को बंगाल से गुजरात ले जाने वाले टाटा के मन में खलिश है। मित्रा-टाटा संवाद पर आज के टेलीग्राफ ने जोरदार कवरेज की है। आज की एक रोचक खबर बिहार से है जहाँ के मुख्यमंत्री जीतन राम माँझी ने कहा है कि चुनाव के बाद हम जीते तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बनेंगे। जेडीयू, राजद और कांग्रेस के गठबंधन ने बिहार में गठबंधन की योजना बना ली है। चुनाव अभी दूर है। आज की कुछ कतरनें
नरेंद्र मोदी की सरकार ने पहले दो महीनों में अपने विरोधियों को जितने विस्मय में डाला है, उससे ज़्यादा भौचक्के उनके कुछ घनघोर समर्थक हैं. ख़ासतौर से वे लोग जिन्हें बड़े फ़ैसलों की उम्मीदें थीं.
सरकार बनने के बाद मोदी की रीति-नीति में काफ़ी बदलाव हुआ है. सबसे बड़ा बदलाव है मीडिया से बढ़ती दूरी.
मीडिया की मदद से सत्ता में आए क्लिक करेंमोदी शायद मीडिया के नकारात्मक असर से घबराते भी हैं.
फुलझड़ियों की तरह फूटते उनके बयान गुम हो गए हैं. पर सबसे रोचक है उन विशेषज्ञों को लगा सदमा जो भारी बदलावों की उम्मीद कर रहे थे.
कोई बात है कि कुछ महीने पहले तक बेहद उत्साही मोदी समर्थकों की भाषा और शैली में ठंडापन आ गया है.
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शुरुआत मोदी की कट्टर समर्थक मानी जाने वाली मधु किश्वर ने की थी. उन्होंने क्लिक करेंस्मृति ईरानी को मानव संसाधन मंत्री बनाए जाने का खुलकर विरोध किया.